ZEE जानकारी: 'जम्मू कश्मीर पुनर्गठन' बिल लोकसभा में हुआ पास
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ZEE जानकारी: 'जम्मू कश्मीर पुनर्गठन' बिल लोकसभा में हुआ पास

लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पक्ष में 370 वोट पड़े. और विपक्ष में 70 पड़े. 

ZEE जानकारी: 'जम्मू कश्मीर पुनर्गठन' बिल लोकसभा में हुआ पास

राज्यसभा के बाद आज लोकसभा में भी धारा 370 को हटाए जाने का प्रस्ताव और Jammu Kashmir Re-Organisation Bill पारित कर दिया गया है. इसका मतलब ये हुआ, कि आज Article 370 का औपचारिक रुप से अंत हो चुका है. और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है. अब राष्ट्रपति की मुहर लगते ही ये क़ानून बन जाएगा.

आज लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पक्ष में 370 वोट पड़े. और विपक्ष में 70 पड़े. 

ध्यान देने वाली बात ये है, कि राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी दो तिहाई बहुमत से ज़्यादा से पास हुआ था. 

सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आरक्षण देने वाले बिल को वापस ले लिया है. क्योंकि, अनुच्छेद 370 से विवादित प्रावधान हटते ही, इस विधेयक की ज़रुरत नहीं रही. और इस बिल को राज्यसभा से भी वापस लिया जाएगा.

यानी पिछले 48 घंटों में जो कुछ भी घटनाक्रम दिखाई दिया है, उससे देश का Mood का पता चलता है. प्रस्ताव के पक्ष में पड़े वोटों की संख्या देखकर ये भी स्पष्ट है, कि विपक्षी पार्टियों के नेता दिखावे के लिए भले ही खुलकर विरोध कर रहे हों. लेकिन उन्होंने चुपचाप अनुच्छेद 370 के खिलाफ अपना वोट दिया. वो भी पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर. इस वक्त देश में राष्ट्रवाद की लहर अपने चरम पर है. और इसीलिए कहा जा सकता है, कि आज टुकड़े-टुकड़े गैंग वाली सोच भी ख़त्म हो गई है. क्योंकि, 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार को मिले भारी जनादेश ने उनके पास कोई चारा ही नहीं छोड़ा. ये वही जनादेश है, जिसे अंग्रेज़ी बोलने वाले Celebrities ने स्वीकार नहीं किया था. 

इस जनादेश को वोट बैंक, मुस्लिम तुष्टीकरण और देश को तोड़ने वाली राजनीति करने वालों ने नहीं माना था. इसीलिए 2019 का चुनाव सही मायनों में जनता का टेस्ट था. जनता उस टेस्ट में 100 फीसदी नंबरों से पास हो गई. और नरेंद्र मोदी को मुश्किल फैसले लेने की शक्ति दी गई. अब नई सरकार बनने के 3 महीनों के अंदर ही मोदी सरकार भी इस राजनीतिक टेस्ट में पास होती दिख रही है.

उदाहरण के तौर पर ट्रिपल तलाक बिल के मुद्दे पर राज्यसभा में 99 वोट पक्ष में पड़े. जबकि 84 विरोध में. वो भी तब, जब राज्यसभा में बीजेपी को बहुमत नहीं है. राज्यसभा में बीजेपी के सिर्फ 78 सांसद
हैं. इसी बिल के पक्ष में लोकसभा में 303 वोट पड़े. जबकि 82 सांसदों ने इस बिल का विरोध किया.

इसका मतलब ये हुआ, कि अब देश के नेताओं को, सांसदों को अच्छी तरह समझ में आ गया है, कि जनता क्या चाहती है ? इसलिए किसी ने खुलकर इसका विरोध नहीं किया. और अब, इस लिस्ट में सिर्फ कुछ गिने चुने विपक्षी नेता और अंग्रेज़ी बोलने वाले Celebrities रह गए हैं. 

लोकतंत्र के मंदिर में आज कश्मीर के नायकों और खलनायकों का भी ज़िक्र हुआ. हम उनका भी विश्लेषण करेंगे. लेकिन उससे पहले सदन की कार्यवाही के एक ज़रुरी हिस्से पर ध्यान देने की ज़रुरत है. क्योंकि आज लोकसभा में एक तरफ कश्मीर के लिए जान देने वाली गूंज सुनाई दी. तो दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी की तरफ से पंडित जवाहरलाल नेहरु के योगदान का गुणगान किया गया. और ये कहा गया, कि अगर नेहरू ना होते, तो कश्मीर और जूनागढ़ भारत का हिस्सा नहीं होते. हम तथ्यों के लिहाज़ से कांग्रेस पार्टी के अर्धसत्य का भी विश्लेषण करेंगे. लेकिन पहले ये बातें सुनिए.

राज्यसभा के बाद आज लोकसभा में भी अलग-अलग पार्टियों के नेताओं ने अनुच्छेद 370 पर अपनी राय रखी. 

