Zee Jaankari: कलियुग को मिलावट के रोग से मुक्ति दिलाने वाला विश्लेषण
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Zee Jaankari: कलियुग को मिलावट के रोग से मुक्ति दिलाने वाला विश्लेषण

अपने चारों तरफ नज़र दौड़ाइये.. तो आपको वस्तुओं से लेकर रिश्तों तक, और नीयत से लेकर नेतागीरी तक, हर चीज़ में मिलावट नज़र आएगी. भारत के ग्रंथों में हमेशा ये कहा गया है कि आज का युग.. कलियुग है. 

Zee Jaankari: कलियुग को मिलावट के रोग से मुक्ति दिलाने वाला विश्लेषण

अपने चारों तरफ नज़र दौड़ाइये.. तो आपको वस्तुओं से लेकर रिश्तों तक, और नीयत से लेकर नेतागीरी तक, हर चीज़ में मिलावट नज़र आएगी. भारत के ग्रंथों में हमेशा ये कहा गया है कि आज का युग.. कलियुग है. लेकिन रिसर्च ये कहता है कि आज का युग मिलावट का युग है. भारत अब मिलावट करने में अव्वल है और हमारा देश नकली और मिलावटी सामान बनाने का चैंपियन बन गया है. आज हम इसी मिलावट का 100 प्रतिशत शुद्ध विश्लेषण करेंगे. हमारे सिस्टम पर मिलावट की मोम जम गई है और आज हम इस मोम को पिघलाने के लिए एक ज़रूरी DNA टेस्ट कर रहे हैं.

आपने ऊंची दुकान और फीके पकवान वाली कहावत ज़रूर सुनी होगी, लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि ऊंची दुकानों में सिर्फ बेस्वाद पकवान ही नहीं बल्कि खाने-पीने का नकली और ज़हरीला सामान भी मिलता है. विडंबना ये है कि भारत में जिस मंत्रालय पर ये मिलावट रोकने की जिम्मेदारी है, उसी विभाग के मंत्री खुद इस मिलावट का शिकार हो गए हैं. उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री.. राम विलास पासवान ने कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले अनौपचारिक बातचीत के दौरान...उन्होंने अपनी रसोई से जुड़ा एक किस्सा Share किया.

उन्होंने बताया कि उनके स्टाफ ने Fruit Salad बनाने के लिए दिल्ली के खान मार्केट इलाके से कुछ सेब खरीदे थे. ये सेब एक प्रतिष्ठित दुकान से 420 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदे गए थे. ये सेब बहुत चमकदार थे, इसलिए पहले इन्हें धोया गया, लेकिन कई बार धोने के बाद भी इनकी चमक नहीं गई. जब इन सेबों को चाकू से खुरचा गया, तो उनमें से मोम यानी Wax की एक मोटी परत निकली. इसके बाद राम विलास पासवान ने वहां मौजूद पत्रकारों और लोगों को सलाह दी कि बाज़ार से लाए गए फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही खाना चाहिए.

घटना केंद्रीय मंत्री से जुड़ी थी, इसलिए फौरन सेब बेचने वाले दुकानदार पर कार्रवाई की गई और उसका चालान भी काट दिया गया. मिलावट वाली ये महामारी सिर्फ दिल्ली में नहीं बल्कि देश के हर कोने में फैल चुकी है. इसलिए आज हम आपको मिलावट को रोकने, इसकी शिकायत करने और इसकी पहचान करने के तरीकों के बारे में भी बताएंगे. सबसे पहले आप फलों और सब्जियों में होने वाली मिलावट के बारे में जान लीजिए. सेब, खीरा, और शलगम जैसे फल और सब्जियों पर मोम यानी Wax की परत चढ़ाई जाती है.

ये Wax इन फलों और सब्जियों को ज्यादा चमकदार बनाती है और जल्दी खराब होने से भी बचाती है. सेब जैसे फलों की बाहरी परत प्राकृतिक मोम से ढकी हुई होती है. ये मोम सेहत के लिए हानिकारक नहीं होती, लेकिन इन्हें दुकानों और Supermarkets में भेजने से पहले अच्छी तरह धोया जाता है. इस धुलाई के दौरान प्राकृतिक मोम की परत निकल जाती है और सेब की चमक कम हो जाती है. इसलिए इन पर Artificial wax यानी कृत्रिम मोम लगाई जाती है. इससे ये सेब ज्यादा ताज़ा दिखाई देते हैं और इनकी चमक खीरददारों को आकर्षित करती है.

आमतौर पर सेब पर Food Grade मोम की परत चढ़ाई जाती है, यानी ये खाने योग्य होती है. लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है. इससे आपको पेट और छोटी आंत से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. और ये भी संभव है कि खाने लायक इस मोम में भी मिलावट कर दी गई हो. इसके अलावा सब्जियों पर हरे रंग की एक Dye भी लगाई जाती है. 

इस DYE को कैंसर कारक माना गया है. फलों और सब्जियों का आकार बढ़ाने के लिए इनमें Oxytocin नामक हार्मोन के इंजेक्शन लगा दिए जाते हैं. Oxytocin से आपको दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं . फलों को जल्दी पकाने के लिए Calcium Carbide नामक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. ये केमिकल अगर ज्यादा मात्रा में शरीर में चला जाए तो आपको सिरदर्द, चक्कर आना और घबराहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ये आपके Neuro System यानी स्नायु तंत्र को भी बेकार कर सकता है. भारत में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली ..

