who is Kailash Nath Wanchoo: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक बयान देकर कैलाशनाथ वांचू को इन दिनों चर्चा में ला दिए हैं. निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर एक टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि वांचू बिना लॉ की डिग्री के CJI बने थे. इस बयान के बाद खूब विवाद हो रहा है. विपक्ष ने दुबे पर न्यायपालिका पर दबाव डालने का आरोप लगाए हैं. आइए समझते हैं पूरा मामला और जानते हैं आखिर कौन हैं कैलाशनाथ वांचू.
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Kailashnath Wanchoo: वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में भारतीय न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र को लेकर कई दिनों से चर्चा जोरों पर है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर कई सारे बयान दिए हैं. जिसके बाद बीजेपी ने उनके बयान से किनारा कर लिया है. हालांकि इसके बावजूद निशिकांत दुबे लगातार सवाल उठा रहे हैं. इसी बीच उन्होंने एक ऐसा नाम ले लिया, जिसके बाद पूरे देश में कैलाशनाथ वांचू की चर्चा होने लगी. सबसे पहले समझते हैं पूरा मामला.
क्या है विवाद की वजह?
निशिकांत दुबे ने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं, और उदाहरण के तौर पर उन्होंने वांचू का नाम लिया. उन्होंने कहा कि वांचू को बिना लॉ डिग्री के CJI बनाया गया था, जो उस समय संभव था क्योंकि CJI की नियुक्ति के लिए लॉ डिग्री अनिवार्य नहीं थी. लेकिन विपक्ष का कहना है कि दुबे का यह बयान न्यायपालिका को प्रभावित करने की कोशिश है. यह विवाद ऐसे समय में हुआ है, जब भारतीय न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र को लेकर पहले से ही बहस चल रही है. कुछ लोग मानते हैं कि दुबे का बयान सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता पर सवाल उठाता है, जबकि कुछ का कहना है कि यह सिर्फ एक ऐतिहासिक तथ्य को सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या आपको पता है कि 1967-68 में भारत के मुख्य न्यायाधीश कैलाशनाथ वांचू जी ने क़ानून की कोई पढ़ाई नहीं की थी ।
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) April 21, 2025
अब जानते हैं आखिर कौन थे कैलाशनाथ वांचू?
कैलाशनाथ वांचू भारत के ऐसे इंसान थे, जो बिना लॉ की डिग्री के देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पद तक पहुंचे. वे भारत के 10वें CJI थे. मीडिया में छपी रिपोर्ट के आधार पर कैलाशनाथ वांचू का जन्म 25 फरवरी 1903 को मध्य प्रदेश में हुआ.अपनी शुरुआती पढ़ाई मध्य प्रदेश के नौगांव में की, फिर कानपुर के पंडित पृथ्वीनाथ हाई स्कूल और इलाहाबाद के म्योर सेंट्रल कॉलेज से आगे की पढ़ाई पूरी की. बाद में वे ऑक्सफोर्ड के वधम कॉलेज गए. वांचू ने 1924 में इंडियन सिविल सर्विस (ICS) की परीक्षा पास की और 1926 में संयुक्त प्रांत (आज का उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) में जॉइंट मजिस्ट्रेट के तौर पर अपनी नौकरी शुरू की.
बिना डिग्री के CJI तक का सफर
वांचू ने लॉ की पढ़ाई कभी नहीं की. उनकी कानूनी समझ ICS की ट्रेनिंग के दौरान मिली, जिसमें उन्हें क्रिमिनल लॉ सिखाया गया था. इस ट्रेनिंग और अनुभव के दम पर ही वे आगे बढ़े. वांचू का करियर धीरे-धीरे ऊंचाइयों की ओर बढ़ा. 1937 में वे संयुक्त प्रांत में सत्र और जिला जज बने. 1947 में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज बनाया गया. 1951 में वे राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद भी इस पद पर बने रहे. 1958 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.
कब बने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
लेकिन उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ 1967 में आया. जब 11 अप्रैल 1967 को तत्कालीन CJI के. सुब्बाराव ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अचानक इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 12 अप्रैल 1967 को राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने वांचू को सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया. वे इस पद पर 24 फरवरी 1968 तक रहे, यानी करीब 10 महीने इस पद पर बने रहे.
कैसे मिली CJI की कुर्सी?
वांचू का CJI बनना एक संयोग था. उस समय CJI की नियुक्ति में लॉ डिग्री अनिवार्य नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर उनके पास अच्छा अनुभव था, और सुब्बाराव के अचानक इस्तीफे ने उनके लिए यह मौका बना दिया. हालांकि, कुछ लोग यह भी कहते हैं कि उस समय की सरकार, खासकर इंदिरा गांधी, वांचू को इस पद पर लाना चाहती थी, क्योंकि वे उनके करीबी माने जाते थे.