वैज्ञानिकों के काम का समाज जुड़ना लोकतंत्र के लिए जरूरी : राष्ट्रपति
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वैज्ञानिकों के काम का समाज जुड़ना लोकतंत्र के लिए जरूरी : राष्ट्रपति

भारतीय विज्ञान संस्थान के करीब 30 वैज्ञानिकों के गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद  ने कहा कि लोकतंत्र का बिना वैज्ञानिकों, किसानों और मजदूरों के कोई अर्थ नहीं है

फाइल फोटो

बैंगलुरू : वैज्ञानिक समुदाय का समाज से जुड़ना कितना जरूरी है, खास तौर पर किसानों और मजदूरों जैसे समाज के महत्वपूर्ण वर्ग से, यह तो एक जाहिर सी बात है लेकिन वैज्ञानिकों यह बात याद दिलाते रहने का महत्व कभी भी कम नहीं होगा, और अगर यह काम देश के राष्ट्रपति करें तो यह एक विशेष अवसर हो जाता है. ठीक यही कुछ किया मंगलवार को हमारे राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने जब उन्हें बैगलुरू में वैज्ञानिकों के समूह को संबोधित करने का मौका मिला. उन्होंने वैज्ञानिकों को समाज में उनकी भूमिका को रेखांकित कर उन्हें बताया कि उन पर देश की कितनी बड़ी और कैसी जिम्मेदारी है.

  1. वैज्ञानिकों, किसानों और मजदूरों के बिना लोकतंत्र अर्थहीन
  2. ज्ञान, खोज और नवाचार की जिम्मेदारी हमारेे वैज्ञानिकों पर 
  3. लेकिन इनका देश के चौथे पहिए समाज से जुड़ना आवश्यक

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राष्ट्रपति  ने कहा कि लोकतंत्र का बिना वैज्ञानिकों, किसानों और मजदूरों के कोई अर्थ नहीं है. पद ग्रहण करने के बाद पहली बार बैंग्लुरू यात्रा पर आए राष्ट्रपति भारतीय विज्ञान संस्थान के करीब 30 वैज्ञानिकों के गोलमेज सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. ये वैज्ञानिक भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) और शहर के अन्य संस्थानों से आए थे. राष्ट्रपति ने आईआईएससी के नैनोसाइंस और इंजीनियरिंग केंद्र का भी दौरा किया.

 ज्ञान, खोज, नवाचार और समाज देश के चार पहिए, तीन की वैज्ञानिकों पर जिम्मेदारी 
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान भारत के लिए बौद्धिकता को सक्रिय करने और ताकत को बढ़ाने का काम करता है. राष्ट्रपति ने कहा कि इसरो और आईआईएससी जैसे संस्थानों ने देश के किसानों की सहायता करने और अकादमिक क्षमताएं बढ़ाने में सफलता पाई है. उन्होंने कहा,“हमने (पूर्व चेयरमैन)  सतीश धवन के प्रयासों से इसरो को उन्नत विज्ञान से किसानों की सयाहता करते देखा है. आज भारत एक अद्वितीय स्थिति में है. हमारे सामने बहुत सी चुनौतियां हैं, हमें अपने लोगों को गरीबी से ऊपर उठाना है, उनकी स्वास्थ्य एवं कल्याण सुनिश्चित करना है और हमारी खाद्य और उर्जा की जरूरतों को भी पूरा करना है.” उन्होंने आगे कहा,“  ज्ञान, खोज, नवाचार और समाज देश के चार पहिए हैं. एक वैज्ञानिक के तौर पर आपके उपर तीन पहियों की जिम्मेदारी है, लेकिन जब तक आप चौथे पहिए- समाज- से नहीं जुड़ेंगे, हमारा कोई भविष्य नहीं है. 2022 तक जब भारत आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा, देश को लोकतंत्र के वास्तविक अर्थ को पाने के लिए यही ताकत, जोश और देशभक्ति पैदा करनी होगी.”

भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार आर चिदंबरम, इसरो के चैयरमैन ए एस किरण कुमार, भारतीय रक्षा अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ) के चैयरमैन एस क्रिस्टोफर आदि भी इस मौके पर उपस्थित थे.    

बुधवार को श्री कोविंद कर्नाटक विधानसभा और राज्य सचिवालय के प्रतिष्ठित भवन की हीरक जयंती (60 वर्ष) के अवसर पर विधायकों का संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे.

(आईएएनएस इनपुट)

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