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DNA: देवबंद पहुंचे तालिबान विदेश मंत्री को कौन सी मिली डिग्री, जिसे पाकर मुत्तकी हो गए गदगद? देखने उमड़े हजारों मुसलमान

DNA on Aamir Muttaqi Deoband Tour News: तालिबानी विदेश मंत्री मुत्तकी शनिवार को देवबंद के दौरे पर पहुंचे तो उन्हें देखने के लिए हजारों मुसलमानों का हुजूम उमड़ पड़ा. लोग उन्हें किसी रहनुमा की तरह हैरत से देख रहे थे. आखिर देवबंद का तालिबान से कनेक्शन क्या है.

DNA: देवबंद पहुंचे तालिबान विदेश मंत्री को कौन सी मिली डिग्री, जिसे पाकर मुत्तकी हो गए गदगद? देखने उमड़े हजारों मुसलमान

DNA on Taliban Foreign Minister visits Deoband: भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी आज उत्तर प्रदेश के दारुल उलूम देवबंद पहुंचे. भारत के प्रसिद्ध इस्लामी शैक्षणिक संस्थान के छात्रों के अंदर तालिबान के विदेश मंत्री को लेकर वैसा ही क्रेज दिख रहा था, जैसा भारत में मशहूर फिल्म स्टारों को लेकर दिखाई पड़ता है. कुछ तस्वीरें ऐसी थीं..जिन्हें देखकर आप कह सकते हैं..कि ये दीवानगी फिल्म स्टारों से भी ज्यादा है. देवबंद में हमेशा मेहमानों का स्वागत दिल खोलकर किया जाता है लेकिन आज से पहले किसी मेहमान की एक झलक पाने के लिए ऐसा हुजूम देवबंद में उमड़ा हो, किसी को याद नहीं आ रहा. आज आपको भी समझना चाहिए कि दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मदरसों में एक दारुल उलूम देवबंद में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री को लेकर इस दीवानगी की वजह क्या है?

मुत्तकी को देखने के लिए उमड़े मुसलमान

क्या भारत और अफगानिस्तान के मजबूत संबंध ने मुत्तकी को लेकर क्रेज को बढ़ाया या फिर दारुल उलूम देवबंद और तालिबान के पुराने और मजबूत संपर्कों की वजह से मुत्ताकी की एक झलक पाने के लिए यहां पर अभूतपूर्व भीड़ जमा हो गई. या फिर तालिबान जिस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है, क्या आज दारुल उलूम देवबंद के छात्र उससे प्रभवित होकर बेकाबू हो गए? आज हम इस दीवानगी की असली वजह का विश्लेषण करेंगे.

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अमीर खान मुत्तकी भी आज दारुल उलूम देवबंद में अपने स्वागत को देखकर हैरान रह गए. मुत्तकी की एंट्री के बाद वहां पर पांव रखने की जगह नहीं बची थी. जहां तक नजर जा रही है, सिर्फ छात्र नजर आ रहे थे. रेलिंग के सहारे खड़े सभी छात्र सिर्फ मुत्तकी की एक झलक पाना चाहते थे. हर तरफ सिर्फ सिर ही सिर नजर आ रहे थे. मुत्तकी के देवबंद के अंदर आते ही व्यवस्था करने में पुलिस के हाथ पांव फूल गए क्योंकि छात्र सुरक्षा घेरा तोड़कर मुत्तकी की गाड़ी के पास जाना चाहते थे.

मुत्तकी की कार से छात्रों को दूर करने के लिए पुलिस को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा. धीरे धीरे मुत्तकी की गाड़ी आगे बढ़ रही थी. उनकी गाड़ी पर फूल बरसाए गए. भीड़ मुत्तकी की एक झलक पाने के लिए इतनी बेताब थी कि मुत्तकी को कार से बाहर निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. मुत्तकी से कार से निकलकर भीड़ को देखा अपना हाथ हिलाया. इस दौरान रेलिंग से छात्र ऐसे लटके जा रहे थे..कि हादसे की आशंका भी सताने लगी. ऐसा स्वागत मुत्तकी के लिए भी अभूतपूर्व था.

तालिबानी विदेश मंत्री अब कहलाएंगे 'कासमी'

मुत्तकी दारुम उलूम के अंदर गए तो उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ लग गई. बड़े बड़े मौलाना चाहते थे कि मुत्तकी के साथ एक फोटो हो जाए. इसके बाद मुत्तकी का दारुल उलूब की लाइब्रेरी में प्रमुख उलमा ने स्वागत किया. यहीं पर अफगानिस्तान के विदेश मंत्री को एक नई उपाधि मिल गई. देवबंद में तालिबान के मंत्री को देखने के लिए आस पास के जिलों से भी मु​सलमान पहुंचे थे. जिनकी संख्या 15 से 20 हजार थी. तालिबान के मंत्री को देखने की इतनी चाहत देवबंद के आस पास रहने वाले लोगों में थी कि वो अपना सारा काम छोड़कर देवबंद आ गए थे. इसमें से कई लोग मुत्तकी के काफिले के साथ ही सेल्फी लेकर उसका वीडियो बनाकर खुद को धन्य महसूस कर रहे थे. 

यहां पर लोगों ने बताया, देवबंद में तालिबान के मंत्री को लेकर ऐसा जूनून था, जो आज से पहले किसी मेहमान के लिए कभी नहीं दिखा. यही वजह है कि मुत्तकी भी भारत में इस स्वागत से गदगद थे. मुत्तकी की टीम भी यहां का वीडियो बना रही थी, जिसे अफगानिस्तान में भी दिखाया जाएगा. 

