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DNA: ममता का राज.. मां के दर 'नमाज', बंगाल की दुर्गा पूजा में 'इस्लामिक रूल'!

Bengal News: मुर्शिदाबाद के एक दुर्गा पंडाल में एक पोस्टर टंगा हुआ है. इस पोस्टर में दिन के पांचों वक्त के नमाज का जिक्र है. जहां मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित है, उसके सामने ठीक दाहिनी ओर एक रंग-बिरंगा पोस्टर टंगा है. जिसपर अंकित है कि दिन में किस समय नमाज होना है. 

DNA: ममता का राज.. मां के दर 'नमाज', बंगाल की दुर्गा पूजा में 'इस्लामिक रूल'!

Bengal Durga Puja Prayer: पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान पंडालों में व्यवस्था का इस्लामीकरण कर दिया गया है, जिस पश्चिम बंगाल में भव्यता, शुद्धता और वैदिक नियम-निष्ठा के साथ मां दुर्गा की आराधना होती रही है, वहां पर इस बार इस्लामिक नियम-कायदों से पूजा-पाठ हो रहा है. 

जहां दुर्गा पंडालों में देवी की पूजा और आरती की समय सारणी लिखकर प्रदर्शित होनी चाहिए, वहां नमाज के वक्त का चार्ट टंगा हुआ है और इसमें मुस्लिम वोटबैंक की गरजपरस्त ममता बनर्जी का भी भरपूर योगदान है. मंगलवार को मां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी की पूजा हुई. मगर जिस पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा विश्व प्रसिद्ध है. जहां के हिंदुओं के लिए मां दुर्गा की पूजा सिर्फ भक्ति नहीं है, उनकी सांस्कृतिक पहचान है, वहां पर श्रद्धालुओं की धार्मिक स्वतंत्रता में कट्टरपंथी बेखौफ होकर इस्लामिक दखल दे रहे हैं.

दुर्गा पूजा पंडाल में नमाज को पोस्टर क्यों?

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मुर्शिदाबाद के एक दुर्गा पंडाल में एक पोस्टर टंगा हुआ है. इस पोस्टर में दिन के पांचों वक्त के नमाज का जिक्र है. जहां मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित है, उसके सामने ठीक दाहिनी ओर एक रंग-बिरंगा पोस्टर टंगा है. जिसपर अंकित है कि दिन में किस समय नमाज होना है. आप भी सोच रहे होंगे कि दुर्गा पंडाल में पूजा, आरती या फिर प्रसाद वितरण की समय सारणी की जगह नमाज का वक्त क्यों लिखकर टंगा हुआ है? तो इस जवाब हम आपको बताते हैं. 

मुर्शिदाबाद के फरक्का के इस दुर्गा पंडाल में नमाज के वक्त वाला चार्ट इसलिए टंगा हुआ है क्योंकि इसमें अंकित समय के दौरान पंडाल में लगे लाउडस्पीकर को पूरी तरह से बंद रखना है ताकि नमाज पढ़ने वालों के कान तक मां दुर्गा की अराधना वाली आवाज ना जाए. अपनी सुविधा के लिए कट्टरपंथियों ने हिंदुओं की आस्था और संस्कृति पर अतिक्रमण करते हुए दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की आराधना का समय तय कर दिया है. सोचिए कि ये कितना शर्मनाक है कि मां दुर्गा की पूजा कब होगी..ये कुछ धार्मिक अतिवादी तय करेंगे.

ये कैसी धर्मनिरपेक्षता?

पंडाल में जहां पर नमाज के समय का चार्ट टंगा है, उससे कुछ ही दूरी पर एक और पोस्टर है, जिसमें हिंदू-मुस्लिम एकता को प्रदर्शित करने की कोशिश की गई है. आप ही बताइए कि दुर्गा पंडाल के अंदर नमाज का वक्त बताकर और उस समय लाउडस्पीकर को बंद करके धर्मनिरपेक्षता का कौन सा उदाहरण पेश करने की कोशिश हुई है? अगर मां दुर्गा के भक्त ये कहें कि सुबह की आरती के समय मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर से उन्हें पूजा में बाधा पहुंचती है, इसलिए लाउडस्पीकर बंद कर दें तो क्या इसे हिंदू-मुस्लिम भाईचारा समझकर मस्जिद के ऊपर लगे लाउडस्पीकर बंद कर देंगे?  

धर्मनिरपेक्षता नहीं, इसे आस्तिकों के धार्मिक अधिकार पर सीधा हमला कहा जाएगा. मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदुओं को दबाने की, उन्हें धमकाने की कोशिश कही जाएगी. शिलालेखों और ग्रंथों से प्रमाणित है कि गुप्त काल से ही पश्चिम बंगाल में शक्ति की उपासना होती रही है. कट्टरपंथी मुगलों ने भी दुर्गा-पूजा को लेकर कोई इस्लामिक नियम कायदा नहीं थोपा. मगर ममता बनर्जी के कार्यकाल में वो पाप रहा है, जिससे सनातनियों की आस्था आहत है.

बंगाल में हिंदुओं की श्रद्धा कुचलने की साजिश क्यों?

