ZEE जानकारी: इमरान खान को विदेश मंत्रालय ने दिया करारा जवाब
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ZEE जानकारी: इमरान खान को विदेश मंत्रालय ने दिया करारा जवाब

 इमरान खान ने मंगलवार को पाकिस्तान के नाम एक संदेश दिया. इमरान खान अब पुलवामा के आतंकवादी हमले का भी सबूत मांग रहे हैं. 

ZEE जानकारी: इमरान खान को विदेश मंत्रालय ने दिया करारा जवाब

पुलवामा में 40 जवानों की शहादत के बाद पूरे भारत में आक्रोश है . भारत की जनता ने पाकिस्तान को युद्ध का संदेश सुना दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ये कह चुके हैं कि अब बातों का वक्त निकल चुका है . आज भारत की सेना ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पाकिस्तान की सेना और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को खुली चेतावनी दी है . और इसके जवाब में इमरान ख़ान ने भी हमला होने की स्थिति में जवाब देने की बात कही है. यानी भारत की गर्जना ने पाकिस्तान को भयभीत कर दिया है  

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस वक्त कूटनीति की दुनिया में सबसे ज़्यादा डरे हुए व्यक्ति हैं और इस डर की वजह से वो Confuse हो गये हैं. एक तरफ वो खुद को शांति प्रिय बता रहे हैं और दूसरी तरफ, युद्ध की बात कर रहे हैं. इमरान खान ने आज पाकिस्तान के नाम एक संदेश दिया . जिसमें वो एक प्रधानमंत्री कम और अभिनेता ज़्यादा नज़र आ रहे थे. अपने संदेश में वो कह रहे थे कि पाकिस्तान खुद ही आतंकवाद से पीड़ित है. खुद को शांतिप्रिय बताने के इस अभिनय में पाकिस्तान की कुटिलता छिपी हुई है. 

आश्चर्य की बात ये है कि इमरान ख़ान अब पुलवामा के आतंकवादी हमले का भी सबूत मांग रहे हैं. ताकि भारत के आक्रोश और क्रोध से तात्कालिक राहत मिल जाए. सबूत मांगकर मुद्दे को लटकाना पाकिस्तान की पुरानी आदत है. भारत ने पहले भी पाकिस्तान को मुंबई, पठानकोट और उरी के आतंकवादी हमलों से जुड़े सबूत दिए थे. लेकिन पाकिस्तान ने उन सबूतों के आधार पर ना तो कोई कार्रवाई की और ना ही अपना दोष माना. आज अपने संदेश के आखिर में इमरान खान ने भारत को युद्ध की धमकी दी. इमरान खान ने कहा कि अगर हमला होता है तो हम जवाब देंगे. 

इमरान ख़ान की Body Language से साफ लग रहा है कि वो बहुत ज़्यादा घबराए हुए हैं . घबराया हुआ और डरा हुआ व्यक्ति बोलने में गलती करता है . यही वजह है कि इमरान खान के इस Video संदेश में 23 Cuts हैं . 

पुलवामा के आतंकवादी हमले के बाद इमरान खान अपनी प्रतिक्रिया दे सकते थे . लेकिन ये हमला होने के बाद.. 120 घंटे से भी ज़्यादा का समय बीत गया, तब जाकर उनकी प्रतिक्रिया आई. इस दौरान उन्होंने इस हमले को लेकर कोई Tweet भी नहीं किया. आज उन्होंने इस बारे में सफाई दी है कि वो सऊदी अरब के Crown Prince के साथ बातचीत में व्यस्त थे इसलिए इस घटना पर कोई बात नहीं कर पाए. 

यहां हम आपको 16 दिसंबर 2014 को पेशावर के मिलिट्री स्कूल में हुए आतंकवादी हमले का ज़िक्र करना चाहते हैं. इस हमले में 150 लोग मारे गए थे... जिनमें से 134 स्कूली बच्चे थे . दुख की उस घड़ी में पूरा भारत, पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया था . पाकिस्तान के स्कूली बच्चों की आत्मा की शांति के लिए भारत के स्कूलों में मौन रखा गया था. लेकिन भारत की इस सद्भावना का जवाब पाकिस्तान ने हमेशा दुर्भावना के साथ ही दिया है.

आज इमरान ख़ान को भारतीय विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है. विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया है. इस बयान में इमरान ख़ान के दावों और बयानों की धज्जियां उड़ा दी गई हैं. हम आपको बताते हैं कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने क्या कहा है? 

भारत की तरफ से कहा गया है कि हमें इस बात से कोई आश्चर्य नहीं हुआ कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने हमारे सुरक्षाबलों पर हुए हमले को आतंकवादी घटना मानने से इंकार कर दिया. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने ना तो इस हमले की निंदा की और ना ही पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई. 

