पिछले कुछ समय में दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा बहुत तेज़ी से बढ़ी है . इसे नुकसान पहुंचाने से हर भारतीय का नुकसान है .
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भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है . हमारे यहां लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए चर्चाएं, बहस और आलोचना करने का विशेष महत्त्व है . ये बहुत ज़िम्मेदारी का काम है लेकिन ये समझना होगा कि आलोचना के हथियार से देश को बदनाम करने की साजिश नहीं होनी चाहिए. पिछले कुछ समय में दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा बहुत तेज़ी से बढ़ी है . इसे नुकसान पहुंचाने से हर भारतीय का नुकसान है .
आज हम पूरे देश का ध्यान JNU की पूर्व Professor और लेखिका... डॉक्टर Zoya Hasan के उस बयान पर ले जाना चाहते हैं . जिसमें कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक मकसद छुपा हुआ है .
राजस्थान विधानसभा में Commonwealth Parliamentary Association की एक सेमिनार आयोजित की गई थी . इस सेमिनार का मकसद भारत की संसदीय प्रणाली और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चर्चा करना था . लेकिन Zoya Hasan ने अपना कीमती समय राजस्थान की कांग्रेस सरकार का Agneda Set करने में लगा दिया .
उन्होंने ये कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार ने देश की सभी संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा जमा लिया है . Zoya Hasan ने ये भी कहा कि लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए Social Media का इस्तेमाल किया गया है . अब आप ये बयान सुनकर खुद तय कीजिएगा Zoya Hasan ने जनादेश का सम्मान किया है या अपमान
चर्चा का मकसद लोकतंत्र को मजबूत बनाना था . लेकिन Zoya Hasan के बयानों के बाद बीजेपी के विधायक नाराज़ हो गये और सेमिनार छोड़कर बाहर चले गये . यानी इस चर्चा से राजस्थान के विपक्ष ने Walk Out कर दिया .
Zoya Hasan जवाहर लाल नेहरू University में राजनीतिक विज्ञान की प्रोफेसर रह चुकी हैं . वर्ष 2006 से 2009 के दौरान वो... राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य रह चुकी हैं . इसके अलावा Zoya Hasan..कांग्रेस पार्टी पर एक किताब लिख चुकी हैं जिसका नाम है . Congress after Indira . देश की राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर उनकी अच्छी पकड़ है .
Zoya Hasan ने इस सेमिनार में भारत के राजनीतिक माहौल पर चर्चा करते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की लेकिन उनकी बातों से बीजेपी विधायक नाराज़ हो गये .
यहां Note करने वाली बात ये है कि इस कार्यक्रम में देश के Election Commissioner सुशील चंद्रा भी मौजूद थे . पूरी चर्चा में Zoya Hasan ने ये आरोप लगाया कि देश की संवैधानिक संस्थाओं पर केंद्र सरकार का कब्ज़ा हो चुका है जबकि चुनाव आयोग भी एक संवैधानिक संस्था है .
इस बयान से चुनाव आयोग सहित देश की संवैधानिक संस्थाओं का बहुत बड़ा अपमान हुआ है लेकिन इसके बावजूद Election Commissioner सुशील चंद्रा ख़ामोश रहे . उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. कुल मिलाकर ये पूरा कार्यक्रम भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने के मकसद से शुरू हुआ था लेकिन एक विवाद के साथ राजनीतिक मकसद को पूरा करते हुए... समाप्त हुआ .