सौ करोड़ हिंदुओं की श्रद्धा को कुचलने वाली साजिश पश्चिम बंगाल में इसलिए हो रही है, क्योंकि विषैली सोच वाले कट्टपरंथियों को सरकार का सहयोग और समर्थन प्राप्त है. जिस मुर्शिदाबाद के दुर्गा पंडाल में सांस्कृतिक हमला हुआ है, वहां से करीब दो सौ किलोमीटर दूर 24 उत्तर परगना है.

हमने पहले आपको बताया था कि वहां पर दुर्गा पूजा शुरू होते ही आमडांगा के तृणमूल कांग्रेस विधायक रफिकुर रहमान ने इस्लामी फरमान जारी कर दिया था कि किसी भी पंडाल में नमाज के वक्त माइक नहीं चलेगा. लाउडस्पीकर बंदी के लिए स्थानीय मस्जिद कमेटी की ओर से भी एक चिट्ठी लिखवाई गई थी कि पांचों वक्त के नमाज के समय माइक बंद रखें. अब तृणमूल कांग्रेस की इस कट्टर नीति को आगे बढ़ते हुए मुर्शिदाबाद में दुर्गा पूजा पंडाल के अंदर नमाज का समय भी अंकित कर दिया गया.

आपके मन में ये प्रश्न आ रहा होगा कि इतनी आसानी से कट्टरपंथी आसुरी शक्तियां कैसे सनातनी श्रद्धा के केंद्र पर आक्रमण करने का दुस्साहस करती हैं? कैसे पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा है? तो इसका एक शब्द का जवाब है सरकार.

मतलब ममता बनर्जी जिस तरह से मुसलमानों को तुष्ट करने के लिए स्वयं दुर्गा पूजा के पंडाल में इस्लामिक प्रतीकों वाले गीत पर झूमती हैं, जिस तरह दुर्गा पंडाल में खड़ी होकर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर निकृष्टता का समर्थन करती हैं, उसी से आसुरी शक्तियों का दुस्साहस भी बढ़ जाता है. और वे कट्टरपंथी दुर्गा पूजा में इस्लामिक नियम-कायदा के पालन का फरमान जारी करने की उद्दंडता करते हैं.

सबसे ज्यादा मुस्लिम मुर्शिदाबाद में

उसी का परिणाम मुर्शिदाबाद में दिखा, जहां विषैली सोच वाले दुष्टों ने दुर्गा पंडाल में नमाज का समय लिखा है. मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल का वो जिला है, जहां सबसे ज्यादा मुसलमान हैं. मुर्शिदाबाद जिले की लगभग दो-तिहाई आबादी मुसलमान है. वहां के करीब 67 प्रतिशत मुसलमान ही राजनीतिक भविष्य तय करते हैं. मुर्शिदाबाद में सांसद टीएमसी के हैं, जो मुसलमान हैं. वहां पर 7 विधानसभा सीट है, जिनमें से 5 टीएमसी के हैं.

पिछले चुनाव में मुसलमानों के 80 प्रतिशत वोट पाने वाली ममता बनर्जी को पता है कि उन्हें अगर सौ प्रतिशत मुस्लिम वोट पाना है तो इसके लिए क्या करना है? वो वही कर रही हैं. मुस्लिम वोटबैंक को तुष्ट करने के लिए स्वयं दुर्गा पंडाल में काबा और मदीना पर झूमती हैं और मुर्शिदाबाद में अगर कट्टरपंथी दुर्गा पंडाल में इस्लामिक नियम कायदा लिखता है, तो ममता और उनकी पार्टी इसका मौन समर्थन करती है. दीदी की चुप्पी के बीच आपको कुछ पुराने तथ्य याद दिलाना चाहते हैं, जिसे जानने की जरूरत है.

  • इसी मुर्शिदाबाद में ममता बनर्जी की सरकार ने 2014 में दुर्गा पंडाल लगाने पर रोक लगा दी थी, जिसपर काफी विवाद हुआ था.

  • इसी मुर्शिदाबाद में जब 2024 में रामनवमी का जुलूस निकाला गया तो कट्टपरंथियों ने पत्थरबाजी की थी.

  • अब इसी मुर्शिदाबाद में दुर्गा पूजा में इस्लामिक व्यवस्था लागू करने की कुत्सित कोशिश की गई है.

इसीलिए भारतीय जनता पार्टी, धर्म को अपमानित करना का आरोप लगा रही है. सुवेंदु अधिकारी कह रहे हैं कि ये पश्चिम बंगाल में अतिवादियों की कट्टरता का बंग्लादेशी संस्करण है. राजनीतिक आक्षेप अपनी जगह है. मगर हिंदुओं की आस्था अपनी जगह पर. जिस देश में सौ करोड़ हिंदू रहते हैं. वहां कुछ जिले में हिंदुओं की आबादी कम हो गई तो इस्लामिक नियम कायदे लागू कर दिए गए. उससे भी ज्यादा शर्मनाक और खतरनाक ये है ये सब दुर्गा पूजा के दौरान दुर्गा पंडाल में हो रहा है. और इस पर सरकार इसलिए चुप है क्योंकि उसे वोटबैंक की चिंता है.

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Rachit Kumar

नवभारत टाइम्स अखबार से शुरुआत फिर जनसत्ता डॉट कॉम, इंडिया न्यूज, आजतक, एबीपी न्यूज में काम करते हुए साढ़े 3 साल से ज़ी न्यूज़ में हैं. शिफ्ट देखने का लंबा अनुभव है.

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