आतंकवादियों से किसी भी तरह के संबंधों से इनकार करना पाकिस्तान की पुरानी आदत है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जैश-ए-मोहम्मद के दावों को भी अनदेखा किया, जिसने इस हमले को अंजाम दिया था. ये बात सबको पता है कि जैश-ए-मोहम्मद और इसका सरगना मसूद अज़हर पाकिस्तान में हैं. इन आतंकियों पर कार्रवाई करने के लिए यही पर्याप्त सबूत हैं. 

26/11 के मुंबई हमले के वक्त भी पाकिस्तान को सबूत दिए गए थे, लेकिन इसके बावजूद पिछले 10 वर्षों से इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है. इसी तरह पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकवादी हमले के मामले में भी कोई प्रगति नहीं हुई. 

पाकिस्तान ये दावा करता है कि वो आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित है. लेकिन ये बात सच्चाई से बहुत दूर है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस हकीकत को अच्छी तरह से जानता है कि पाकिस्तान आतंकवाद का मुख्य केन्द्र है. 

भारत ने ये भी कहा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इस आतंकवादी हमले के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया को, भारत में होने वाले आम चुनावों से जोड़ा है. जो बिलकुल गलत है. भारत ने कड़े शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित करना बंद करे.

भारत के आक्रमक रुख से पाकिस्तान बहुत घबराया हुआ है . पाकिस्तान किसी संभावित युद्ध से इतना डर गया है कि उसने संयुक्त राष्ट्र की शरण ले ली है . पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र के Secretary General को एक चिट्ठी लिखकर ये अपील की है कि संयुक्त राष्ट्र अपनी भूमिका निभाए और दोनों देशों के बीच तनाव कम करे . 

सूत्रों के हवाले से ये खबर भी आई है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के राजदूतों को ये संदेश दिया है कि मसूद अज़हर को आतंकवादियों की List में डाला जाए.

भारत बार-बार पाकिस्तान को आतंकवादी हमलों का सबूत दे चुका है . 

26/11 के मुंबई हमले के मामले में भारत ने पाकिस्तान को कई dossier दिये थे . जिसमें लश्कर ए तैयबा के आतंकवादी हाफिज़ सईद और ज़की-उर-रहमान-लखवी के शामिल होने के सबूत दिए गए . 

पाकिस्तान को 10 हमलावर आतंकवादियों और पाकिस्तान में मौजूद उनके आकाओं से बातचीत के सबूत भी दिए गए थे . 

Dossier में ये भी कहा गया कि ज़िंदा पकड़े गए आतंकवादी अज़मल आमिर कसाब ने ज़की उर रहमान लखवी की पहचान मास्टरमाइंड के तौर पर की थी . 

आतंकवादी David Coleman Headley और तहव्वुर हुसैन राणा के बयानों के आधार पर भी अमेरिका ने भारत को सबूत दिए थे. भारत के अधिकारियों ने ये सबूत भी पाकिस्तान को मुहैया करा दिए थे. 

लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान ने हाफिज़ सईद और लखवी पर कोई कार्रवाई नहीं की . पाकिस्तान बार-बार मुंबई हमले की Joint Investigation की मांग करता रहा . 

26 नवंबर 2018 को मुंबई पर हुए इस आतंकवादी हमले में 174 लोगों की मौत हुई थी . इन 174 लोगों में से 26 विदेशी नागरिक थे . इस वजह से पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव भी था . दबाव में आकर पाकिस्तान ने लश्कर एक तैयबा के 7 आतंकवादियों के खिलाफ मुकदमा चलाया और चार्जशीट फाइल की . लेकिन इन 7 आतंकवादियों में हाफिज़ सईद का नाम नहीं था . लखवी को भी अप्रैल 2015 में जेल से रिहा कर दिया गया था. और अब वो लापता हो चुका है . 

जनवरी 2016 में पाकिस्तान के आतंकवादियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था . इस हमले में भारत के 7 जवान शहीद हुए थे . भारत ने इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद और मसूद अज़हर के शामिल होने के पुख्ता सबूत दिए थे . अमेरिका ने भारत की जांच एजेंसी NIA को इस हमले पर अहम सबूत दिए थे . इन सबूतों में हमला करने वाले 4 आतंकवादियों और जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी काशिफ जान के बीच हुई बातचीत को 1,000 पन्नों में दर्ज किया गया था . 

सबूत मिलने के बाद भी पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद और मसूद अज़हर पर कोई कार्रवाई नहीं की . जुलाई 2018 में पाकिस्तान ने अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी . 

