ZEE जानकारी: भारत में इंसान की जान सबसे सस्ती क्यों?
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ZEE जानकारी: भारत में इंसान की जान सबसे सस्ती क्यों?

 हमारे देश में सबसे सस्ती चीज़ क्या है ? आप में से बहुत सारे लोग अलग-अलग अंदाज़ा लगा रहे होंगे. लेकिन हमें लगता है कि भारत में इंसान की जान सबसे सस्ती है. 

 ZEE जानकारी: भारत में इंसान की जान सबसे सस्ती क्यों?

अब हम मुंबई में हुए एक भीषण अग्निकांड का DNA टेस्ट करेंगे. ये विश्लेषण शुरू करने से पहले हम आपसे ये कहना चाहते हैं कि इस ख़बर को आग लगने की एक सामान्य घटना मत समझिए. इस ख़बर में सिस्टम की लापरवाही है. नियमों का उल्लंघन है. भ्रष्टाचार है. रिश्वतखोरी है. और इन सब ने इस आग में घी डालने का काम किया है. लेकिन इस विश्लेषण की शुरुआत एक सवाल से. हमारे देश में सबसे सस्ती चीज़ क्या है ? आप में से बहुत सारे लोग अलग-अलग अंदाज़ा लगा रहे होंगे. लेकिन हमें लगता है कि भारत में इंसान की जान सबसे सस्ती है.

यानी एक ऐसी चीज़, जिसे अनमोल होना चाहिए, उसी का मोल हमारे देश में कुछ भी नहीं है. मुंबई में कल एक अस्पताल में आग लग गयी और 8 लोगों की मौत हो गई. ये लोग वहां गए तो थे अपनी जान बचाने, लेकिन वहां मौत उनका इंतज़ार कर रही थी. ख़बर ये है, कि इस अस्पताल के पास प्रशासन का No Objection Certificate नहीं था.

असलियत ये है कि हमारा देश No Objection Nation बनता जा रहा है. अब हमें किसी अव्यवस्था पर कोई Objection नहीं होता. इसलिए अगर 135 करोड़ की आबादी वाले भारत को 'No Objection Country' कहा जाए, तो ग़लत नहीं होगा. मुंबई के अंधेरी में स्थित ESIC कामगार Hospital में घटना के वक्त पौने चार सौ लोग मौजूद थे.

कल शाम 4 बजे जैसे ही आग लगी, लोग इधर-उधर भागने लगे. भीषण आग में झुलसने और दम घुटने की वजह से 8 लोग मारे गए . जबकि 176 लोग ज़ख्मी हुए . और इन 176 लोगों में से 28 की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. जांच में पता चला, कि इस Hospital के पास आग से निपटने के लिए NOC और Fire Audit नहीं था. Fire Audit इसलिए किया जाता है, ताकि ये पता चल सके, कि आग से निपटने के लिए किस तरह के संसाधन उपलब्ध हैं .

और वो काम करने की स्थिति में हैं भी या नहीं. Fire Brigade Department किसी भी नई या पुरानी इमारत को एक 'No Objection Cerficate' भी देता है. ताकि ये पता रहे कि किसी इमारत का निर्माण नियमों के मुताबिक हुआ है. और उसमें सुरक्षा के सारे इंतज़ाम किए गए हैं. लेकिन इस अस्पताल के पास NOC था ही नहीं .

बल्कि ये Provisional NOC के दम पर मरीज़ों की जान से खिलवाड़ कर रहा था.(( क़रीब एक महीने पहले इस अस्पताल ने Fire Safety को लेकर NOC के लिए आवेदन किया था . लेकिन Fire Department ने इसे नाकाफी मानते हुए खारिज कर दिया था . )) अब सिस्टम की लापरवाही का एक और नमूना देखिए .

इस Hospital का निर्माण वर्ष 1970 में हुआ था. और इसकी जर्जर हालत को देखते हुए उसे वर्ष 2009 में Demolish करके, नई इमारत खड़ी करने की बात कही गई थी . लेकिन Hospital की इमारत के कुछ हिस्सों पर ही नए Construction का काम शुरू हुआ . जबकि, कुछ हिस्से अभी भी निर्माणाधीन ही हैं .

इसका सीधा सा मतलब ये हुआ, कि पिछले 9 वर्षों से हमारा सिस्टम किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा था . और इसी 'चलता है' वाले Attitude की वजह से 8 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. सच तो ये है, कि भारत को No Objection की आदत लग चुकी है . बिल्डर पैसा ले लेते हैं, फ्लैट नहीं बनाते हैं. जगह-जगह अतिक्रमण हो जाता है, और प्रशासन को पता ही नहीं चलता . दरअसल, हमें किसी भी चीज़ पर आपत्ति ही नहीं है . हमने सबकुछ सहर्ष स्वीकार कर लिया है. दिसम्बर 2017 की वो घटना याद कीजिए .

जब मुंबई के कमला Mills के कंपाउंड में मौजूद दो Restaurants में आग लगी थी . इस अग्निकांड में 14 लोग मारे गए थे . उस वक्त भी ये बात सामने आई थी, कि Restaurants में Fire Safety के उपकरण नहीं थे . वहां पर गैरकानूनी तरीके से सिलेंडर रखे गए थे . ठीक इसी तरह मई 2018 में वाराणसी में एक निर्माणाधीन फ्लाइओवर का हिस्सा, कुछ गाड़िय़ों पर गिर गया था .

और इसकी वजह से 15 लोगों की मौत हो गई थी . उस वक्त वाराणसी पुलिस की FIR में प्रोजेक्ट मैनेजर पर ठीक से काम ना करने के आरोप लगाए गए थे . दो साल पहले कोलकाता में भी एक ऐसा ही हादसा हुआ था . जब एक निर्माणाधीन पुल का बड़ा हिस्सा गिर गया था . तब 25 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी .

और जांच में ये पाया गया था, कि Flyover के Map और Design में खामियां थीं . उसे बनाने के लिए ख़राब और कामचलाऊ Material का इस्तेमाल किया गया था .ऐसे हादसों के लिए हर वो व्यक्ति ज़िम्मेदार है, जिसने अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई . लेकिन क्या आपको याद है, कि इन हादसों के बाद क्या हुआ? ज्यादातर मामलों में दोषियों को मामूली सज़ा मिली. 

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