Supreme Court News on Marital Dispute: अगर आपके घर में आए दिन लड़ाई होती रहती है तो आपको सोचने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हो रहा है. देश में वैवाहिक विवाद के बढ़ रहे मामलों पर अब सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है.
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Supreme Court Comment on Marital Dispute: कोई परिवार तभी बनता है, जब उसके सदस्यों में प्यार और सहयोग हो. पति-पत्नी किसी भी परिवार की रीढ़ होते हैं. लेकिन बदलते दौर में अब पति-पत्नी के झगड़े कोर्ट की दहलीज तक पहुंच रहे हैं. जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक वैवाहिक विवाद मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि पत्नी को लट्टू की तरह अपने पति को चारों ओर नहीं घुमाना चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि बच्चों की भलाई के लिए कपल को अपना ईगो छोड़कर साथ रहने पर विचार करना चाहिए.
क्या है मामला, जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में केस दायर करने वाले पति-पत्नी दोनों सरकारी नौकरी में हैं. पत्नी पटना में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी करती हैं, जबकि पति दिल्ली में भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं. दोनों की शादी 2018 में हुई थी, जिसके बाद उन्हें एक बेटी और एक बेटा हुआ.
शादी के बाद से आनी शुरू हो गई दूरियां
शादी के कुछ साल बाद दोनों में दूरियां आनी शुरू हो गईं और 2023 में पत्नी अपने पति का घर छोड़कर पटना में अपने मां-बाप के साथ रहने लगीं. पति का आरोप है कि पत्नी चाहती है कि वह पटना में अपने सास-ससुर के घर घरजमाई बनकर रहे. लेकिन वह इसके सख्त खिलाफ है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पत्नी ने अपने पति के खिलाफ वैवाहिक विवाद केस दर्ज करवाया, जो लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. इसी दौरान पत्नी ने केस को दूसरी शिफ्ट करने की भी याचिका दी.
कोर्ट ने कपल को समझाने की कोशिश की
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने दोनों को समझाने की कोशिश की. अदालत ने कहा कि कोर्ट का मकसद झगड़ा बढ़ाना नहीं बल्कि रिश्तों को संभालना है. कोर्ट ने कपल से कहा कि वे इस बात को ध्यान रखें कि उनके ईगो की वजह से उनके दोनों छोटे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.
'दिल बड़ा दिखाते हुए परिवार के बारे में सोचें'
अदालत ने कहा कि माता-पिता दोनों को अपने अहंकार को किनारे रखकर बच्चे के भविष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए. कोर्ट ने पत्नी से कहा कि वह पति को लट्टू की तरह अपने चारों ओर घुमाने की नहीं सोचे. केस में कोई भी फैसला देने के बजाय कोर्ट ने कपल को मीडिएशन सेंटर की मदद लेने की सलाह दी, जिससे दोनों के बीच का कोई रास्ता निकल सके. कोर्ट ने कहा कि अहंकार, गुस्से के बजाय त्याग, बातचीत और आपसी सहयोग के जरिए ही किन्हीं रिश्तों को बचाया जा सकता है. इसलिए वे भी दिल बड़ा दिखाते हुए परिवार बचाने की सोचें.