मुंबई सीरियल ब्लास्ट का गुनहगार दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में मौजूद है . भारत इसके भी सबूत दे चुका है . लेकिन पाकिस्तान ने इस बात को कभी स्वीकार नहीं किया . अगस्त 2016 में संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने भी पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिम के 6 ठिकानों की बात को सही ठहराया था . लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान सच स्वीकार करने को तैयार नहीं था . 

जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते. आज पाकिस्तान को ये बात हमेशा-हमेशा के लिए याद कर लेनी चाहिए. क्योंकि, जिस मसूद अज़हर और जिस जैश-ए-मोहम्मद की आतंकवादी गतिविधियों से वो इनकार कर रहा है. आज वही मसूद अज़हर खुद अपनी ज़ुबान से स्वीकार करेगा, कि वो पाकिस्तान में बैठकर क्या कर रहा है ? आज 20 साल पुरानी तस्वीरें भी बताएंगी, कि कैसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और वहां की सेना ने मसूद अज़हर को पाल-पोस कर बड़ा किया है. आज हमने पाकिस्तान और आतंकवाद के मज़बूत गठबंधन को Expose करने के लिए कुछ अहम जानकारियां आपके लिए निकाली हैं. लेकिन उससे पहले हम इमरान ख़ान को पाकिस्तान की कुछ तस्वीरें दिखाना चाहते हैं. 

ये इस्लामाबाद में इमरान ख़ान के आधिकारिक आवास से सिर्फ साढ़े 6 सौ किलोमीटर दूर, पाकिस्तान का बहावलपुर है. और इन सभी तस्वीरों में बड़ी-बड़ी चारदीवारी से घिरी जो इमारत दिखाई दे रही है. वो जैश-ए-मोहम्मद का Headquarter है. आतंकवाद के इस मुख्यालय के अंदर बैठकर मसूद अज़हर भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की Planning करता है. ध्यान देने वाली बात ये है, कि ये इमारत बिल्कुल वैसी ही है, जैसी पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन की इमारत थी. और इस इमारत को भी वैसी ही सुरक्षा मिली हुई है जैसी ओसामा बिन लादेन को मिली हुई है.

मौलाना मसूद अजहर ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को अपना ठिकाना बनाया हुआ है. वो पंजाब के बहावलपुर शहर में आतंक का स्कूल चलाता है.

यहां पर एक मस्जिद है. और इसी मस्ज़िद की आड़ में मसूद अज़हर मज़हबी तालीम के नाम पर जेहादियों और आतंकवादियों की भर्ती करता है.

बहावलपुर में पहुंचते ही सबसे पहले लोगों का ध्यान इसी सफेद मस्जिद की तरफ जाता है. जिसका नाम है ज़ामिया सुभान अल्लाह.

यानी बहावलपुर में नेशनल हाईवे-5 पर चलने वालों के लिए ये पता करना मुश्किल नहीं है, कि भारत का Most Wanted आतंकवादी कहां रहता है ?

बहावलपुर में NH-5 पर सरकी चौक .. नामक एक जगह है. जहां पाकिस्तान की सरकार ने आम जनता को दिखाने के लिए F-6 फाइटर प्लेन रखा हुआ है. आप इस तस्वीर में इस फाइटर प्लेन को देख सकते हैं.

बहावलपुर इलाके में ही पाकिस्तानी सेना की 31 कोर का मुख्यालय है.

ये इलाका बेहद संवेदनशील है. ऐसा कहा जाता है कि इस मुख्यालय में पाकिस्तान के न्यूक्लियर अड्डे हैं. 

ये भी हैरान करने वाली बात है, कि जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय और पाकिस्तानी सेना के 31 कोर के Headquarter के बीच की दूरी सिर्फ 8 से 9 किलोमीटर की है. दूसरी भाषा में कहें, तो भारत का Most Wanted आतंकवादी पाकिस्तानी सेना की छत्र-छाया में बैठकर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है. 

इस इलाके में मसूद अजहर का कितना दबदबा है.. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि यहां पर स्थानीय पुलिस को भी मस्ज़िद के भीतर जाने की इजाज़त नहीं है.

