एंबुलेंस के लिए नहीं थे पैसे तो... पत्नी को ठेले पर ले जानी पड़ी पति की लाश
Advertisement

एंबुलेंस के लिए नहीं थे पैसे तो... पत्नी को ठेले पर ले जानी पड़ी पति की लाश

गुरुवार सुबह एक पत्नी को एंबुलेंस न मिल पाने के कारण अपने पति के शव को ठेले पर लादकर जे जाना पड़ा.

रायपुर से फिर एक बार ऐसी खबर आई जिसमें शव को एंबुलेंस नसीब नहीं हुआ

सत्य प्रकाश, रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक घटना सामने आई है. रायपुर से फिर एक बार ऐसी खबर आई जिसमें शव को एंबुलेंस नसीब नहीं हुआ. जानकारी के मुताबिक ताजा मामला रायपुर स्थित एम्स  (AIIMS) अस्पताल से जुड़ा हुआ है. जहां गुरुवार सुबह एक पत्नी को एंबुलेंस न मिल पाने के कारण अपने पति के शव को ठेले पर लादकर जे जाना पड़ा. हालांकि यह खबर फैलने में देर नहीं लगी और जैसे ही इसकी भनक स्थानीय पुलिस को लगी उसने शव को एक ऑटो में रखवाकर रवाना किया.

  1. एक पत्नी को एंबुलेंस न मिलने के कारण अपने पति के शव को ठेले पर ले जाना पड़ा
  2. कई मंत्रियों, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री का दरवाजा भी इलाज के लिए खटखटाया
  3. एम्स प्रबंधन ने जवाब दे दिया था कि अब लास्ट कंडीशन है बचना मुश्किल है

ओडिशा में सबसे पहले सामने आई थी ऐसी घटना
आपको यहां याद दिला दें कि ऐसी ही एक घटना अगस्त 2016 में ओडिशा के कालाहांडी जिले में सामने आई थी, जहां एक आदिवासी को अपनी पत्नी के शव को अपने कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा था. उसे भी अस्पताल से शव को घर तक ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल सका था. इसके बाद देश के कई इलाकों से ऐसी खबरें सामने आई थीं.

पैसों के अभाव में ठेला बना सहारा
रायपुर में घटी इस घटना में भी मौत के बाद शव ले जाने के लिए महिला को जब एंबुलेंस नहीं मिल पाई तो मृतक संजय शर्मी का पत्नी मधु अपनी मददगार संगीता की मदद से ठेले पर शव रखकर ले जाने लगी. ठेले पर ले जाने की वजह दरअसल यह थी कि फ्री एंबुलेंस सेवा मिलने में ज्यादा ही देरी हो रही थी और उनके पास अन्य कोई एंबुलेंस या वाहन करने के पैसे नहीं थे. बता दें कि बीती रात इलाज के दौरान संजय शर्मा की मौत हो गई थी. मृतक का परिवार रायपुर के कबीर नगर इलाके में रहता था. मृतक संजय शर्मा के परिवार में उसकी पत्नी मधु के अलावा एक 4 साल की बेटी भी है.

fallback

नहीं मिली कोई आर्थिक मदद
जी न्यूज से हुई बातचीत में मृतक के इलाज में मददगार रहीं संगीता ने कहा, "फ्री एम्बुलेंस सेवा के नंबर पर सहायता केंद्र फोन लगाया लेकिन 5 मिनट कह कर बहुत देर तक एम्बुलेंस नहीं आने पर ठेला पर शव को ले जा रहे थे क्योंकि पैसे नहीं थे. इलाज के अभाव में मौत हो गई. पहले प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर बोल रहे थे और महंगा इंजेक्शन लगेगा, हम कहां से लाते महंगा इंजेक्शन... खुद को बेचना पड़ता... एम्स प्रबंधन ने जवाब दे दिया था कि अब लास्ट कंडीशन है बचना मुश्किल है. कई मंत्रियों, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री का दरवाजा भी इलाज के लिए खटखटाया लेकिन कहीं कोई मंत्री मिला नहीं तो किसी ने सिर्फ इलाज के लिए कागज पकड़ाया... कोई आर्थिक मदद नहीं मिली."

दोनों फेफड़े हो गए थे खराब
जानकारी के मुताबिक संजय शर्मा एक प्राइवेट फैक्ट्री में काम करता था. उसके फेफड़े में धूल जमने से दोनों फेफड़े खराब हो गए थे. वह काफी लंबे वक्त से बीमार चल रहा था. अंबेडकर अस्पताल के साथ-साथ एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने के बाद अब उसका इलाज एम्स में चल रहा था.

fallback

Trending news