दवाई वाला कैप्सूल दो रंगों का ही क्यों होता है? जानिए इसके पीछे की खास वजह
Knowledge News: कैप्सूल को दो अलग-अलग रंगों का रखने के लिए फार्मास्युटिकल कंपनियां काफी पैसे खर्च करती हैं. लेकिन इसके पीछे की वजह आपको हैरान कर देगी.
नई दिल्ली: क्या आपने कभी सोचा है कि दवाई (Medicine) वाला कैप्सूल (Capsule) दो कलर का ही क्यों होता है? ये एक कलर का भी तो हो सकता है. इसके पीछे की वजह से जानकर आप हैरान रह जाएंगे. दसअसल कैप्सूल के दो रंग के होने की एक खास वजह है. आप भी जानिए कैप्सूल के दो रंग के होने के पीछे की वजह क्या है?
क्यों दो रंग का ही होता है कैप्सूल?
बता दें कि कैप्सूल के दो पार्ट होते हैं और दोनों का रंग अलग होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कैप्सूल का एक पार्ट कैप (Cap) और दूसरा कंटेनर (Contenor) होता है. कैप्सूल के कंटेनर में दवा रखी जाती है और कैप से उसको ढका जाता है. अगर आप कैप्सूल खोलकर देखेंगे तो पाएंगे कि कैप्सूल के एक पार्ट में दवा रखी होती है और दूसरा खाली होता है.
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कैप्सूल के दो रंग का होने के पीछे की वजह
कैप्सूल के कैप और कंटेनर का रंग इसलिए अलग-अलग होता है जिससे कि कैप्सूल को असेंबल करते समय कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों को कोई गलतफहमी ना हो जाए. वो कहीं ये ना भूल जाएं कि कैप्सूल का कौन सा पार्ट कंटेनर है और कौन कैप. गौरतलब है कि कैप्सूल के कैप और कंटेनर का रंग अलग रखने के लिए फार्मास्युटिकल कंपनियों को काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं.
किस चीज से बनता है कैप्सूल?
जान लें कि दवाई वाला कैप्सूल जिलेटिन और सैलूलोज दोनों से बनाया जा सकता है. हालांकि कुछ देशों में जिलेटिन से कैप्सूल बनाने पर प्रतिबंध है. भारत में भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय आदेश जारी कर चुका है कि कैप्सूल बनाने में जिलेटिन की जगह सैलूलोज से बनाया जाए.