सोनीपत के अस्पताल ने महिला का इलाज करने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया था क्योंकि महिला के परिजनों के पास इस महिला का ऑरिजनल आधार कार्ड नहीं था.
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नई दिल्लीः हरियाणा में निजी अस्पताल की लापरवाही के चलते करगिल शहीद की विधवा की मौत का मामला समाने आया है. सोनीपत के इस अस्पताल ने महिला का इलाज करने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया, क्योंकि महिला के परिजनों के पास इस महिला का ऑरिजनल आधार कार्ड नहीं था. महिला के बेटे ने अस्पताल को अपने फोन में आधार कार्ड दिखा दिया था, लेकिन अस्पताल की संवेदनहीनता का आलम यह रहा कि वह ओरिजनल आधार कार्ड लाने पर ही अड़ा रहा और समय पर इलाज नहीं होने पर महिला की मौत हो गई.
महिला के परिजनों की मानें तो मौके पर पहुंची पुलिस ने भी प्राइवेट अस्पताल का ही साथ दिया. महिला के बेटे पवन ने बताया कि, 'मैं अपनी मां को सीरियस कंडीशन में अस्पताल लेकर आया था. अस्पताल वालों ने मुझसे आधार कार्ड मांगा, लेकिन मेरे पास मेरी माता जी के आधार कार्ड की कॉपी मेरे फोन में थी मैंने वो दिखाई थी, मैंने कहा भी था कि मैं एक घंटे के अंदर ओरिजनल आधार कार्ड लेकर आ जाऊंगा, लेकिन आप इलाज तो शुरू करें, पर अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया.'
I said that I will get Aadhaar in an hour or so, meanwhile begin with the treatment but the hospital refused to do so: Pavan Kumar,son #Sonipat pic.twitter.com/rKkBOyMIXF
— ANI (@ANI) December 29, 2017
सोनीपत के महलाना गांव के पवन के पिता लक्ष्मण दास 1999 में करगिल युद्ध में शहीद हुए थे. उनकी माता जी शकुंतला देवी पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थीं. गुरुवार शाम को शकुंतला देवी की तबीयत फिर से खराब हो गई तो उन्हें सेना कार्यालय स्थित अस्पताल ले जाया गया जहां से उन्हें निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई, जब बेटा पवन अपनी बीमार मां को लेकर निजी अस्पताल पहुंचा तो अस्पताल की संवेदनशीलता के चलते इलाज में देरी हुई और शकुंतला देवी की मौत हो गई.
We never denied them treatment. Please note that he never got the patient to the hospital. We have never stopped any treatment due to Aadhaar card ever. It is mandatory, not for treatment, but for documentation process: Doctor #Sonipat #Haryana pic.twitter.com/MKOtcckZ73
— ANI (@ANI) December 29, 2017
इस मामले के मीडिया के सामने आने पर अस्पताल अब लीपापोती में लग गया है. अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि, 'हमने इलाज के लिए मना नहीं किया है, इस बात पर गौर किया जाए कि वह(पवन) मरीज को अस्पताल लेकर आया ही नहीं, हमने किसी को भी आधार की वजह से इलाज करने के लिए नहीं रोका है, आधार जरूरी है लेकिन इलाज के लिए नहीं, सिर्फ कागजी कार्रवाई के लिए'