बहावलपुर में मसूद अज़हर के अड्डे के बारे में भारत सहित पूरी दुनिया को जानकारी है. लेकिन, पाकिस्तान ऐसा दिखावा करता है, कि उसे जैश-ए-मोहम्मद के Headquarter के बारे में कोई जानकारी नहीं है. ज़ाहिर है पाकिस्तान खुद अपने कारनामों की पोल कैसे खोलेगा ? क्योंकि, खुद पाकिस्तान की सेना और ISI, जैश-ए-मोहम्मद को सुरक्षा प्रदान करती है. इसका मतलब ये है कि पाकिस्तान, आतंक के इस अड्डे पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा. 
सवाल ये है कि ऐसी स्थिति में भारत को क्या करना चाहिए ? 
और इस सवाल का एक ही जवाब है, और वो ये कि भारत को मिसाइल के ज़रिए मसूद अज़हर के अड्डे को बर्बाद कर देना चाहिए. 

भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर से ज़्यादा है. भारत के सूरतगढ़ से बहावलपुर की दूरी क़रीब 200 किलोमीटर है. ऐसे में ब्रह्मोस मिसाइल सिर्फ तीन मिनट के अंदर जैश-ए-मोहम्मद के अड्डे को बर्बाद कर सकती है.

इसके अलावा पृथ्वी मिसाइल की रेंज साढ़े तीन सौ किलोमीटर है. हरियाणा के सिरसा से बहावलपुर सिर्फ सवा तीन सौ किलोमीटर दूर है. ऐसे में पृथ्वी मिसाइल भी सिर्फ दो मिनट के अंदर आतंक की इमारत को तबाह कर सकती है. 

यानी जैश-ए-मोहम्मद के अड्डे को नष्ट करने के लिए भारत को सिर्फ अपनी छोटी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल करना होगा. 

'तुम सबूत दो, हम कार्रवाई करेंगे'... पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने आज हमेशा की तरह यही घिसा-पिटा Dialouge मारा हैं. लेकिन आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान क्या करता आया है, ये बात किसी से छिपी नहीं है. रही बात जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर की, तो पाकिस्तान उसके खिलाफ कभी कार्रवाई नहीं करेगा. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसे समझने के लिए आपको 20 साल पुरानी, एक घटना की याद दिलाना ज़रुरी है. 

दिसम्बर 1999 में जब Indian Airlines की Flight, IC-814 को हाईजैक किया गया था. उस वक्त 178 यात्रियों की रिहाई के लिए 3 खूंखार आतंकवादियों का सौदा किया गया था. और उन्हें भारत की जेल से रिहा करके और हवाई जहाज में बैठाकर कंधार ले जाया गया था. आपमें से बहुत सारे लोगों को ये बात पता नहीं होगी, कि जब रिहा होने के बाद ये आतंकवादी पाकिस्तान पहुंचे, तो उनका स्वागत किस तरह किया गया था ?

ये तीन आतंकवादी थे, मौलाना मसूद अज़हर. मुश्ताक अहमद ज़रगर और अहमद उमर सईद शेख

सबसे पहले इन तीनों आतंकवादियों का Bio-Data देखिए. मसूद अज़हर, जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख है. और पिछले 20 साल से पाकिस्तान के बहावलपुर में बैठकर अपने Headquarter से आतंक की फैक्ट्री चला रहा है. 

मुश्ताक अहमद ज़रगर, पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर के मुज़फ्फराबाद में बड़े आराम से रहता है. और वहीं से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है. ये वही आतंकवादी है, जिसने दिसम्बर 1989 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण किया था. और उसकी रिहाई के एवज में भारत को 5 आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था. 

अहमद उमर सईद शेख पाकिस्तानी मूल का ब्रिटिश आतंकवादी है. जिसने वर्ष 2002 में The Wall Street Journal के पत्रकार Daniel Pearl का अपहरण करके उनकी हत्या कर दी थी. 11 सितम्बर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकवादी हमले की Planning में भी इसका अहम किरदार था. और आतंकवाद की दुनिया में इसे ओसामा बिन लादेन का Special Son कहा जाता है. 

रिहाई के बाद इन तीनों ही आतंकवादियों ने अफगानिस्तान में ओसामा बिन लादेन से मुलाकात की थी. और इस मुलाकात की मेज़बानी की थी, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने. लादेन से मुलाकात के बाद ही ISI ने मसूद अज़हर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद को खड़ा किया. और उसे भारत विरोधी कार्रवाई के लिए तैयार किया. अब सवाल ये है, कि पाकिस्तान ऐसे आतंकवादियों का स्वागत-सत्कार क्यों करता है?

20 साल पहले रिहा होने के बाद मसूद अज़हर कांधार से पाकिस्तान चला गया. उस वक्त खुद पाकिस्तान की सरकार ने कहा था, कि अगर मसूद अज़हर पाकिस्तान लौटता है, तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. क्योंकि, पाकिस्तान में उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. शायद इसीलिए, 20 साल पहले पाकिस्तान लौटने पर मसूद अज़हर का भव्य स्वागत किया गया था. Media Reports के मुताबिक उस वक्त पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के तत्कालीन DG, लेफ्टिनेंट जनरल Mahmud Ahmed खुद गाड़ी चलाकर उसे Receive करने पहुंचे थे. हम आपको Mahmud Ahmed के बारे में भी जानकारी देंगे. 

