आनंदीबेन पटेल के इस्‍तीफे के बाद गुजरात की कमान किसके हाथ? रेस में आगे हैं ये नाम
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आनंदीबेन पटेल के इस्‍तीफे के बाद गुजरात की कमान किसके हाथ? रेस में आगे हैं ये नाम

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले अचानक उठाए एक कदम के तहत गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को अपने पद से इस्‍तीफ दे दिया। गुजरात सरकार की कमान अब किसके हाथ होगी, इस बात को लेकर कवायद तेज हो गई है। गुजरात के सीएम पद की रेस में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विजय रुपानी और नितिन पटेल का नाम बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस रेस में विजय रुपानी का नाम सबसे आगे है।

आनंदीबेन पटेल के इस्‍तीफे के बाद गुजरात की कमान किसके हाथ? रेस में आगे हैं ये नाम

अहमदाबाद : गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले अचानक उठाए एक कदम के तहत गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को अपने पद से इस्‍तीफ दे दिया। गुजरात सरकार की कमान अब किसके हाथ होगी, इस बात को लेकर कवायद तेज हो गई है। गुजरात के सीएम पद की रेस में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विजय रुपानी और नितिन पटेल का नाम बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस रेस में विजय रुपानी का नाम सबसे आगे है।

रिपोर्टों के हवाले से कहा गया है कि विजय रुपानी की संगठन में पकड़ अच्छी है और वे साफ सुथरी छवि के नेता हैं। गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष होने के साथ-साथ गुजरात सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री भी हैं। वहीं, नितिन पटेल की पटेल समाज में अच्छी पकड़ है। पटेल आंदोलन के दौरान उन्होंने सरकार की ओर से बातचीत में अहम भूमिका निभाई। उनकी छवि जमीन से जुड़े नेता की है और पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं।

गुजरात सरकार की कमान अब किसके हाथ होगी, इसे लेकर नाम तय करने के लिए बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक मंगलवार को होगी। इस बैठक में गुजरात के नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला हो सकता है। आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे देने के फैसले के बाद बीजेपी की यह बैठक हो रही है। बैठक में आनंदीबेन के इस्‍तीफे और नए दावेदार के नाम पर चर्चा संभव है। गौर हो कि गुजरात में साल 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं और पार्टी अभी से ही रणनीतिक तौर पर सशक्‍त चेहरे के हाथ में कमान सौंपना चाहती है।

 

गौर हो कि गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले अचानक उठाए एक कदम के तहत गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को अपने पद से हटने की पेशकश की। इस समय राज्य में बहुत सी चुनौतियों से दो चार आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वे जल्द ही 75 वर्ष की उम्र पूरी करने वाली हैं, ऐसे में वे पद से हटना चाहती हैं ताकि नए नेतृत्व को काम करने का मौका मिले। राज्य में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री काल के बाद से आनंदीबेन के दो साल से ज्यादा की अवधि में इस बार पहली बार भारतीय जनता पार्टी को एक के बाद एक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उसे नगर निकाय चुनाव में ग्रामीण इलाकों में पराजय का मुंह देखना पड़ा, पटेल समुदाय के ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर किए गए जबरदस्त आंदोलन का गवाह बनना पड़ा और राज्य के उना में मृत गाय की खाल उतारने को लेकर की गई दलितों की पिटाई की घटना के बाद उठे दलित ज्वार का सामना करना पड़ा।

दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस घटनाक्रम के बारे में कहा कि आगामी 21 नवंबर को 75 वर्ष की आयु पूरी करने जा रही राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री आनंदीबेन के स्थान पर किसी दूसरे नेता को नियुक्त करने के बारे में अंतिम फैसला पार्टी संसदीय दल ही करेगा। शाह ने आनंदीबेन ने पार्टी से अनुरोध किया है कि उन्हें उनके कार्यभार से मुक्त कर दिया जाए। मैं, मुझे लिखा उनका इस आशय का पत्र पार्टी संसदीय बोर्ड को भेज रहा हूं और वही इस पर अंतिम फैसला करेगा। इस बीच, विपक्षी कांग्रेस ने कहा है कि आनंदीबेन पटेल को तो काफी पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिये था।

कांग्रेस नेता शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि पटेल ने भाजपा आलाकमान के निर्देश के चलते इस्तीफे की पेशकश की है। वाघेला के मुताबिक पाटीदार समुदाय कोटा आंदोलन और दलित अत्याचार की हालिया घटनाओं ने पटेल को यह कदम उठाने को मजबूर किया।

आनंदीबेन ने पार्टी नेतृत्व से उन्हें उनके कार्यभार से मुक्त करने का अनुरोध करने के लिए फेसबुक को माध्यम चुना हालांकि इस बारे में काफी दिन से अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे ऐसा कदम उठाने वाली हैं। राज्य में 2017 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उधर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि आनंदीबेन को तो काफी पहले ही यह कदम उठा लेना चाहिए था। उसने आरोप लगाया कि राज्य के दलितों और पाटीदार समुदाय से संबंधित मुद्दों से निपटने में उनकी विफलता को लेकर इन दोनों समुदायों में बढ़ रहे असंतोष के बावजूद पार्टी नेतृत्व उन्हें बचाता आ रहा था।

ऐसा माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के नेताओं के लिए राज्य और केंद्र सरकार में पद धारण करने की अधिकतम आयु 75 वर्ष से कम तय की है। 1998 से राज्य सरकार में मंत्री रही आनंदीबेन ने मोदी के केंद्र की राजनीति में आने के बाद 22 मई 2014 को मुख्यमंत्री का पद संभाला था।

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