आज दारुल उलूम देवबंद में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री ने एक ऐसा सबक पढ़ा..जिसने उनके रुतबे को और बढ़ा दिया है. मुत्तकी ने दारुल उलूम के प्रशासक मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी से हदीस का सबक पढ़ा. दारुल उलूम के प्रशासक से मुत्तकी ने इस सबक को दूसरों से पढ़ाने की इजाज़त भी ली. इसे हदीस-ए-सनद कहते हैं. इसके बाद कोई भी व्यक्ति मदरसे में ली गई शिक्षा दूसरों को देने का अधिकारी हो जाता है. इसके योग्य माना जाता है. इसे आप दारुल उलूम की डिग्री भी कह सकते हैं. हदीस की इजाजत मिलने के बाद अब मुत्तकी के नाम के आगे कासमी जुड़ गया है. अब अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अपना पूरा नाम 'मौलाना अमीर खान मुत्तकी कासमी' लिख सकेंगे.

महिला पत्रकारों को बाहर रखने पर घिरा तालिबान

यानी मुत्तकी के लिए देवबंद दौरा इसलिए भी यादगार है क्योंकि वो यहां से एक डिग्री लेकर जा रहे हैं. तालिबान नेता दारुल उलूम देवबंद का काफ़ी सम्मान करते हैं. तालिबान के कई सीनियर कमांडरों और नेताओं ने पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के दारुल उलूम हक्कानिया में शिक्षा ली है. हक्कानिया की स्थापना भी देवबंद के दारुल उलूम की तर्ज़ पर हुई है और देवबंद में भी कई अफगानी छात्र पढ़ने आते हैं. लेकिन अब आप ये भी जानिए आखिरकार क्यों मुत्तकी को लेकर देवबंद में दीवानगी दिखाई दी.

ज्यादातर लोगों का मानना है. मुत्तकी का देवबंद में स्वागत वाकई अभूतपूर्व था. इसकी वजह अमेरिका है क्योंकि तालिबान अमेरिका के खिलाफ जंग लड़ता रहा है. इसलिए उसके विदेश मंत्री भारतीय मुसलमानों के बीच हीरो की हैसियत रखते हैं. कुछ लोग ये भी कह रहे थे, कि भारत और अफगानिस्तान के बीच अच्छे संबंध हैं..इसलिए उनका जोरदार स्वागत किया गया.

मुत्तकी आज देवबंद गए तो कल ताजमहल देखने आगरा जाएंगे. लेकिन उनके देवबंद दौरे से पहले एक विवाद भी जुड़ गया. दिल्ली में गुरुवार को मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री पर पाबंदी की खबर के बाद देश में हंगामा शुरू हो गया. विपक्ष सीधे भारत सरकार से इसका जवाब मांग रहा है. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल पूछा, 'प्रधानमंत्री जी, कृपया तालिबान के प्रतिनिधि की भारत यात्रा के दौरान आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को बाहर रखने पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें. भारत की कुछ सबसे सक्षम महिलाओं का अपमान हमारे देश में कैसे होने दिया गया?'

महिलाओं को बाहर रखना हमारी नीति नहीं- तालिबान

कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के कई नेताओं ने ऐसे ही सवाल खड़े किए. ये विपक्षी नेताओं के आरोप थे. लेकिन इनका जवाब विदेश मंत्रालय की तरफ से आ गया. विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस से भारत सरकार का कोई लेना देना नहीं है. मंत्रालय की तरफ से पत्रकारों को नहीं बुलाया गया था. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस अफगानी एंबेसी में हुई थी और अफगानिस्तान के काउंसिल जनरल ने ही 10 अक्टूबर को चुनिंदा पत्रकारों को आमंत्रण भेजा था. अफगान दूतावास भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.

हालांकि ये भी सच्चाई है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल चुनिंदा पुरुष पत्रकार और अफगान दूतावास के अधिकारी ही शामिल हुए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक भी महिला पत्रकार नहीं थी. ये सवाल अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्तकी से भी पूछा गया. मुत्तकी ने कहा कि महिलाओं की एंट्री पर बैन में उनका हाथ नहीं है तो सवाल उठता है कि ये हुआ कैसे. इस पर अफगान तालिबान प्रवक्ता की सफाई भी आई है.

अफगान तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन के मुताबिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को शामिल न करना अफगान नीति नहीं है. ये घटना किसी भेदभाव के कारण नहीं बल्कि अनजाने में हुई. पास की संख्या सीमित थी इसलिए कई पत्रकार प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आ पाए. तालिबान प्रवक्ता ने बताया मुत्तकी काबुल में अक्सर महिला पत्रकारों से मिलते हैं. उन्होंने कहा कि भविष्य में भारत दौरे पर महिला पत्रकारों को शामिल किया जाएगा यानी तालिबान इस पूरे विवाद को अनजाने में हुई गलती बता रहा है. मुत्तकी खुद बोल रहे हैं इसमें उनका रोल नहीं है.

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Devinder Kumar

अमर उजाला, नवभारत टाइम्स और जी न्यूज चैनल में काम कर चुके हैं. अब जी न्यूज नेशनल हिंदी वेबसाइट में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और जियो पॉलिटिकल मामलों पर गहरी पकड़ हैं....और पढ़ें

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