अंतरिक्ष में भारत की कामयाबी को दुनिया ने सराहा, पर ISRO के वर्ल्‍ड रिकॉर्ड से चिढ़ गया चीन
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अंतरिक्ष में भारत की कामयाबी को दुनिया ने सराहा, पर ISRO के वर्ल्‍ड रिकॉर्ड से चिढ़ गया चीन

इसरो की ओर से बुधवार को एक रॉकेट से 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया का कहना है कि भारत अंतरिक्ष आधारित सर्विलांस और संचार के तेजी से बढ़ते वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभरा है। अंतरिक्ष में भारत की कामयाबी को दुनिया ने सराहा है लेकिन इसरो के इस वर्ल्‍ड रिकॉर्ड से चीन चिﶃ़ गया है। इसरो ने वह मुकाम हासिल कर लिया जो अमेरिका, रूस, चीन जैसे विकसित देशों के वैज्ञानिकों के लिए सपना है। विदेशी मीडिया ने भारत की इस कामयाबी को प्रमुखता दी और सराहना की।

अंतरिक्ष में भारत की कामयाबी को दुनिया ने सराहा, पर ISRO के वर्ल्‍ड रिकॉर्ड से चिढ़ गया चीन

वाशिंगटन/लंदन/नई दिल्‍ली : इसरो की ओर से बुधवार को एक रॉकेट से 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया का कहना है कि भारत अंतरिक्ष आधारित सर्विलांस और संचार के तेजी से बढ़ते वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभरा है। अंतरिक्ष में भारत की कामयाबी को दुनिया ने सराहा है लेकिन इसरो के इस वर्ल्‍ड रिकॉर्ड से चीन चिﶃ़ गया है। इसरो ने वह मुकाम हासिल कर लिया जो अमेरिका, रूस, चीन जैसे विकसित देशों के वैज्ञानिकों के लिए सपना है। विदेशी मीडिया ने भारत की इस कामयाबी को प्रमुखता दी और सराहना की।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने एक ही रॉकेट के माध्यम से रिकॉर्ड 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया और वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बना डाला।  इनमें से तीन उपग्रह दूसरे देशों के हैं। इन उपग्रहों में भारत का पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह भी शामिल है। श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से किया गया यह प्रक्षेपण पीएसएलवी के माध्यम से किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इसरो’ ने पीएसएलवी-सी37 के जरिए श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केन्द्र से कुल 104 उपग्रह प्रक्षेपित किए, जिनमें से 96 उपग्रह अमेरिकी हैं। देश और दुनिया के मीडिया इसरो के तारीफों के पुल बांध रहा है तो वहीं चीन ने ऐसी बात कही है जिससे उसकी चिढ साफ झलक रही है।

वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा है कि यह प्रक्षेपण ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए यह एक और बड़ी सफलता है। कम खर्च में सफल मिशन को लेकर इसरो की साख अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ रही है।’ आज के सफल प्रक्षेपण के संबंध में वाशिंगटन पोस्ट ने यह भी रेखांकित किया है कि भारत पहले भी दर्जनों उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर चुका है जिसमें पिछले साल एक बार में 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण शामिल है। द न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि एक दिन में उपग्रहों के प्रक्षेपण के पिछले रिकॉर्ड के मुकाबले करीब तीन गुना ज्यादा, 104 उपग्रहों को प्रक्षेपण के बाद उनकी कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है। इसने अंतरिक्ष आधारित सर्विलांस और संचार के बढ़ते व्यावसायिक बाजार में भारत को ‘महत्वपूर्ण पक्ष’ के रूप में स्थापित कर दिया है।

अखबार का कहना है, प्रक्षेपण में खतरा बहुत ज्यादा था क्योंकि 17,000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से जा रहे एक रॉकेट से जिस प्रकार प्रति कुछ सेंकेंड में गोली की रफ्तार से उपग्रहों को उनकी कक्षाओं में स्थापित किया गया है, उसे देखते हुए यदि एक भी उपग्रह गलत कक्षा में चला जाता तो वे एक-दूसरे से टकरा सकते थे।’ सीएनएन का कहना है, ‘अमेरिका और रूस की प्रतिद्वंद्विता को भूल जाएं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में वास्तविक दौड़ तो एशिया में हो रही है।

लंदन के टाइम्स अखबार का कहना है कि आज के कारनामे के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रभावशाली देशों के समूह में शामिल होने के लक्ष्य को स्पष्ट कर दिया है। ब्रिटिश अखबार ने अपने लेख में कहा है कि भारत के कई महत्वपूर्ण मिशन का खर्च उनके रूसी, यूरोपीय और अमेरिकी समकक्षों के मुकाबले बहुत कम रहा है। इसरो के मंगल मिशन का खर्च महज 7.3 करोड़ डॉलर था, जबकि नासा के ‘मावेन मार्स लांच’ में 67.1 करोड़ डॉलर का खर्च आया था।

ब्रिटेन के ही गार्जियन अखबार का कहना है कि नया रिकॉर्ड बनाने वाला यह प्रक्षेपण तेजी से बढ़ते निजी अंतरिक्ष बाजार में एक गंभीर पक्ष के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत बनाएगा। ब्रिटिश अखबार का कहना है, वर्ष 1980 में अपना रॉकेट प्रक्षेपित करने वाला महज छठवां देश बने भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान को बहुत पहले ही अपनी प्राथमिकता बना ली थी। भारत सरकार ने इस वर्ष अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए बजट बढ़ा दिया है और शुक्र तक मिशन भेजने की घोषणा भी कर दी है। पर्यवेक्षकों के हवाले से बीबीसी का कहना है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में आज की सफलता ‘इसका प्रतीक है कि भारत अरबों डॉलर के इस अंतरिक्ष बाजार में बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर रहा है।’

चीनी मीडिया ने भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की सफलता पर लिखा है। देश और दुनिया के मीडिया इसरो के तारीफों के पुल बांध रहा है तो वहीं चीन ने ऐसी बात कही है जिससे उसकी चिढ साफ झलक रही है। चीनी अखबार ने अपने लेख में लिखा है कि 104 सैटेलाइट लांच करना भारत के लिए उपलब्धि तो है लेकिन भारत अभी भी स्पेस के क्षेत्र में अमेरिका और चीन से बहुत पीछे है। वहीं, सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ के अनुसार, एक अंतरिक्ष मिशन में 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर भारत ने वर्ष 2014 में रूस द्वारा एक साथ 37 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किए जाने का रिकॉर्ड तोड़ा है।

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