ZEE जानकारी: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- उन्नाव रेप के सभी मामले दिल्ली होंगे ट्रांसफर
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ZEE जानकारी: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- उन्नाव रेप के सभी मामले दिल्ली होंगे ट्रांसफर

2 वर्ष पहले जून 2017 में उन्नाव में एक नाबालिग़ लड़की के साथ रेप हुआ था. 

ZEE जानकारी: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- उन्नाव रेप के सभी मामले दिल्ली होंगे ट्रांसफर

अब बात उत्तर प्रदेश के उन्नाव रेप केस की जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आज बहुत सख़्त रुख़ अपनाया है. हमेशा की तरह देश का सर्वोच्च न्यायालय एक बार फिर इंसाफ़ की अंतिम उम्मीद बनकर खड़ा हुआ है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच के आदेश पर अब उन्नाव रेप केस से जुड़े सभी 5 मामलों की सुनवाई दिल्ली की तीस हज़ारी अदालत में होगी. ((इस केस की सुनवाई अब ज़िला जज धर्मेश शर्मा करेंगे.)) अभी तक ये केस लखनऊ की विशेष CBI अदालत में चल रहा था. कोर्ट ने कहा है कि रोज़ सुनवाई करके ये पूरा Trial 45 दिन में पूरा किया जाए. 

2 वर्ष पहले जून 2017 में उन्नाव में एक नाबालिग़ लड़की के साथ रेप हुआ था. इस मामले में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आज बीजेपी ने भी निष्कासित कर दिया है.

इस केस में पीड़ित परिवार 28 जुलाई को जब उन्नाव से रायबरेली जा रहा था तो एक ट्रक ने उनकी कार को टक्कर मार दी थी. इस हादसे में परिवार की 2 महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई . जबकि पीड़ित लड़की और उनके वकील लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं, उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा है कि लड़की का परिवार चाहे तो उन्हें इलाज के लिये Air Ambulance से दिल्ली के AIIMS अस्पताल लाया जा सकता है. लड़की के परिवार का आरोप है कि ये दुर्घटना नहीं, बल्कि हत्या की साज़िश थी.

सुप्रीम कोर्ट ने CBI को इस सड़क दुर्घटना की जांच 7 दिन में पूरी करके 2 हफ़्तों में चार्जशीट दाख़िल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पीड़ित परिवार को CRPF की सुरक्षा मुहैया कराने के साथ उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वो पीड़ित लड़की को 25 लाख रुपये मुआवज़े दे. पीड़ित पक्ष के वकील ने आज कोर्ट से कहा कि लड़की के चाचा रायबरेली जेल में बंद हैं...जहां उनकी जान को ख़तरा है. इसलिए उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है. इस मामले में कल सुनवाई की जाएगी.

पिछले दो वर्षों से इंसाफ़ की लड़ाई लड़ रही ये पीड़ित लड़की अब वेंटिलेटर पर है. इन 2 वर्षों में उसने इस लड़ाई में बहुत कुछ खो दिया है. उसने 12 जुलाई को चीफ जस्टिस को एक चिट्ठी भी लिखी थी कि आरोपी विधायक के क़रीबी उसे धमकी दे रहे हैं, लेकिन ये चिट्ठी चीफ जस्टिस तक नहीं पहुंची.

आज इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के Secretary General ने अदालत को बताया कि हर महीने उन्हें क़रीब 5 हज़ार चिट्ठी मिलती हैं. और पिछले महीने कोर्ट को 6,900 चिट्ठी मिली थीं. इन सभी चिट्ठियों की गाइडलाइन के मुताबिक़ Screening की गई. क्योंकि मीडिया में Rape Victim का नाम नहीं आता है, इसलिये रजिस्ट्री स्टाफ को लड़की का नाम नहीं पता था. लेकिन जैसे ही इस बारे में पता चला, चिट्ठी को तलाश लिया गया. अब कोर्ट ने इस बात की जांच के आदेश दिये हैं, कि चिट्ठी के गुम होने के पीछे...क्या किसी की लापरवाही थी? ये जांच 7 दिन के अंदर सुप्रीम कोर्ट के एक जज की निगरानी में ही की जाएगी.

महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले ऐसे अपराध हमारे समाज के दिलो-दिमाग़ पर काफ़ी असर डालते हैं. ख़ासकर लड़कियां ऐसी घटनाओं के बारे में सुनकर ख़ुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. 

यही फ़िक्र उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले में भी देखने को मिली...जहां एक स्कूल में पुलिस छात्राओं को जागरूक करने पहुंची थी. इस दौरान पुलिस छात्राओं को बता रही थी कि छेड़ख़ानी होने पर वो Toll Free नंबर पर शिकायत करें. लेकिन इस बीच एक छात्रा ने पुलिस से ऐसा सवाल किया. जिसका जवाब वहां मौजूद अधिकारियों के पास नहीं था.

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