रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परमाणु हथियारों को लेकर भारत की नीति को लेकर इशारों-इशारों में एक बड़ी बात कही.
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आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि है. अटल जी को श्रद्धांजलि देने के लिए रक्षा मंत्री आज पोखरण गए हुए थे . 21 वर्ष पहले, मई 1998 में इसी स्थान पर भारत ने तीन सफल परमाणु परीक्षण किए थे. उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया को बता दिया था, कि भारत का मिज़ाज कितना सख्त हो सकता है.
अटल जी के एक फैसले ने भारत को दुनिया में एक परमाणु शक्ति के तौर पर स्थापित कर दिया था. लेकिन, परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर, भारत की शुरूआत से यही नीति रही है, कि वो पहले हमला नहीं करेगा. यानी भारत 'No First Use' की Nuclear Policy पर चलने वाला देश है. रक्षा मंत्री ने भी आज यही बात दोहराई. और कहा, कि आज तक No First Use ही भारत की नीति रही है. लेकिन साथ ही साथ उन्होंने ये भी कहा है, कि भविष्य में क्या होगा, वो परिस्थितियों पर निर्भर करता है.
भारत, परमाणु हथियारों से संपन्न एक ज़िम्मेदार देश है. और शुरुआत से ही भारत की सोच यही रही है, कि अगर पाकिस्तान किसी तरह के परमाणु हथियार का इस्तेमाल करता है, तो भारत भी जवाबी कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा. हालांकि, किसी भी स्थिति में भारत पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा.
लेकिन रक्षा मंत्री द्वारा कही गई बातों में छिपे संकेत को समझें, तो परिस्थितियों के मुताबिक भारत अपनी नीति में बदलाव कर सकता है. यहां आपके लिए साधारण भाषा में ये समझना भी ज़रुरी है, कि भारत के Nuclear Doctrine और पाकिस्तान के Nuclear Doctrine में क्या फर्क है ?
वर्ष 1998 से भारत ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर तीन बातों का ख़ास ख्याल रखा है.
पहली बात है - Credible Minimum Deterrence यानी ज़रुरत के मुताबिक कम से कम हथियार का इस्तेमाल.
दूसरी अहम बात है - No First Use यानी पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
और तीसरी अहम बात है - परमाणु हथियारों से हमला किए जाने की स्थिति में Massive Retaliation यानी भारी पैमाने पर जवाबी कार्रवाई करना.
जहां तक पाकिस्तान की बात है, तो उसका कोई Nuclear Doctrine यानी परमाणु सिद्धांत नहीं है.
वर्ष 2016 में पाकिस्तान की Strategic Planning Division के लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई, इस बात को स्वीकार कर चुके हैं, कि पाकिस्तान के सारे परमाणु हथियार, भारत पर हमला करने के लिए Fix किए गए हैं.
वैसे ध्यान देने वाली बात ये भी है, कि No First Use Policy के अपने फायदे भी होते हैं.
अगर कोई देश No First Use के सिद्धांत से बंधा हुआ है, तो ऐसी स्थिति में परमाणु हमला करने का फैसला दूसरे देश को ही लेना होता है.
अगर कोई देश परमाणु हथियारों का इस्तेमाल पहले करता है, तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसकी काफी बदनामी होती है.
इसके अलावा No First Use के सिद्धांत को लागू करने के लिए कोई रकम भी खर्च नहीं करनी पड़ती. और आप एक ज़िम्मेदार देश और ज़िम्मेदार Nuclear Power के तौर पर दुनिया में जाने जाते हैं.
भारत अपने परमाणु सिद्धांत की नीति में बदलाव करता है या नहीं, ये भविष्य की बात है. लेकिन इतना तय है, कि वर्तमान में राजनाथ सिंह की टिप्पणी के बाद पाकिस्तान में हलचल काफी बढ़ गई होगी. और वो आशंकित हो गया होगा . कुछ ऐसी ही चिंता, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने दो दिन पहले जताई थी. जब उन्होंने ये कहा था, कि भारत, पाकिस्तान पर बालाकोट से भी बड़े हमले की Planning कर रहा है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपने परमाणु कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए कहा था, कि पाकिस्तान घास की रोटी खा कर गुज़ारा कर लेगा, लेकिन परमाणु बम जरूर बनाएगा. .