ZEE जानकारी: क्यों नहीं जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमारे सिस्टम के पास कोई ठोस नीति
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ZEE जानकारी: क्यों नहीं जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमारे सिस्टम के पास कोई ठोस नीति

जनसंख्या रोकने के लिए हमारा सिस्टम कोई ठोस नीति बनाने के बजाए आज भी नारों और स्लोगन तक सीमित है . 

ZEE जानकारी: क्यों नहीं जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमारे सिस्टम के पास कोई ठोस नीति

बढ़ती जनसंख्या का दूसरा पहलू ये भी है कि इस समस्या ने हमारे सिस्टम की कमियों और लोगों की सोच को सबके सामने लाने का काम किया है . जनसंख्या रोकने के लिए हमारा सिस्टम कोई ठोस नीति बनाने के बजाए आज भी नारों और Slogans तक सीमित है . आपको भी कुछ Slogans याद होंगे जैसे ....

हम दो, हमारे दो
छोटा परिवार सुखी परिवार . 
जनसंख्या पर रोक लगाओ, विकास की धार बढ़ाओ . 
हिन्दू हो या मुसलमान, एक परिवार एक संतान. 

इतने प्रभावशाली नारों के बाद भी भारत की जनसंख्या 135 करोड़ हो चुकी है . इसका मतलब ये हुआ की देश के लोगों ने इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया और सिस्टम ने भी इस तरफ कोई विशेष ध्यान नहीं दिया . पिछले 70 वर्षों में हमारे देश का सिस्टम ऐसी कोई योजना नहीं बना पाया है जिससे वो गांवों की आबादी को शहरों की तरफ आने से रोक सके . अपनी ज़रूरतों और सुविधाओं के चक्कर में गांवों की आबादी... शहरों में पहुंच गई है . आज बढ़ती जनसंख्या के बोझ से, भागने वाले शहर...रेंगते हुए दिखाई देते हैं . 

शहरों में ज़रा सी बारिश आने पर ऐसा लगता है कि जैसे कोई बड़ी आपदा आ गई हो . इस बात का सबसे ताज़ा उदाहरण है देश की औद्योगिक राजधानी ..मुंबई . पिछले कुछ दिनों की बारिश से ये महानगर एक विशाल तालाब में बदल चुका है . एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए मुंबई के लोग सड़कों पर भरे हुए पानी से होकर गुजर रहे हैं . बारिश बंद होने के बाद भी मुंबई का सिस्टम सड़कों से पानी नहीं निकाल पाया है . शहर की ज़्यादातर सड़कें पानी में डूबी हुई हैं. महानगरों में इस तरह की दिक्कतों की वजह है ..लापरवाह सिस्टम और लगातार बढ़ती जनसंख्या. मुंबई में इस समय करीब सवा दो करोड़ लोग रहते हैं . इतने लोगों का बोझ उठाना मुंबई के बस की बात नहीं है . भारत के हर शहर में आबादी का Time Bomb टिक टिक कर रहा है. हमारे सिस्टम को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा. 

आबादी का ये टाइम Bomb धीरे धीरे, लोगों की सोच पर भी असर डालने लगता है और ये बदलाव इतनी धीमी गति से होता है कि किसी को पता नहीं चलता. देश में सामाजिक पतन के लिए भी जनसंख्या ज़िम्मेदार है. जब आबादी का दबाव बढ़ता है तो देश के लोग संवेदनहीन हो जाते हैं. और अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के संघर्ष में, लोग दूसरों की परवाह नहीं करते. वो अपनी ज़िंदगी में किसी तरह का तनाव नहीं लेना चाहते. अगर उनके आसपास कोई व्यक्ति मुसीबत में हो तो वो उसकी मदद करने के बजाए आगे बढ़ जाने में ही अपनी भलाई समझते हैं. यानी जनसंख्या बढ़ने के साथ साथ देश में संवेदनहीन लोगों की संख्या भी बढ़ रही है . 

आज हमारे पास राजस्थान के बाड़मेर से एक वीडियो आया है. इस वीडियो में एक सड़क हादसे बाद गंभीर रूप से घायल 
युवक... आस-पास के लोगों से मदद मांग रहा है . इस हादसे में इस युवक के दो साथियों की मौत हो चुकी हैं और उनके शव सड़क पर पड़े हुए हैं. लेकिन ये लोग इस युवक की मदद करने के बजाए तमाशा देख रहे हैं और वीडियो बना रहे हैं . संवेदनहीनता की हद ये है कि इस दौरान वीडियो बनाने वाला एक युवक Selfie लेने लगा . इस युवक को इस बात की परवाह नहीं थी कि घायल व्यक्ति की मदद कैसे की जाए . वो इस हादसे के ज़रिए सोशल मीडिया पर मशहूर होने का रास्ता ढूंढ रहा था. घायल युवक सड़क पर इलाज के लिए तड़पता रहा लेकिन यहां खड़े लोगों ने इसे अस्पताल नहीं पहुंचाया . बाद में इलाज ना मिलने की वजह से इस युवक की मौत हो गई . इस वीडियो को देखने के बाद अब आप खुद ये तय कीजिए की आपके अंदर कितनी संवेदनशीलता बची है . ये हादसा किसी भी इंसान के साथ हो सकता है लेकिन लोगों में मदद करने की भावना हो, तो इस नुकसान को कम किया जा सकता है. आज का कड़वा सच ये है कि आबादी के RDX में जब विस्फोट होता है तो भावनाओं की मौत हो जाती है. और लोग सिर्फ अपने बारे में सोचना शुरू कर देते हैं.

जनसंख्या विस्फोट से समस्याओं का भी विस्फोट होता है . इसके बुरे असर से बचने के लिए ये ज़रूरी है कि भारत के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं में शामिल करवाया जाए . ताकी लोग बीमारी और बेरोज़गारी की स्थिति में दूसरों पर निर्भर ना हों . 

आम तौर पर लोगों की ये धारणा होती है कि लड़के का जन्म होने से ही वंश बढ़ता है . अक्सर देखा जाता है कि लड़के की उम्मीद में ही लोग लगातार बच्चे पैदा करते हैं . 

महिलाओं की साक्षरता दर को बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए . क्योंकि आमतौर पर ये देखा गया है कि अनपढ़ महिलाएं जानकारी की कमी की वजह से परिवार नियोजन के महत्व को नहीं समझ पाती हैं . इस तरह अशिक्षा और गरीबी के कुचक्र में फंसकर परिवार और गरीब होते जाते हैं . 

बालिकाओं को शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए . लड़कियों को अगर मुफ्त शिक्षा दी जाए तो भी ये फायदे का सौदा है . क्योंकि पढ़ी-लिखी महिला पूरे परिवार का मार्गदर्शन करती है . 

एक या दो बच्चों वाले परिवारों को Gifts या Incentive देकर प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए . 

परिवार नियोजन के महत्व पर कार्यक्रम होने चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए . 

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