अरहर की दाल में Metanil Yellow (मैटानिल यैलो ) नामक रंग का इस्तेमाल होता है, इस रंग का इस्तेमाल करना गैरकानूनी है, लेकिन अरहर की दाल में इसे बड़े पैमाने पर मिलाया जाता है. ये रंग आपके Nervous System को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है. गेहूं जैसे अनाज में Ergot (एर्गट) नामक फंगस लग जाती है, अगर इसी फंगस के साथ पीसे गए गेहूं का आटा आपके शरीर में चला जाए तो आप गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं. इसी तरह मसालों में भी बड़े पैमाने पर मिलावट की जाती है, हल्दी में Metanil Yellow (मैटानिल यैलो ) नामक रंग मिलाया जाता है तो लाल मिर्च में Red Oxide नामक कैंसर कारक रसायन मिलाया जाता है.

भारत में दूध भी शुद्ध नहीं मिलता...दूध में पानी, डिटरजेंट और यूरिया मिलाकर इसे ज़हरीला और अशुद्ध बना दिया जाता है. भारत में अन्न को देवता कहा जाता है. लेकिन मुनाफाखोरी के चक्कर में हम अन्न के साथ भी मिलावट वाला पाप कर देते हैं . मिलावट किसी भी देश को महा विनाश की तरफ ले जा सकती है. इसलिए इसे रोकना बहुत ज़रूरी है. हमने आज आम लोगों की सेहत से जुड़ी इस खबर पर 100 प्रतिशत शुद्ध Ground Reporting की है.  आप इसे Zee News की..मिलावट भारत छोड़ो मुहिम भी कह सकते हैं . वर्ष 2018 में जारी किए गए.

Food Safety and Standards Authority of India के आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष खाने-पीने की वस्तुओं के 25 प्रतिशत Samples में मिलावट पाई गई थी. हमारे देश में प्रदूषण की तरह मिलावट भी कोई मुद्दा नहीं है . हमारी हवा में धुएं की मिलावट हो चुकी है, हमारे पानी में ज़हरीले कण तैर रहे हैं .  प्लास्टिक हमारे पर्यावरण और ज़मीन को नष्ट कर रहा है. दवाइयों में मौत की मिलावट हो रही है, इलाज की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की मिलावट हो चुकी है .  खबरों में अफवाहों की मिलावट की जा रही है, राजनीति...

परिवारवाद की मिलावट से ग्रस्त है, और तो और हमारे रिश्तों में लालच मिलावट बनकर घुल चुका है. मिलावट एक गंभीर विषय है लेकिन कई बार गंभीर बातें तब समझ आती है, जब उन्हें व्यंग्य के अंदाज़ में समझाया जाता है  . 
अब आपको बताते हैं कि खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट की शिकायत आप कहां और कैसे कर सकते हैं. इसके लिए आप FSSAI से संपर्क कर सकते हैं . 
इसके लिए आप इस वक्त स्क्रीन पर दिखाई जा रही Website पर जाकर मिलावट की शिकायत कर सकते हैं . 

इसके अलावा आप एक Toll Free Number भी नोट कर लीजिए. ये नंबर है 1800112100 ये FSSAI का Customer Care नंबर है, आप इस पर फोन करके भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. मिलावट की आदत किसी भी देश को पतन की ओर ले जाती है.  भारत एक धार्मिक देश है. हमारे यहां शुद्ध आचरण और शुद्ध विचारों को बहुत प्राथमिकता दी जाती है.  ऐसा भी कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति मंदिर में जाता है तो उसे वहां शरीर के साथ साथ मन की शुद्धता का भी ध्यान रखना चाहिए. 

लेकिन भारत में अब भगवान भी मिलावट से बच नहीं पा रहे हैं. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में जब शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले दूध के samples की जांच की गई तो पता चला कि इनमें 98.5 प्रतिशत तक सिर्फ पानी है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ये नकली दूध भक्तों को 100 रुपये प्रति लीटर की कीमत पर बेचा जा रहा था.

यानी मिलावट का धंधा करने वाले...धर्म को भी नहीं छोड़ रह. भारत में नकल करके पास होने वाले छात्र हैं  .  100 प्रतिशत शुद्धता की गारंटी देकर नकली सामान बेचने वाले व्यापारी हैं. जनता से वादा करके उसे तोड़ने वाले नेता हैं. कानूनों और नियमों का मज़ाक उड़ाने वाले भ्रष्ट अधिकारी हैं.  ख़बरों में मिलावट करने वाले डिज़ाइनर पत्रकार हैं. 

और दूध और घी की हालत तो आप जानते ही हैं. इस मिलावट को किसी कानून से दूर नहीं किया जा सकता. इसके लिए किसी Gadget या तकनीक का आविष्कार करने की ज़रूरत नहीं है, इसके लिए बस थोड़ी सी नैतिकता और ईमानदारी की ज़रूरत है. 

 

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