21 जून को राजपथ पर योग कार्यक्रम में खर्च हुए लगभग 16 करोड़
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21 जून को राजपथ पर योग कार्यक्रम में खर्च हुए लगभग 16 करोड़

सरकार ने बताया कि 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयुष मंत्रालय ने नयी दिल्ली के राजपथ पर योग कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें 35,985 लोगों ने भाग लिया और इस कार्यक्रम पर 1586.96 लाख रूपये खर्च हुए।

21 जून को राजपथ पर योग कार्यक्रम में खर्च हुए लगभग 16 करोड़

नई दिल्ली : सरकार ने बताया कि 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयुष मंत्रालय ने नयी दिल्ली के राजपथ पर योग कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें 35,985 लोगों ने भाग लिया और इस कार्यक्रम पर 1586.96 लाख रूपये खर्च हुए।

आयुष राज्य मंत्री श्रीपाद येसो नाइक ने राज्यसभा को यह जानकारी देते हुए बताया कि 21 जून 2015 को हुए योग आयोजन के विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय, दूरदर्शन और आकाशवाणी के माध्यम से प्रचार पर 828.43 लाख रूपये खर्च किए गए जबकि राजपथ पर आयोजन के लिए व्यवस्था करने पर 758.53 लाख रूपये खर्च हुए।

उन्होंने बताया कि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरवाईएन) द्वारा देश के प्रत्येक जिले में योग शिविरों का आयोजन करने तथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए सरकारी संस्थाओं और गैर सरकारी संगठन प्रत्येक को एक एक लाख रूपये की दर से वित्तीय सहायता दी गई। इस कार्य में कुल 670 लाख रूपये खर्च हुए। इसके अलावा मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) द्वारा साझा योग प्रोटोकॉल पर फिल्म एवं पुस्तिका बनाने के लिए 34.80 लाख रूपये खर्च हुए।

नाइक ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को अलग से कोई निधियां जारी नहीं की गइ’। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्र सरकार ने ऐसे योग कार्यक्रमों को हर साल आयोजित करने के लिए अभी कोई योजना नहीं बनाई है।

एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में नाइक ने बताया कि 21 जून को राजपथ पर योग आयोजन और 21 तथा 22 जून को नयी दिल्ली के ही विज्ञान भवन में योग पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन पर कुल 17.70 करोड़ रूपये खर्च हुए। विदेश मंत्रालय ने 190 से अधिक देशों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया और विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जिन पर 8 करोड़ रूपए खर्च हुए।

एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में नाइक ने बताया कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन को मंजूरी दे दी है जिसमें अन्य बातों के अलावा योग सहित आयुष सेवाओं तक बेहतर पहुंच और आयुष शैक्षिक संस्थाओं को मजबूत बनाने की बात कही गई है। नाइक ने बताया कि मंत्रालय ने हाल ही में योग पेशेवरों के स्वैच्छिक प्रमाणन के लिए एक योजना शुरू की है। योजना का प्रथम चरण 22 जून 2015 को शुरू किया गया।

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने चार मार्च 2015 को आयुष मंत्रालय से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचारविमर्श करने के लिए बेंगलूर स्थित एस व्यास योग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एच आर नागेन्द्र की अध्यक्षता मे एक कार्यबल गठित किया है। इस कार्यबल में विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के 20 विशेषज्ञ सदस्य हैं।

एक प्रश्न के लिखित उत्तर में नाइक ने बताया कि चिकित्सकों, शिक्षकों, अर्धचिकित्सा कर्मियों और अन्य सहित आयुष से जुड़े लोगों के व्यावसायिक ज्ञान को और अद्यतन बनाने तथा आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण देने के लिए मंत्रालय में अनवरत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) स्कीम चलाई जा रही है। शैक्षिक संस्थानों में योग शिक्षा के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में नाइक ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मिली सूचना के अनुसार, फिलहाल देश भर के कुल 54 विश्वविद्यालयों के 108 कालेजों में योग पर पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में योग शिक्षा और अभ्यास के विनियमन के लिए कोई केंद्रीय कानून नहीं है। विश्वविद्यालय स्वायत्त निकाय होने के कारण विभिन्न आंतरिक शीर्ष निकायों या परिषदों की मंजूरी से योग उपचार सहित विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम तैयार करते हैं।

नाइक ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिली सूचना के अनुसार, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (एनसीएफ) 2005 ने स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में योग की सिफारिश की है। स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा पहली कक्षा से दसवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए अनिवार्य विषय और 11वीं तथा 12वीं कक्षा के लिए वैकल्पिक विषय है।

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