नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने संकट में फंसे आम्रपाली ग्रुप के प्रॉजेक्ट्स में घर खरीदने वाले उन ग्राहकों (Amrapali Homebuyers) को फटकार लगाई है जो पजेशन तो फौरन चाहते हैं, लेकिन अपना बकाया नहीं चुका रहे हैं. नोएडा और ग्रेटर नोएडा के इन प्रॉजेक्ट्स से जुड़े होम बायर्स को अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा है कि वे बकाया दें नहीं तो अलॉटमेंट रद्द कर दिया जाएगा.


'लस्सी चाहिए और मलाई भी'


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कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें वक्त पर घर का कब्जा दिलाने की मांग की गई थी. घर खरीदते समय तय हुए पेमेंट प्लान के मुताबिक बकाया जमा करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा, 'घर के खरीदार लस्सी चाहते हैं और मलाई भी. वे फ्लैट चाहते हैं, लेकिन पैसा भी नहीं देना चाहते. वे चाहते हैं कि NBCC फ्लैट का निर्माण कराने के बाद उन्हें सौंप दे.' 


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15 अक्टूबर तक की दी गई मियाद


पीठ के समक्ष घर खरीदारों के वकील एमएल लहोटी ने बताया कि NBCC के मुताबिक, अगर 200 करोड़ रुपये की फंडिंग हो जाती है तो नोएडा व ग्रेटर नोएडा के अधूरे घरों का निर्माण पूरा हो जाएगा और दिसंबर 2021 तक खरीदारों को घर मिल जाएगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक अपने ऊपर बकाया रकम का भुगतान नहीं करने वाले सभी खरीदारों को इसके लिए 15 अक्टूबर तक का समय दिया. मामले कीअगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी. 


बैंकों की फंडिंग का मामला 


सुप्रीम कोर्ट में आम्रपाली प्रोजेक्ट के लिए बैंकों की फंडिंग का मामला उठाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि आम्रपाली प्रोजेक्ट कोर्ट का प्रोजेक्ट है. ऐसे में किसी पर्सनल गारंटी या फिर अन्य तरह के गांरटी और मार्गेज की जरूरत नहीं है. ये कोर्ट मॉनिटर्ड प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट में किसी भी तरह का कोई घाटा नहीं होने जा रहा है. इसलिए बैंकों को चिंता करने की जरूत नहीं है और वह आगे आएं.


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(पीटीआई इनपुट के साथ)


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