Gaza Peace Summit: भारत के लिए एक बड़ी बात होगी अगर पीएम मोदी मिस्र के शहर शर्म अल-शेख में गाजा शांति शिखर सम्मेलन में शामिल होते हैं. भारत के ग्लोबल स्टेज पर विश्व शांति के लिए अपनी बात रखने का बड़ा मौका होगा.
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PM Modi May Attend Gaza Peace Summit 2025: भारत के पीएम नरेंद्र मोदी गाजा पीस समिट में शामिल होने मिस्र जा सकते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी (Abdel Fattah el-Sisi) ने पीएम को न्योता भेजा है. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी को बीते शनिवार के दिन लास्ट मिनट इंविटेशन मिला है, हांलाकि पीएमओ की तरफ से इसकी पुष्टि होनी बाकी है.
वर्ल्ड लीडर्स की मौजूदगी
गौरतलब है कि 12 अक्टूबर 2025 को मिस्र के शर्म अल-शेख (Sharm el-Sheikh) में गाजा शांति शिखर सम्मेलन आयोजित होगा, जिसमें वहां के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी (Abdel Fattah el-Sisi) और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) संयुक्त रूप से अध्यक्षता करेंगे. इस समिट में यूनाइटेड नेशंस के जनरल सेक्रेटरी एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) भी शामिल होंगे.
गाजा पट्टी में अमन की कोशिश
मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता के मुताबिक, "शांति शिखर सम्मेलन" सोमवार दोपहर शर्म अल-शेख में अब्देल फत्ताह अल-सीसी और ट्रंप की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित किया जाएगा, जिसमें 20 से अधिक देशों के नेता हिस्सा लेंगे. बयान में कहा गया है, "शिखर सम्मेलन का मकसद गाजा पट्टी में युद्ध को समाप्त करना, मिडिल ईस्ट में शांति और स्थिरता कायम करने की कोशिशों को मजबूत करना और रिजनल सिक्योरिटी और स्टेबिलिटी का एक नया चैप्टर खोलना है. ये शिखर सम्मेलन क्षेत्र में शांति स्थापित करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नजरिए और दुनिया भर में संघर्षों को समाप्त करने के उनकी कोशिशों के तहत आयोजित किया जा रहा है."
भारत के लिए अहम मौका
अगर पीएम मोदी इसकी पुष्टि करते हैं, तो इससे उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने का मौका मिलेगा. उनसे मुलाकात के अलावा, ये शिखर सम्मेलन कई दूसरे कारणों से भी एक बड़ा मौका होगा, मसलन- मिडिल ईस्ट में अपनी मौजूदगी दर्ज कराना, फिलिस्तीनी देश का समर्थन और विश्व शांति का पैगाम देना. इसके अलावा भारत और मिस्र के बाइलेट्रल रिलेशन को भी बेहत बनाने का मौका होगा.
फिलिस्तीन पर भारत का रुख
भारत ने ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीन के स्वतंत्र राष्ट्र के अधिकार का समर्थन किया है. 1947 में संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के विभाजन प्रस्ताव पर भारत ने विरोध में वोट दिया था. 1974 में भारत ने फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) को फिलिस्तीनी जनता का लीगल रिप्रेजेंटेटिव माना और 1988 में फिलिस्तीन की आजादी की घोषणा को तुरंत मान्यता दी. भारत लगातार टू स्टेट सॉल्यूशन का समर्थन करता आया है. जिसमें इजराइल और फिलिस्तीन दोनों शांति से को-एग्जिस्टेंस में रहें. मानवीय सहायता, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में भी भारत ने फिलिस्तीन की आर्थिक और कूटनीतिक मदद की है.