आधार नहीं होने पर करगिल शहीद की विधवा को अस्पताल ने नहीं किया भर्ती, तड़पते-तड़पते तोड़ा दम
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आधार नहीं होने पर करगिल शहीद की विधवा को अस्पताल ने नहीं किया भर्ती, तड़पते-तड़पते तोड़ा दम

 सोनीपत के अस्पताल ने महिला का इलाज करने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया था क्योंकि महिला के परिजनों के पास इस महिला का ऑरिजनल आधार कार्ड नहीं था. 

सोनीपत में करगिल शहीद की विधवा शकुंतला को ओरिजनल आधार कार्ड ना होने पर अस्पताल ने भर्ती करने से इंकार किया, इलाज में देरी के चलते हुई मौत (फोटोः एएनआई)

नई दिल्लीः हरियाणा में निजी अस्पताल की लापरवाही के चलते करगिल शहीद की विधवा की मौत का मामला समाने आया है. सोनीपत के इस अस्पताल ने महिला का इलाज करने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया, क्योंकि महिला के परिजनों के पास इस महिला का ऑरिजनल आधार कार्ड नहीं था. महिला के बेटे ने अस्पताल को अपने फोन में आधार कार्ड दिखा दिया था, लेकिन अस्पताल की संवेदनहीनता का आलम यह रहा कि वह ओरिजनल आधार कार्ड लाने पर ही अड़ा रहा और समय पर इलाज नहीं होने पर महिला की मौत हो गई.

  1. सोनीपत के निजी अस्पताल ने शहीद की विधवा को भर्ती करने से मना किया
  2. ओरिजनल आधार नहीं होने के चलते अस्पताल ने भर्ती नहीं किया, इलाज में हुई देरी 
  3. शकुंतला देवी के पति लक्ष्मण दास 1999 में करगिल युद्ध में शहीद हुए थे

महिला के परिजनों की मानें तो मौके पर पहुंची पुलिस ने भी प्राइवेट अस्पताल का ही साथ दिया. महिला के बेटे पवन ने बताया कि, 'मैं अपनी मां को सीरियस कंडीशन में अस्पताल लेकर आया था. अस्पताल वालों ने मुझसे आधार कार्ड मांगा, लेकिन मेरे पास मेरी माता जी के आधार कार्ड की कॉपी मेरे फोन में थी मैंने वो दिखाई थी, मैंने कहा भी था कि मैं एक घंटे के अंदर ओरिजनल आधार कार्ड लेकर आ जाऊंगा, लेकिन आप इलाज तो शुरू करें, पर अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया.'

 

 

सोनीपत के महलाना गांव के पवन के पिता लक्ष्मण दास 1999 में करगिल युद्ध में शहीद हुए थे. उनकी माता जी शकुंतला देवी पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थीं. गुरुवार शाम को शकुंतला देवी की तबीयत फिर से खराब हो गई तो उन्हें सेना कार्यालय स्थित अस्पताल ले जाया गया जहां से उन्हें निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई, जब बेटा पवन अपनी बीमार मां को लेकर निजी अस्पताल पहुंचा तो अस्पताल की संवेदनशीलता के चलते इलाज में देरी हुई और शकुंतला देवी की मौत हो गई.  

 

इस मामले के मीडिया के सामने आने पर अस्पताल अब लीपापोती में लग गया है. अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि, 'हमने इलाज के लिए मना नहीं किया है, इस बात पर गौर किया जाए कि वह(पवन) मरीज को अस्पताल लेकर आया ही नहीं, हमने किसी को भी आधार की वजह से इलाज करने के लिए नहीं रोका है, आधार जरूरी है लेकिन इलाज के लिए नहीं, सिर्फ कागजी कार्रवाई के लिए' 

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