Zee Jaankari: पीएम मोदी-जिनपिंग की दोस्ती के 'महाबलीपुरम अध्याय' का विश्लेषण
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Zee Jaankari: पीएम मोदी-जिनपिंग की दोस्ती के 'महाबलीपुरम अध्याय' का विश्लेषण

प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की कल महाबलीपुरम में मुलाकात शुरु हो रही है. करीब डेढ़ वर्ष पहले... साल 2018 में चीन के वुहान में मोदी और जिनपिंग के बीच पहली अनौपचारिक बैठक हुई थी. 

Zee Jaankari: पीएम मोदी-जिनपिंग की दोस्ती के 'महाबलीपुरम अध्याय' का विश्लेषण

प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की कल महाबलीपुरम में मुलाकात शुरु हो रही है. करीब डेढ़ वर्ष पहले... साल 2018 में चीन के वुहान में मोदी और जिनपिंग के बीच पहली अनौपचारिक बैठक हुई थी. और उसका दूसरा अध्याय महाबलीपुरम में शुरु होगा. अनौपचारिक बैठक का मतलब ये है कि इसका कोई एजेंडा या कोई लक्ष्य तय नहीं होता है.  अक्सर किसी मुद्दे पर सहमति बनाने में दो देशों के अधिकारियों को काफी वक्त लग जाता है.  लेकिन दो राष्ट्राध्यक्ष ऐसी अनौपचारिक मुलाकात में ऐसे मसलों पर तुरंत फैसला ले सकते हैं.  आप ऐसी अनौपचारिक बैठकों को भारतीय विदेश नीति की.

नई रणनीति भी कह सकते हैं. मोदी और जिनपिंग के बीच इस अनौपचारिक बैठक को लेकर आपके मन में भी कई सवाल होंगे.पहला सवाल है... इस मुलाकात का एजेंडा और मुद्दे क्या होंगे ? क्या दोनों देशों के संबंध मोदी फैक्टर की वजह से बेहतर होंगे ? दूसरा सवाल है. क्या इस मुलाकात में कश्मीर और पाकिस्तान पर भी बात होगी ?तीसरा सवाल है..

. भारत और चीन के सदियों पुराने संबंधों का महाबलिपुरम कनेक्शन क्या है ? अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में बड़े बड़े बयानों की ज़रूरत नहीं होती है.  इसमें तस्वीरों के ज़रिये ही दुनिया को संदेश दे दिया जाता है .  महाबलीपुरम में आपको दोनों नेताओं के मुलाकात की अच्छी तस्वीरें दिखाई देंगी... यहां प्रधानमंत्री मोदी... शी जिनपिंग को भारत की शानदार सभ्यता और संस्कृति दिखाएंगे  .  लेकिन, सूत्रों के मुताबिक जब दोनों नेता मिलकर बात करेंगे तो उसमें कूटनीति कम और सीधे सवाल ज्यादा होंगे  .  Diplomacy में इसे Tough Talk यानी मुश्किल माहौल में हुई बातचीत कहते हैं  .  इसमें प्रधानमंत्री मोदी...

भारत की बात करेंगे... यानी वो मुद्दे जो हमारे देश के लिए जरूरी हैं... और जिनका हमसे सीधा संबंध है  .  बताया ये भी गया है कि शी जिनपिंग भी भारत को ऐसा ही जवाब दे सकते हैं  .  यानी इस अनौपचारिक मुलाकात में सख्त, सवाल पूछे जा सकते हैं  . अब आप सोच रहे होंगे कि क्या इस मुलाकात में भविष्य के लिए कोई अच्छी खबर है ?

और क्या दोनों देश आपसी मतभेदों को भुलाकर... किसी मुद्दे पर सहमति बना पाएंगे ?अब आपको बताते हैं कि इस मुलाकात का एजेंडा और मुद्दे क्या होंगे ?प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच सबसे बड़ा मुद्दा है जम्मू कश्मीर  .  कल भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन को जवाब देते हुए कहा था कि... किसी भी देश को भारत के आंतरिक मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है  .