लेकिन उससे पहले पाकिस्तान के बहावलपुर की 19 साल पुरानी ये तस्वीर देखिए. कांधार से पाकिस्तान पहुंचने के बाद 9 जनवरी 2000 को मसूद अज़हर बहावलपुर पहुंचा था. उस वक्त पूरी सुरक्षा के बीच इस आतंकवादी ने रैली की थी. Road Show किया था. बंदूक लहराई थीं. और एक ज़हरीला भाषण दिया था. तब इस आतंकवादी ने पाकिस्तान की सरकार की शह पर धमकी दी थी, कि वो कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए 5 लाख लोगों को इकट्ठा करेगा. 

इसके ठीक एक हफ्ते पहले मसूद अज़हर ने पाकिस्तान की सेना और पाकिस्तान की पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच कराची में भी एक रैली की थी. क़रीब 10 हज़ार लोगों की भीड़ के बीच हुई इस रैली में, इस आतंकवादी ने पाकिस्तानी जनता से कश्मीर घाटी में जेहाद शुरु करने की अपील की थी. उस समय रैलियां करने के साथ साथ, मसूद अज़हर बंद कमरे में बैठकर इंटरव्यू दे रहा था और भारत के खिलाफ युद्ध लड़ने की धमकी दे रहा था. इसलिए जो इमरान ख़ान आज मसूद अज़हर को लेकर भारत से सबूत मांग रहे हैं, उन्हें इस आतंकवादी की 19 साल पुरानी बातें सुननी चाहिए. मसूद अज़हर ने ये बातें किसी और देश में नहीं, बल्कि पाकिस्तान में ही कही थीं.

अब ISI और आतंकवाद के मज़बूत गठजोड़ का उदाहरण देखिए. 

अक्टूबर 1998 में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने, लेफ्टिनेंट जनरल Mahmud Ahmed को पाकिस्तानी सेना के X कोर का Field Commander बना दिया था. और इसके तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर में गुप्त तरीके से आतंकवादियों को घुसपैठ करवाई जाने लगी. 

पाकिस्तान की सेना में लेफ्टिनेंट जनरल Mahmud Ahmed के बारे में कहा जाता था, कि वो बहुत कट्टरपंथी, घमंडी और दूसरों को हर कीमत पर नियंत्रित करने वाले व्यक्ति हैं. उन्हें छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता था. 

इसी दौरान पाकिस्तान में तख्ता-पलट हुआ. और नवाज़ शरीफ को सत्ता से बेदखल करके, जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने राष्ट्रपति पद की कुर्सी संभाल ली. 

राष्ट्रपति बनते ही, मुशर्रफ ने लेफ्टिनेंट जनरल Mahmud Ahmed को ISI का DG बना दिया.

Mahmud Ahmed अलग-अलग आतंकवादी संगठनों के क़रीबी थे. और भारत में आतंकवाद फैलाने वाले संगठनों को इस व्यक्ति ने खुली छूट दी हुई थी.

Mahmud Ahmed पर अपने कार्यकाल के दौरान अल कायदा जैसे संगठनों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए रकम मुहैया कराने के आरोप लगे. इसने अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकवादियों की भी मदद की. 

और इसके तार अमेरिका में हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों से भी जुड़े हुए थे. वर्ष 2001 में खुद भारत ने अमेरिका की जांच एजेंसी FBI को ISI और आतंकवादियों की मिली-भगत से जुड़े सबूत सौंपे थे. 

और उन सबूतों में से एक सबूत ये था, कि अमेरिका के World Trade Centre पर मोहम्मद अता नामक आत्मघाती हमलावर ने हवाई जहाज को क्रैश करवाया था. और इस ऑपरेशन के लिए उसे 1 लाख अमेरिकी Dollar की रकम ISI के तत्कालीन DG के निर्देश पर ही भेजे गए थे. और वो रकम भेजने वाला आतंकवादी था, अहमद उमर सईद शेख. यानी वही आतंकवादी, जिसने अमेरिकी पत्रकार Daniel Pearl की हत्या की थी.

18 साल पहले भारत द्वारा अमेरिका को उपलब्ध कराये गए इसी सबूत की वजह से, लेफ्टिनेंट जनरल Mahmud Ahmed को ISI के DG के पद से इस्तीफा देना पड़ा था

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