ZEE जानकारी: भारत आज राफेल लड़ाकू विमान को कर रहा है 'Miss'
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ZEE जानकारी: भारत आज राफेल लड़ाकू विमान को कर रहा है 'Miss'

हमारे देश के वायु सैनिक जिन लड़ाकू विमानों से भारत की सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं उनमें बड़ी संख्या मिग 21 की है . 

ZEE जानकारी: भारत आज राफेल लड़ाकू विमान को कर रहा है 'Miss'

आज पूरा भारत राफेल लड़ाकू विमान को बहुत Miss कर रहा है . आज हमारे देश के वायु सैनिकों को मिग-21 जैसे पुराने ज़माने के लड़ाकू विमानों में बैठकर देश की रक्षा करनी पड़ रही है . 

अगर भारत के पास आज राफेल लड़ाकू विमान होते तो भारत को ये दिन नहीं देखना पड़ता . हमारे देश के वायु सैनिक जिन लड़ाकू विमानों से भारत की सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं उनमें बड़ी संख्या मिग 21 की है . 

हमारे देश में 10 वर्षों में 60 से ज्यादा लड़ाकू विमान तकनीकी खराबी की वजह से Crash हो चुके हैं और इनमें सबसे बड़ी संख्या Mig विमानों की है . 

दुर्भाग्य से भारतीय वायु सेना के करीब आधे Squadrons मिग-21 के हैं . Squadron का मतलब होता है लड़ाकू विमानों की एक Unit, जिसमें 18 विमान होते हैं . भारत के पास इस वक़्त 31 Squadrons हैं . जबकि भारत को चीन और पाकिस्तान के दोहरे मोर्चे का सामना करने के लिए 42 Squadrons की ज़रूरत है . और 42 Squadrons का मतलब है कम से कम 750 लड़ाकू विमान.

मिग 21 विमान करीब 60 वर्ष पुराने हैं . इन विमानों को Retire किया जा रहा है . लेकिन ये काम बहुत धीमी गति से हो रहा है . 

भारतीय वायुसेना के पास इस समय लड़ाकू विमानों की कमी है . 

मिग 21 के अलावा भारत के पास जगुआर विमान भी हैं लेकिन ये विमान 1970 के दशक के आखिर में खरीदे गए थे . मिराज और मिग-29, 80 के दशक में और सुखोई 90 के दशक में खरीदा गया था. यानी लगभग दो दशकों से भी ज़्यादा समय से भारतीय वायुसेना नये लड़ाकू विमानों का इंतज़ार कर रही है. 

सुखोई भी अब एक जेनेरेशन पीछे का लड़ाकू विमान हो चुका है . 

वायुसेना करीब 20 वर्षों से आधुनिक लड़ाकू विमानों की कमी महसूस कर रही है . 

वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भी भारतीय वायुसेना को राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों की ज़रूरत थी . 

वायु सेना, भारत सरकार से लड़ाकू विमानों की Demand करती रही .लेकिन विमान सौदों की फाइलें मंत्रालयों और सरकारी दफ्तरों में घूमती रहीं 

करीब 8 वर्ष के इंतज़ार के बाद 2007 में 126 लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया शुरू हुई . 

इसके 5 वर्ष बाद 2012 में ये तय हुआ कि भारत सरकार राफेल लड़ाकू विमान खरीदेगी. यानी खरीदने का फैसला करने में ही 5 साल लग गये.

UPA के कार्यकाल में ये सौदा पूरा नहीं हो पाया और फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

वर्ष 2014 में सरकार बदली और आखिरकार वर्ष 2015 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने का फैसला हो पाया . 

अब सितंबर 2019 से अप्रैल 2022 के बीच राफेल लड़ाकू विमानों की Delivery पूरी हो जाएगी 
लेकिन राफेल विमानों की ये संख्या भी, भारतीय वायुसेना की कमी को पूरा नहीं कर पाएगी. 

अगर भारत के पास राफेल लड़ाकू विमान होता तो भारत को पाकिस्तान की सीमा के अंदर जाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती क्योंकि ये विमान भारत की सीमा में रहते हुए भी, पाकिस्तान जैसे देशों की सीमा के अंदर बड़े हमले कर सकता है. 

राफेल की सबसे बड़ी खासियत है... Beyond Visual Range Air-To-Air Missile...जिसकी रेंज 150 किलोमीटर से ज़्यादा होती है . ये भारत की सीमा के अंदर से ही पाकिस्तान में 150 किलोमीटर अंदर तक प्रहार करने में सक्षम है . छोटे आकार और सटीक निशाने की वजह से, राफेल Fighter Jet, को War Zone में Killer भी कहा जाता है .

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