Mehbooba Mufti Anti-Bulldozer Bill: जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा को अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से डर लगने लगा है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह बुलडोजर बाब की सरकार नहीं है.
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Why Mehbooba Mufti introduced Anti-Bulldozer Bill: यूपी में दंगाइयों के खिलाफ जैसे-जैसे योगी सरकार की कार्रवाई आगे बढ़ रही है, उसकी धमक जम्मू-कश्मीर तक में सुनी जा रही है. प्रदेश की पूर्व सीएम और अपने पाकिस्तान प्रेम के लिए चर्चित महबूबा मुफ्ती ने असेंबली में 'बुलडोजर विरोधी विधेयक' पेश कर इस मुद्दे को हवा दे दी है. महबूबा ने कहा कि यह 'बुलडोजर बाबा' की नहीं बल्कि एक निर्वाचित सरकार (उमर अब्दुल्ला सरकार) है. उन्होंने उमर सरकार से कहा कि वह केवल राज्य का दर्जा मिलने का इंतज़ार न करें बल्कि जम्मू-कश्मीर की जमीन और नौकरियों की रक्षा के लिए कुछ करें या पीडीपी का समर्थन करें.
यह बुलडोजर बाबा की सरकार नहीं- महबूबा मुफ्ती
जब पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने सदन में 'बुलडोजर विरोधी विधेयक' पेश किया तो बीजेपी ने इसका कड़ा विरोध किया. असेंबली में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने विधेयक और पीडीपी की कड़ी आलोचना करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया.
इसके जवाब में मुफ़्ती ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह बुलडोजर बाबा" की सरकार नहीं है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर ऐसी सरकार नहीं बनेगी जो "बुलडोजर" नीति के तहत काम करे. यह एक निर्वाचित सरकार है और एक विधायक को कानून बनाने के बारे में सोचना चाहिए, न कि उन्हें तोड़ने के बारे में.
निजी विधेयक पेश करने का क्या है मकसद?
बताते चलें कि पीडीपी ने 'जम्मू-कश्मीर भूमि अधिकार और नियमितीकरण विधेयक, 2025' को एक निजी विधेयक के रूप में पेश किया. 'बुलडोजर विरोधी विधेयक' नामक इस प्रस्तावित विधेयक का मकसद मनमाने ढंग से बेदखली को रोकना और उन लोगों को मालिकाना हक प्रदान करना है, जो 30 वर्षों से अधिक समय से लगातार जमीन पर काबिज़ हैं.
मुफ़्ती ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य ज़मीन, रोज़गार और निवासियों के सम्मान की रक्षा करना है, जो उनके अनुसार 2019 से ख़तरे में हैं. मुफ़्ती ने गुलमर्ग भूमि पट्टों के संबंध में स्थानीय होटल मालिकों और व्यवसायों के हितों की रक्षा न करने के लिए नई नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की. उन्होंने दावा किया कि चुनावों के दौरान किए गए वादों के बावजूद सरकार ने कोई मजबूत क़ानूनी रुख़ नहीं अपनाया है.
राजनीतिक नाटक कर रही हैं महबूबा- NC
मुफ़्ती ने तर्क दिया कि 2022 के नियम, जो स्वचालित पट्टों के नवीनीकरण को समाप्त करते हैं और जमीन को खुली बोली के लिए खोलते हैं. इससे सरकारी अधिग्रहण का जोखिम पैदा होता है, जिससे पर्यटन को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार से आग्रह किया कि वह या तो पीडीपी के विधेयक का समर्थन करे या अपना समाधान सुझाए.
जवाब में, नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता तनवीर सादिक ने पीडीपी के कार्यों को राजनीतिक नाटक करार दिया और कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 2019 से पहले के लीज़ ढांचे को बहाल करने के लिए अपना विधेयक पहले ही पेश कर दिया है और आलोचना करने के बजाय, उन्हें जम्मू-कश्मीर की ज़मीन और नौकरियों की रक्षा के लिए कुछ करना चाहिए, न कि केवल राज्य का दर्जा मिलने का इंतज़ार करना चाहिए.
अराजकता बढ़ा रहीं महबूबा मुफ्ती- बीजेपी
मुफ़्ती ने इज़रायल और हमास के बीच संघर्ष विराम समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि रक्तपात कभी शांति नहीं ला सकता. उन्होंने आगे कहा कि यह समझौता उन नेताओं के लिए एक सबक है जो हिंसा पर निर्भर हैं और उन्होंने दोहराया कि बातचीत ही शांति प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता है.
मुफ़्ती ने अरविंद केजरीवाल से तुलना करते हुए सुझाव दिया कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल होने के बावजूद, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री को लोगों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. हालांकि, भाजपा के रमन सूरी ने पीडीपी के प्रस्तावित भूमि विधेयक की निंदा करते हुए इसे गैर-ज़िम्मेदाराना और राजनीति से प्रेरित बताया और मुफ़्ती पर अराजकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.