ZEE जानकारी: भारत ने अंतरिक्ष महाशिक्त के तौर पर दर्ज कराया अपना नाम
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ZEE जानकारी: भारत ने अंतरिक्ष महाशिक्त के तौर पर दर्ज कराया अपना नाम

27 मार्च 2019...आज की ये तारीख़.. आसमान में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो चुकी है और इसे लिखने वाली नई महाशक्ति का नाम है भारत.

ZEE जानकारी: भारत ने अंतरिक्ष महाशिक्त के तौर पर दर्ज कराया अपना नाम

27 मार्च 2019...आज की ये तारीख़.. आसमान में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो चुकी है और इसे लिखने वाली नई महाशक्ति का नाम है भारत.

इस वीडियो में भारत का Space वाला स्वाभिमान साफ़ नज़र आ रहा है. ये वही मिसाइल है जिसके ज़रिए भारत ने मिशन शक्ति को पूरा किया. ये वही मिसाइल है जिसने अंतरिक्ष में मौजूद अपने लक्ष्य को ध्वस्त किया है. सबसे पहले इस वीडियो को देखिए और इस बात पर गर्व कीजिये कि आप भारतीय हैं.

भारत ने आज अंतरिक्ष में एक उपग्रह को मिसाइल से मार गिराया है. अब तक ये काम सिर्फ़ अमेरिका, Russia और चीन ने किया था. भारत anti satellite मिसाइल की तकनीक हासिल करने वाला चौथा देश है.

आज जो कुछ हुआ है उसके बाद अमेरिका, Russia और चीन जैसी दुनिया की बड़ी बड़ी space powers बेचैन हैं क्योंकि अब Space technology का दम भरने वाले देशों के exclusive club में भारत की entry हो चुकी है.

आपके मन में ये बात आ रही होगी कि एक मिसाइल से पृथ्वी पर मंडरा रहे उपग्रह को कैसे मारा जा सकता है...इसे समझने के लिए ये animated video देखिये... इससे आप इस anti satellite weapon Technology को समझ पाएंगे कि कैसे एक मिसाइल लॉन्च होने के बाद अंतरिक्ष में एक उपग्रह को तबाह करती है. इस मिसाइल को ज़मीन पर एक लॉन्चर से launch किया जाता है. एक Radar से टारगेट Satellite को ट्रैक किया जाता है. और फिर मिसाइल को लक्ष्य की तरफ़ गाइड किया जाता है. 

आज भारत की इस बड़ी कामयाबी की घोषणा में भी बड़ा सस्पेंस था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर एक Tweet किया कि वो सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजे के बीच देश के लिये महत्वपूर्ण संदेश लेकर आएंगे. ये सुनते ही पूरा देश बेचैन हो गया. लोगों के मन में नोटबंदी वाले दिन की यादें ताज़ा हो गईं.. और तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे. इसके बाद करीब 45 मिनट तक आशंकाओं का माहौल बना रहा. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के suspense भरे Tweet का अंत एक सुखद समाचार के साथ हुआ.

ठीक 12 बजकर 20 मिनट पर देश के नाम प्रधानमंत्री का संदेश शुरू हुआ. इस संदेश में उन्होंने बताया कि भारत अब एक elite space power बन गया है और भारत ने एक anti-satellite मिसाइल का कामयाब टेस्ट किया है. प्रधानमंत्री ने बताया कि पृथ्वी से 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य यानी उपग्रह पर एक मिसाइल से निशाना लगाया गया. इस मिशन को सिर्फ तीन मिनट में अंजाम दिया गया. प्रधानमंत्री ने गर्व के साथ ये घोषणा की.... कि भारत ये कामयाबी हासिल करने वाला, दुनिया का चौथा देश बन गया है. 

लेकिन दुख की बात ये है कि आज भारत की इस बड़ी कामयाबी से ज़्यादा इस पर होने वाली राजनीति की चर्चा हो रही है. भारत के मिसाइल पर नेताओं की ज़ुबान भारी पड़ रही है. लेकिन हम नेताओं की ज़ुबान को.. जीतने नहीं देंगे. इसलिए आज हमने भारत के स्पेस वाले स्वाभिमान को प्राथमिकता दी है. 
इसका जश्न पूरे देश को मिलकर मनाना चाहिये. ये अंतरिक्ष में भारत की दीपावली है, ये अंतरिक्ष में भारत की ईद है. इस कामयाबी को राजनीतिक चश्मे से नहीं...बल्कि देशभक्ति वाली दूरबीन लगाकर देखना ज़रूरी है. हम ऐसा इसलिये कह रहे हैं क्योंकि भारत ने पहली ही कोशिश में वो करिश्मा करके दिखाया है जिसमें अमेरिका, Russia और चीन को कई दशक लग गये थे, और ये देश अपने परीक्षणों में कई बार नाकाम हुए थे.