लेकिन, सबसे बुलंद आवाज़ थी जामयांग शेरिंग की. जो BJP के 34 साल के युवा सांसद हैं. और 2019 के लोकसभा चुनाव में लद्दाख से चुनकर आए हैं. शेरिंग का जन्म वैसे तो 4 अगस्त 1985 को हुआ था. लेकिन Article 370 और लद्दाख के मुद्दे पर इनकी बातें सुनकर आपको ऐसा लगेगा, कि ये एक मंझे हुए नेता हैं. गौर करने वाली बात ये है, कि जब हमारे देश का एक वर्ग अपने ही देश की आलोचना करता है. तो इस वर्ग में शामिल लोगों के भाषण Trend करने लगते हैं. उनकी तारीफें होने लगती हैं. लेकिन कभी-कभी लोग अच्छा भाषण भी देते हैं. ख़ासकर युवा. भारत के युवा जब राजनीति में आकर देशहित की बातें करते हैं, तो उनकी ज़ुबान से क्या भाव निकलते हैं, ये आज आप सबको बहुत ध्यान से सुनना चाहिए.

अब सवाल ये है, कि क्या जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हुई ऐतिहासिक भूल को दबाने की कोशिश की जा रही है. कांग्रेस पार्टी के सांसद का ये कहना, कि अगर नेहरु ना होते, तो कश्मीर और जूनागढ़ भारत में ना होता, इसमें कितनी सच्चाई है ? आज इन सभी सवालों का जवाब तलाशने का दिन है. लेकिन उससे पहले ये देखना ज़रुरी है, कि जम्मू-कश्मीर से लेकर लद्दाख और देश के अलग-अलग हिस्सों में किस प्रकार की राजनीतिक और सामाजिक हलचल है.

Article 370 को ख़त्म किये जाने के बाद सिर्फ़ जम्मू-कश्मीर ही नहीं बंटा है...कांग्रेस पार्टी भी पूरी तरह बिखरी हुई नज़र आ रही है. राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के कई बड़े नेता पूरी तरह Confused हैं. उन्हें ये समझ ही नहीं आ रहा कि इस मुद्दे पर उनका पार्टी के तौर पर एक रुख़ क्या होना चाहिये.

कल राज्यसभा में कांग्रेस के Chief Whip भुवनेश्वर कलीता ने ये कहकर इस्तीफ़ा दे दिया था कि Article 370 को लेकर पार्टी ख़ुदकुशी कर रही है, और वो कांग्रेस का साथ नहीं दे सकते.

आज राहुल गांधी का पहला Reaction 24 घंटे बाद आया. उन्होंने कहा है कि सरकार ने एकतरफ़ा फैसला लेकर जम्मू-कश्मीर को टुकड़ों में बांट दिया है. और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाएगी.

राहुल गांधी ने इसे संविधान का उल्लंघन बताकर कश्मीर के नेताओं की नज़रबंदी पर सवाल उठाए हैं...और कहा है कि देश...लोगों से बनता है, जमीन के भूखंडों से नहीं.

दरअसल राहुल गांधी देश में राष्ट्रवाद की हवा से अब तक अनजान हैं. जबकि उनकी पार्टी के कई नेताओं ने Article 370 हटाये जाने का समर्थन किया है.

और इनमें से एक बड़ा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का है. आज शाम को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने Article 370 के मुद्दे पर पार्टी से एक तरह से बग़ावत कर दी. उन्होंने Tweet किया कि वो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ को लेकर लिये गये फ़ैसले के साथ हैं. और बेहतर होता अगर इसके लिये संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया जाता, क्योंकि तब कोई सवाल नहीं उठते.

कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद राहुल गांधी अकेले पड़ चुके हैं. आपको कांग्रेस के ऐसे कई नेताओं के मन की बात दिखाएंगे, जिन्होंने राहुल गांधी की नहीं...बल्कि राष्ट्रवादी विचारधारा का साथ दिया है. लेकिन उससे पहले आप राहुल गांधी जैसी विचारधारा रखने वाले अधीर रंजन चौधरी की बात ग़ौर से देखिये.

आज लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने Self Goal किया है. उन्होंने कश्मीर को देश का आंतरिक मामला बताये जाने पर सवाल उठा दिये. इस पर ना सिर्फ़ बीजेपी सांसदों ने उनकी खिंचाई की...बल्कि सोनिया गांधी भी अधीर रंजन चौधरी से नाराज़ हो गईं.

