'जब तक युद्ध का परिणाम', राज ठाकरे ने किया परहेज; बेटे अमित ने PM मोदी को क्‍यों लिखा पत्र?
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'जब तक युद्ध का परिणाम', राज ठाकरे ने किया परहेज; बेटे अमित ने PM मोदी को क्‍यों लिखा पत्र?

Raj Thackeray: महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) नेता राज ठाकरे अतीत में बीजेपी की खुलकर तारीफ करते रहे हैं लेकिन हालिया वक्‍त में वो कई बार आलोचना करते भी दिखते हैं. 

'जब तक युद्ध का परिणाम', राज ठाकरे ने किया परहेज; बेटे अमित ने PM मोदी को क्‍यों लिखा पत्र?

Operation Sindoor: महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) नेता राज ठाकरे अतीत में बीजेपी की खुलकर तारीफ करते रहे हैं लेकिन हालिया वक्‍त में वो कई बार आलोचना करते भी दिखते हैं. महाराष्‍ट्र में होने जा रहे निकाय चुनावों को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्‍या वो बीजेपी के साथ गठबंधन करेंगे? ऐसा इसलिए क्‍योंकि बीच में उद्धव ठाकरे के साथ भी उनके गठबंधन की चर्चाएं उड़ती रही हैं. इन सबसे इतर राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिखा है. उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के लिए केंद्र सरकार के कदम की सराहना की. साथ ही उन्होंने यह भी अपील की है कि जब तक युद्ध का परिणाम स्पष्ट नहीं हो जाता, तब तक हम जीत का जश्न मनाने से बचें.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता अमित राज ठाकरे ने पत्र में लिखा, "आपके (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) नेतृत्व में देश ने कई महत्वपूर्ण मील के पत्थरों पर निर्णायक प्रगति की है. आपके द्वारा लिए गए कठोर किंतु आवश्यक निर्णयों के लिए धन्यवाद, विशेषकर राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में, जो राष्ट्रीय हित के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं. सीमा पर वर्तमान स्थिति के कारण जनता का ध्यान पूरी तरह से हमारी भारतीय सेना पर केंद्रित हो गया है. 'ऑपरेशन सिंदूर' में हमारे बहादुर सैनिकों द्वारा दिखाया गया साहस, अनुशासन, समर्पण और बलिदान पूरे देश के लिए गौरव और गर्व का स्रोत है. भारतीय सेना ने अपनी बहादुरी से पूरे देश के दिल में अपनी जगह बना ली है."

उन्होंने कहा, "आज देश के हर घर, चौराहे और सोशल मीडिया के माध्यम से सैनिकों के काम को सलाम किया जा रहा है. आज देश सेना के हर कदम को प्यार और गर्व से देखता है. उनकी अद्वितीय बहादुरी के कारण ही हम सुरक्षित हैं और इसलिए उनका कार्य किसी भी सम्मान से बड़ा है. इस पृष्ठभूमि में, वर्तमान में कुछ स्थानों पर विजय के प्रतीक के रूप में क्रियान्वित की जा रही पहलों को लेकर समाज में भावनात्मक भ्रम की स्थिति है. यह स्थिति विजय की नहीं, बल्कि युद्धविराम की है और इसलिए, जिस अवधि में हमारे बहादुर सैनिकों ने अपनी जान गंवाई, उसी अवधि के दौरान मनाए जाने वाले समारोह कई लोगों के लिए दिल तोड़ने वाले होते हैं."

'जश्‍न मनाने से बचें...'
अमित राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील करते हुए कहा, "इस समय यदि कुछ व्यक्त करना है तो वह है हमारे सैनिकों का बलिदान, उनकी बहादुरी की कहानियां और उनके परिवारों का अद्वितीय साहस. लेकिन, वर्तमान में कुछ स्थानों पर हो रहे खुशी के प्रदर्शन या 'विजय जुलूस' (मुख्यतः राजनीतिक प्रकृति के) उचित नहीं लगते. वास्तव में इस समय देशवासियों के दिल में एक ही भावना है, शहीद सैनिकों के परिवारों के लिए दीर्घकालिक कल्याणकारी उपायों की आवश्यकता, तथा एक समाज के रूप में हमें इस बलिदान के प्रति अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त, वर्तमान स्थिति को देखते हुए देश में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है."

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उन्होंने कहा, "उदाहरण के लिए, पहलगाम में हुआ क्रूर आतंकवादी हमला, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई थी. आज भी लोगों के मन में ताजा है. वास्तविक जनभावना उन क्रूर चरमपंथियों के विरुद्ध ठोस और निर्णायक कार्रवाई की है. इसके अलावा, पिछले कुछ दिनों में भारत-पाकिस्तान सीमा पर हमारे कुछ नागरिकों और सैनिकों ने अपनी अमूल्य जानें गंवाई हैं. ऐसी पृष्ठभूमि में जीत का जश्न मनाने के बजाय समाज में इस संबंध में साक्षरता, जागरूकता और संवेदनशीलता पैदा करना अधिक उपयुक्त होगा. इसके अलावा, भले ही फिलहाल युद्धविराम की घोषणा कर दी गई है, लेकिन पाकिस्तान के पिछले इतिहास को देखते हुए उन पर पूरी तरह भरोसा करना मुश्किल है. इससे पहले भी वह कई बार ऐसे अवसरों पर असफल हो चुके हैं. इसलिए, नागरिकों को ऐसी परिस्थितियों के बारे में जागरूक रखना, उन्हें युद्ध जैसी स्थिति में क्या करना है, इस बारे में मार्गदर्शन देना तथा उन्हें मानसिक रूप से तैयार करना भी सरकार की नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए."

अमित ठाकरे ने कहा, "पीएम मोदी आज भी देशवासियों को यह भरोसा है कि आप सैनिकों के योगदान के प्रति संवेदनशील हैं, कृतज्ञ हैं और इसलिए, इस पत्र के माध्यम से, मैं ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि जब तक युद्ध का परिणाम स्पष्ट नहीं हो जाता, हम जीत का जश्न मनाने से बचें और देश के लिए शहीद हुए नायकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में इस दौरान संयम बरतें. हमें अपने निर्णायक नेतृत्व पर भरोसा है और आशा है कि हम इन भावनाओं को ध्यान में रखेंगे."

(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस के साथ)

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