इससे पहले शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुलाकात के बाद जारी साझा बयान में कश्मीर का जिक्र किया गया था  . लेकिन सूत्रों के मुताबिक महाबलीपुरम में कश्मीर पर कोई चर्चा नहीं होगी  . प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच आतंकवाद पर भी बातचीत हो सकती है  . आतंकवादियों को ट्रेनिंग, Fund और समर्थन देनेवालों देशों पर भी भारत और चीन बात कर सकते हैं  .

दोनों नेताओं के बीच आतंकवाद पर बातचीत करने का मतलब ये भी है कि अब चीन को आतंकवाद पर अपना रुख साफ करना होगा. अब चीन को तय करना होगा कि वो आतंकवाद के साथ है या आतंकवाद के खिलाफ है  .  यानी आतंकवाद पर चीन का दोहरा रवैया अब नहीं चलेगा  .  क्योंकि एक तरफ चीन विश्व मंच पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की बात कहता है और दूसरी ओर चीन...

आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश पाकिस्तान का संरक्षक बना हुआ है  . वुहान समिट के बाद भी दोनों देशों के बीच All is Well नहीं है  .  इसकी वजह है 5 ऐसी बातें जो दोनों देशों के संबंधों में रूकावट बन रही है  . इसमें सबसे पहले नंबर पर है अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत का गठबंधन QUAD  .  हाल ही में इन देशों ने हिंद महासागर के साथ South China Sea इलाके में गश्त लगाने का फैसला किया है  .

चीन के विदेश मंत्री wang yi(वांग यी) ने पिछले महीने कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद... भारत दौरा रद्द कर दिया था  . दोनों देशों के बीच तीसरा मुद्दा है... अरुणाचल प्रदेश में भारत का युद्धाभ्यास  .  इसी महीने भारत और चीन सीमा से 100 किलोमीटर दूर भारतीय सेना ने पहली बार युद्धाभ्यास किया  . भारत और चीन संबंधों में एक और दिक्कत तब आई.

.. जब जम्मू कश्मीर पर UN में बंद दरवाजे के पीछे हुई मीटिंग में... चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया  . इसी हफ्ते हिमाचल प्रदेश में तिब्बत की निर्वासित सरकार ने 3 दिनों तक स्पेशल बैठक की  .  यहां तय हुआ कि नए दलाई लामा के चुनाव में चीन को फैसला लेने का अधिकार नहीं है. और इससे चीन नाराज है. वुहान समिट के बाद भी दोनों देशों के बीच All is Well नहीं है  .

  इसकी वजह है 5 ऐसी बातें जो दोनों देशों के संबंधों में रूकावट बन रही है. इसमें सबसे पहले नंबर पर है अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत का गठबंधन QUAD.  हाल ही में इन देशों ने हिंद महासागर के साथ South China Sea इलाके में गश्त लगाने का फैसला किया है  . चीन के विदेश मंत्री wang yi(वांग यी) ने पिछले महीने कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद...

भारत दौरा रद्द कर दिया था  . दोनों देशों के बीच तीसरा मुद्दा है... अरुणाचल प्रदेश में भारत का युद्धाभ्यास. इसी महीने भारत और चीन सीमा से 100 किलोमीटर दूर भारतीय सेना ने पहली बार युद्धाभ्यास किया  . भारत और चीन संबंधों में एक और दिक्कत तब आई... जब जम्मू कश्मीर पर UN में बंद दरवाजे के पीछे हुई मीटिंग में... चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया  . इसी हफ्ते हिमाचल प्रदेश में तिब्बत की निर्वासित सरकार ने 3 दिनों तक स्पेशल बैठक की. यहां तय हुआ कि नए दलाई लामा के चुनाव में चीन को फैसला लेने का अधिकार नहीं है. और इससे चीन नाराज है  . 

 

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