Power of Rafale: ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान का हाल क्या किया, ये तो सबूत के साथ दुनिया ने देखा लिया है. लेकिन जब चीजें कयास के आधार पर चल रही थीं, तब दुनिया के बड़े बड़े अखबार भारत के खिलाफ झूठी खबरें छाप रहे थे. सब के सब बस किसी तरह ये प्रूव करने पर तुले थे कि पाकिस्तान ने भारत का रफाल फाइटर जेट गिरा दिया है.
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Why Rafale is So Reliable: ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान का क्या हाल किया ये दुनिया जानती है. लेकिन भारत के डिफेंस सेक्टर को बदनाम करने में पूरा पश्चिमी मीडिया जुटा है. पाकिस्तान के खिलाफ जिस तरह से मेड इन इंडिया, मेड इन फ्रांस और मेड इन RUSSIA हथियारों ने धूम मचाई है, लगता है उससे वेस्टर्न मीडिया को कोई दिक्कत हो रही है.
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान का हाल क्या किया, ये तो सबूत के साथ दुनिया ने देखा लिया है. लेकिन जब चीजें कयास के आधार पर चल रही थीं, तब दुनिया के बड़े बड़े अखबार भारत के खिलाफ झूठी खबरें छाप रहे थे. सब के सब बस किसी तरह ये प्रूव करने पर तुले थे कि पाकिस्तान ने भारत का रफाल फाइटर जेट गिरा दिया है. लेकिन क्यों.. भारत के रफाल जेट से दुनिया को दिक्कत क्या है.
#DNAWithRahulSinha | US-ब्रिटेन की मीडिया को रफाल से ईर्ष्या? भारत के हथियारों से क्यों जल रहे पश्चिमी देश?#DNA #IndiaPakistanNews #Rafale @RahulSinhaTV pic.twitter.com/3wLSSYq0rI
— Zee News (@ZeeNews) May 16, 2025
खीज निकालने में जुटा पश्चिमी मीडिया
फ्रांस में भारत के पूर्व राजदूत जावेद अशरफ इस मुद्दे पर क्या कहते हैं, चलिए आपको बताते हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, 'बिना फैक्ट सामने आए ब्रिटिश और दूसरे पश्चिमी मीडिया चलाने लगे कि पाकिस्तानी एयरफोर्स भारतीय वायुसेना पर भारी पड़ी. उन्होंने थोड़ा भी इंतजार नहीं किया. याद रखिएगा ये एक नैरेटिव था जो उन्होंने सामने रखा. खासतौर से अमेरिका और ब्रिटिश मीडिया ने जमकर यह नरैटिव फैलाया. इसकी मुख्य वजह 'कॉमर्शियल हित' है. वे खासतौर से एक एयरक्राफ्ट को टारगेट कर रहे थे '
जावेद अशरफ जिस एयरक्राफ्ट की तरफ इशारा कर रहे हैं उसका नाम है रफाल. जिस रफाल फाइटर जेट के सामने पाकिस्तान पस्त हो गया, उस रफाल के क्रैश होने का झूठा दावा अमेरिका, ब्रिटेन और चीन के अखबार क्यों कर रहे हैं. पाकिस्तान अगर ये झूठ बोलता है तो एक बार को समझ में भी आता है लेकिन रफाल को लेकर झूठी खबरें छापने के पीछे इस देशों का क्या हित है. आज हम इसी बारे में आपको बता रहे हैं. इसके तीन स्क्रीनशॉट वायरल हो रहे हैं.
तीन एजेंसियों ने चलाई झूठी खबरें
BLOOMBERG की एक रिपोर्ट में ये दावा किया जा रहा है कि चीन के हथियारों की विश्वनीयता बढ़ी है. इसी आर्टिकल में ये झूठा दावा किया गया कि पाकिस्तान ने रफाल समेत भारत के पांच फाइटर जेट्स गिरा दिए हैं. दूसरी न्यूज क्लिप है न्यूयॉर्क टाइम्स की. इस अमेरिकी अखबरा ने भी छापा की भारत के फाइटर जेट्स मार गिराए गए हैं.. जिनमें रफाल भी शामिल है. इनकी खबर का सोर्स क्या था. पाकिस्तानी डिफेंस सोर्स. बिना नाम लिए अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट को कोट कर रहे थे. कुल मिलाकर इनके पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था. लगता है इन्हें रफाल के गिरने की खबर छापने की जल्दी थी.
तीसरा आर्टिकल ब्रिटिश न्यूज एजेंसी REUTERS ने छापा.. यहां भी रफाल के गिरने का झूठा और बेबुनियाद दावा कर दिया गया. इन अखबारों ने ऐसी खबरें क्यों छापीं जवाब जानते हैं? जवाब ये है कि रफाल के गिरने की खबर अमेरिकी और ब्रिटिश नैरेटिव को सूट करता है. ये खेल बड़ा पेचीदा और लंबा है, जिसे हम आसान भाषा में समझा देते हैं.. इसके पीछे 4 वजह हैं.