अमेरिका ने 1950 के दशक में कई Anti satellite हथियार टेस्ट किये थे. 1959 में उसे आंशिक कामयाबी भी मिली. लेकिन सही मायने में अमेरिका को कामयाबी 1985 में मिली थी. 

Russia भी अमेरिका से ज़्यादा पीछे नहीं था. उसने भी 60 और 70 के दशक में कई Anti Satellite हथियार टेस्ट किये. इसके बाद 20 साल तक ऐसा परीक्षण नहीं हुआ.

फिर चीन ने वर्ष 2000 के बाद अपनी Anti Satellite तकनीक पर काम शुरू किया. वर्ष 2007 में चीन ने अपनी चौथी कोशिश में एक पुराने उपग्रह को मिसाइल से नष्ट करने में कामयाबी पाई. ये परीक्षण करीब 800 किलोमीटर की ऊंचाई पर हुआ था. इसकी वजह से चीन की पूरी दनिया में आलोचना हुई. चीन की इस हरकत की वजह से... उपग्रह के 3 हज़ार से ज़्यादा टुकड़े अंतरिक्ष में फैल गये थे. इससे दुनिया के बाक़ी उपग्रहों के लिए ख़तरा पैदा हो गया था.

लेकिन इस मामले में भारत सबसे कामयाब देश साबित हुआ है. भारत ने पहली ही बार में इस तकनीक का सफल परीक्षण किया और भारत ने जो उपग्रह नष्ट किया है उसके टुकड़ों से अन्य Satellites को कोई नुकसान भी नहीं होगा.

अब आप ये समझिए कि भारत के इस परीक्षण के मायने क्या हैं और ये परीक्षण हुआ कैसे ?

Anti Satellite Weapon का मतलब है .. एक ऐसा हथियार जो किसी उपग्रह को बर्बाद कर दे या फिर उसे निष्क्रिय कर दे. 
भारत ने आज सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर ऐसी ही एक मिसाइल का परिक्षण किया है जिसने.. 11 बजकर 13 मिनट पर एक उपग्रह पर अचूक वार किया है. ये उपग्रह 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद था

य़हां समझने वाली बात ये है कि Low Earth Orbit.... 1200 किलोमीटर की ऊंचाई तक होती है. 

भारत के इस पहले Anti Satellite परीक्षण को मिशन शक्ति का नाम दिया गया.

ये टेस्ट भी उसी जगह किया गया जहां भारत की ज़्यादातर सामरिक मिसाइलों का परिक्षण किया जाता है...यानी ओडिशा का कलाम द्वीप. 

कलाम द्वीप... भुवनेश्वर से क़रीब 150 किलोमीटर दूर है और इसका नाम भारत के Missile Man और पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है. 

पहले इसे Wheeler Island के नाम से जाना जाता था.

इस मिशन में पूरी तरह से भारत में तैयार Anti Satellite मिसाइल इस्तेमाल की गई है. इसका नाम है Ballistic Missile Defence Interceptor.

इस परीक्षण में जिस Satellite को निशाना बनाया गया...वो भी भारत का ही एक Micro सैटेलाइट था . इसे ISRO ने 24 जनवरी को Launch किया था .

इस मिशन में पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया..यानी ये तकनीक पूरी तरह भारतीय है. इसमें किसी भी देश से कोई मदद नहीं ली गई. 

पूरी दुनिया में कई लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि भारत ने अंतरिक्ष में सैन्य गतिविधियों से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय संधि तोड़ी है.

लेकिन सच ये है कि भारत ने हमेशा अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल पर ज़ोर दिया है. भारत ने हमेशा अंतरिक्ष के सैन्यकरण का विरोध किया है.

अंतरिक्ष को लेकर भारत कई अंतरराष्ट्रीय संधियों से बंधा हुआ है. और इस परीक्षण में भी भारत ने इस बात का पूरा ख़्याल रखा है कि किसी भी संधि का उल्लंघन ना हो. 

1967 में बनी Outer Space Treaty पर भारत ने 1982 में दस्तख़त किये थे. ये संधि अंतरिक्ष में weapons of mass destruction यानी परमाणु बम के इस्तेमाल का विरोध करती है. जबकि आज भारत ने एक सामान्य मिसाइल का परीक्षण किया है.

भारत पर ये सवाल भी उठाये गये कि इस परीक्षण से उपग्रह का जो मलबा फैलेगा...उससे दूसरे उपग्रहों को नुक़सान पहुंच सकता है. इस आशंका को ख़त्म करते हुए भारत सरकार ने साफ़ कर दिया है कि जिस ऊंचाई पर उपग्रह को नष्ट किया गया है...उसका मलबा क़रीब तीन हफ़्तों में साफ़ हो जाएगा. ये मलबा धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण में दाख़िल होकर अपने आप नष्ट हो जाएगा.

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