लोकसभा में कांग्रेस के 52 सांसद हैं...और आज सभी ने Article 370 के समर्थन में वोट किया है. लेकिन संसद के बाहर कांग्रेस के 10 से ज़्यादा नेताओं ने पार्टी के Stand से हटकर अपनी बात रखी है. ((ज़ाहिर है देश में राष्ट्रवाद इस वक़्त बुलंदी पर है. कांग्रेस का नेतृत्व ना सही...लेकिन उसके कई बड़े नेता Article 370 के मुद्दे पर सरकार के साथ हैं. ))

कांग्रेस की इस राजनीति के पीछे टुकड़े-टुकड़े गैंग वाली मानसिकता है...इसके पीछे मुस्लिम तुष्टिकरण वाली राजनीति है.
((कांग्रेस नेतृत्व ये बात मानने को तैयार नहीं कि देश का मूड राष्ट्रवादी हो चुका है. बचा कुचा विपक्ष भी अब इसी राह पर चलने लगा है. आज किसी की हिम्मत नहीं हो रही कि वो अनुच्छेद 370 हटाये जाने का विरोध करे. ))राष्ट्रवाद के ख़िलाफ़ खड़ा होने की सज़ा कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में भुगती है. और अब इसी जनादेश का विरोध भारत में रहने वाले कुछ बुद्धिजीवी भी कर रहे हैं.

देश में आज भी मीडिया का एक वर्ग है, जो टुकड़े-टुकड़े वाली विचारधारा को आगे बढ़ा रहा है. भारत में आज कुछ अख़बारों में ऐसी Headline छापी गईं...जिससे लगा कि ये अख़बार दिल्ली या कोलकाता से नहीं...बल्कि कराची या लाहौर से प्रकाशित हुए हैं. ख़बरों को ऐसे छापा गया...जैसे भारत ने कश्मीर को लहूलुहान कर दिया है. इन ख़बरों में देश के लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाया गया है.

आज संसद में भी कुछ सांसदों ने Article 370 पर अपनी बात इस तरह रखी...जैसे वो भारत के नहीं...बल्कि पाकिस्तान की National Assembly में बोल रहे थे. 

आज संसद में Article 370 के समर्थन में बोलने वालों में कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी भी शामिल थे. उन्होंने अपनी पार्टी का ही रुख़ रखा...और इसमें कोई हैरान करने वाली बात भी नहीं है. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि मनीष तिवारी ने जो बात कही...उसका समर्थन पाकिस्तान में हो रहा है. भारत में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर रह चुके अब्दुल बासित ने अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ चैनल Wion से बात करते हुए कहा कि मनीष तिवारी भी मानते हैं कि भारत सरकार का फ़ैसला संविधान के ख़िलाफ़ है. पहले आप देखिये कि मनीष तिवारी ने आज संसद में क्या कहा .

अनुच्छेद 370 हटाने का फ़ैसला कल यानी 5 अगस्त को लिया गया. इससे एक दिन पहले अब्दुल बासित ने पाकिस्तान के एक न्यूज़ चैनल पर बीजेपी महासचिव राम माधव से हुई एक मुलाक़ात का ज़िक्र किया था. उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2014 में राम माधव ने उनसे कहा था कि भारत PoK भी पाकिस्तान से वापस ले लेगा.

भारत के जो नेता अनुच्छेद 370 के अंत का विरोध कर रहे हैं. उनकी बातें और उनकी सोच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को काफी अच्छी लग रही होंगी. क्योंकि, ऐसे नेताओं को पाकिस्तान का भरपूर साथ मिल रहा है. और उनकी इच्छा पूरी करते हुए आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने वहां की National Assembly में कह दिया है, कि वो कश्मीर के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लेकर जाएंगे. आगे बढ़ने से पहले उनका ये बयान सुनिए.

इमरान ख़ान कश्मीर के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाने की बात तो कर रहे हैं. लेकिन आज पाकिस्तान को सबसे बड़ा झटका अपने मित्र देश UAE से लगा है. 

भारत सरकार के अनुच्छेद 370 के फैसले को UAE ने एक सकारात्मक कदम बताया है.

जबकि, दूसरी तरफ पाकिस्तान इस मामले को OIC यानी Organisation of Islamic Cooperation लेकर चला गया है. 
क्योंकि पाकिस्तान इस मुद्दे को इस्लामिक रंग देना चाहता है. 

लेकिन UAE जैसे बड़े इस्लामिक देश ने भी Article 370 को भारत का आंतरिक मामला बताया है. ध्यान देने वाली बात ये है, कि UAE, 57 देशों वाले इसी संगठन का सदस्य देश है.

इस संगठन ने वैसे तो हमेशा पाकिस्तान का साथ दिया है. ये कश्मीर पर हमेशा पाकिस्तान के Stand का समर्थन करता है. 

लेकिन अब इसी OIC के UAE जैसे Member ने, अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का समर्थन किया है. और इसके लिए उसने Positive शब्द का इस्तेमाल किया है. UAE ने उम्मीद जताई है, कि इस बदलाव से सामाजिक न्याय और सुरक्षा मज़बूत होगी. साथ ही लोगों का भरोसा भी मज़बूत होगा.

UAE के अलावा श्रीलंका ने भी भारत का समर्थन करते हुए इसे सकारात्मक कदम बताया है.

जबकि अमेरिका ने इसे Cautious और चीन ने बहुत नकारात्मक कदम की संज्ञा दी है. 

हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है, कि भारत दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता. इस लिहाज़ से अन्य देशों को भी भारत के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए.

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