भारत ने चुना था रफाल
पहली वजह ये की भारत ने अमेरिकी F-16, F-18 और यूरोपीयन फाइटर जेट यूरोफाइटर टाइफून की जगह रफाल को चुना था. दूसरी वजह ये है कि भारत आगे भी फाइटर जेट्स खरीदने का प्लान बना रहा है, जिसकी रेस में अमेरिका और यूरोप की फाइटर जेट्स हैं. तीसरी वजह- भारत ने अमेरिका के थाड एयर डिफेंस सिस्टम की जगह S-400 को चुना. चौथी और सबसे अहम वजह- भारत-पाकिस्तान के बीच इस संघर्ष में रफाल के सामने चीन और अमेरिकी फाइटर जेट का फेल होना है.
भारत ने मांगा था कोटेशन
दरअसल भारत ने साल 2008 में 126 फाइटर जेट्स की खरीद के लिए दुनियाभर की फाइटर जेट्स बनाने वाली कंपनियों से उनका QUOTATION मांगा था. इस रेस में कई कंपनियां शामिल थीं. अमेरिकी फाइटर जेट F-16, अमेरिकी फाइटर जेट F-18 HORNET, रूस का MIG-35, स्वीडन की ग्रिपेन फाइटर जेट, और यूरोपियन फाइटर जेट यूरोफाइटर टाइफून. लेकिन भारत ने इन सब से ऊपर चुना रफाल को.
कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के इस संघर्ष के बीच अमेरिकी और यूरोपीय देशों को अपनी खीज निकालने का मौका मिल गया. पाकिस्तान ने जैसे ही रफाल को गिराने का दावा किया. इन देशों के अखबारों ने बिना फैक्ट चेक किए खबर छापनी शुरू कर दी.
रफाल से पश्चिमी देशों के जलन की दूसरी वजह समझिए. भारत को को अभी भी 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स की जरूरत है. एक बार फिर से भारत में Medium Multi-Role Combat Aircraft की एक रेस शुरू होने वाली है, जहां एक बार फिर ये कंपनियां भारत को अपना एयरक्राफ्ट बेचना चाहेंगे. यही वजह है कि पश्चिमी देशों के मीडिया हाउस, वहां के अखबार रफाल को कमतर दिखाने में जुटे हैं. लेकिन अगर इनकी ऑपरेशनल हिस्ट्री को देखें तो रफाल इस रेस में बहुत आगे दिख रहा है.
बस एक बार क्रैश हुआ रफाल
बीते पांच सालों में रफाल सिर्फ एक बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है. बल्कि इतने ही वक्त में F-16, 20 बार क्रैश हो चुका है. पाकिस्तान एयर फोर्स भी F-16 का इस्तेमाल करती है. PAF के एक F-16 को तो अभिनंदन वर्धमान ने 2019 में मार गिराया था. वहीं अगर अमेरिका के F-18 हॉर्नेट की बात करें तो बीते एक साल में तीन F-18 तो रेड सी में गिर चुके हैं. पांच साल में करीब 6, F-18 क्रैश हो चुके हैं. यूरोफाइटर टाइफून भी बीते पांच साल में 6 बार क्रैश हो चुका है.
आंकड़े बता रहे हैं कि आसमान का भरोसेमंद साथी रफाल ही है और यही आंकड़े भारतीय वायुसेना भी अगली डील से पहले जरूर देखेगी. ऐसे में वेस्टर्न मीडिया की खीज की वजह साफ साफ पता चल रही है.
एक कहावत है.. खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे.. रफाल के साथ साथ S-400 की कामयाबी को भी देखकर अमेरिकी लॉबी की हालत उसी खिसियाई हुई बिल्ली की तरह है. दरअसल अमेरिका चाहता था कि भारत उनके THAD एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदे. लेकिन भारत ने S-400 को चुना. क्या अमेरिकी मीडिया इसीलिए S-400 पर हमले की खबर को छापने में जल्दबाजी कर बैठा वो भी बिना वेरिफाई किए हुए. S-400 के फेल होने की झूठी खबर को छाप दिया.
एस-400 के पीछे पड़े हैं पश्चिमी देश और चीन
S-400 के पीछे तो चीन भी हाथ धोकर पड़ा है..चीनी मीडिया ने भी ये दावा कर दिया कि JF-17 थंडर से हाइपरसॉनिक मिसाइल के जरिए आदमपुर एयरबेस पर तैनात S400 मिसाइल सिस्टम को निशाना बनाया गया है. अपने हथियारों की चीन ने खूब तारीफ की.
लेकिन चीन और अमेरिका के अखबारों के ये दावे भी तब फेल हो गए जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदमपुर एयरबेस पर पहुंचे और बैकग्राउंड में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ऑपरेशन कंडिशन में दिखा.
तो कुल मिलाकर मामला COMMERCIAL यानी आर्थिक हित का ही लगता है क्योंकि अमेरिका और यूरोपियन मीडिया रफाल से इसीलिए जल रहे हैं क्योंकि भारत ने उनके फाइटर जेट्स की जगह रफाल को चुना और आगे वो रफाल को कमतर दिखाकर भारत को अपने फाइटर जेट्स बेचना चाहते हैं. और चीन इसलिए भारत के हथियारों को नीचा दिखा रहा है क्योंकि भारत के फाइटर जेट्स. मिसाइल्स और ड्रोन्स ने उनके फाइटर जेट्स से लेकर एयर डिफेंस सिस्टम तक को खूब मारा, जिससे अब उन्हें दुनिया में कोई दूसरा खरीददार नहीं मिलने वाला है.