महात्मा गांधी की जिंदगी और उनसे मिली तमाम सीखों का सच्चा गांधीवादी DNA टेस्ट
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महात्मा गांधी की जिंदगी और उनसे मिली तमाम सीखों का सच्चा गांधीवादी DNA टेस्ट

महात्मा गांधी का जीवन 79 वर्षों का था. लेकिन उनका जीवन अपने आप में एक युग था जिसे आप गांधी युग कह सकते हैं. 

(फाइल फोटो)

वर्ष 1914 से लेकर 1945 तक दुनिया ने दो विश्व-युद्ध देखे. इन विश्व-युद्धों में विनाशकारी हथियारों का इस्तेमाल हुआ और इसका अंत तब हुआ जब अगस्त 1945 में अमेरिका ने जापान के हीरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए. इन युद्धों में करीब 9 करोड़ लोग मारे गए थे. वो अभूतवूर्व हिंसा का दौर था. दुनिया के बड़े-बड़े देशों के नेताओं ने राष्ट्रवाद के नाम पर अपनी जनता से झूठ बोला और उन्हें इस हिंसा की आग में धकेल दिया. लेकिन, उसी वक्त भारत में एक व्यक्ति सत्य और अहिंसा के दम पर भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा था. लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाया, अंग्रेज़ों ने उन्हें एक जिद्दी, कमज़ोर और बूढ़ा व्यक्ति समझा. लेकिन 5 फीट 3 इंच का यही दुबला-पतला सत्याग्रही. बड़े-बड़े हथियारों से लैस अंग्रेज़ों के सामने दीवार बनकर खड़ा हो गया. इस व्यक्ति ने अपने दम पर भारत को 200 वर्षों की गुलामी से मुक्ति दिला दी.

आज की दुनिया को सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह और करुणा का पाठ पढ़ाने वाले इस व्यक्ति को हम महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं. आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है और सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में उन्हें याद किया जा रहा है. महात्मा गांधी का जीवन 79 वर्षों का था. लेकिन उनका जीवन अपने आप में एक युग था जिसे आप गांधी युग कह सकते हैं. महान वैज्ञानिक Albert Einstein ने एक बार महात्मा गांधी के विषय में कहा था कि आने वाली पीढ़ियां शायद ही इस बात पर यकीन करेंगी कि हाड़ और मांस का बना ऐसा कोई व्यक्ति कभी पृथ्वी पर चला होगा.

हमें यकीन है कि आपमें से भी ज्यादातर लोगों ने महात्मा गांधी के बारे में सिर्फ स्कूली किताबों में पढ़ा होगा और रुपये के नोट पर उनकी तस्वीर देखी होगी. आज आप में से भी बहुत सारे लोगों के लिए सिर्फ एक छुट्टी का दिन रहा होगा. आपने भी इस छुट्टी का आनंद लिया होगा और शायद गांधी जी को पूरी तरह भुला दिया होगा. हमारे देश में गांधी जी को कोई भी अपने आचरण और आदर्शों में जीवित नहीं रखना चाहता. उन्हें सिर्फ राजनीति में जिंदा रखा जाता है, ताकि देश को जोड़ने वाले महात्मा गांधी के नाम पर ही देश को बांट दिया जाए. इसलिए आज हम आपके लिए महात्मा गांधी के जीवन का सबसे सरल भाषा में विश्लेषण करेंगे. हमारे देश में महात्मा गांधी पर बात करना एक गंभीर विषय समझा जाता है. उन्हें राजनीति से जोड़ दिया जाता है, उन पर बहस की जाती है. लेकिन कोई ये नहीं बताता कि आपको गांधी जी से क्या सीखना चाहिए.

आज अमेरिका के अखबार Newyork Times में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिखा गया एक लेख प्रकाशित हुआ है. इस Article में प्रधानमंत्री मोदी ने ये बताने की कोशिश की है कि आज की दुनिया को गांधी की ज़रूरत क्यों है. हमने आज महात्मा गांधी के जीवन पर नए सिरे से अध्ययन किया है. हमने सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को समझने की कोशिश नहीं की है. बल्कि हमने ये समझने की कोशिश की है कि आज का भारत महात्मा गांधी से क्या सीख सकता है. महात्मा गांधी आज जीवित होते तो आधुनिक जीवन की समस्याओं का हल कैसे निकालते? हमने आज भारत के बदलते स्वरूप का महात्मा गांधी के चश्मे से विश्लेषण किया है. इसलिए आज के DNA को आप सच्चा गांधीवादी DNA टेस्ट भी कह सकते हैं. और इसे आप महात्मा गांधी के साथ अपनी Appointment भी मान सकते हैं.

महात्मा गांधी ने अपने जीवन में सत्य के साथ प्रयोग किए थे. हमने आज महात्मा गांधी से जुड़े तथ्यों के साथ कुछ आधुनिक प्रयोग किए हैं. ये प्रयोग भी सत्य पर आधारित हैं. इन तथ्यों को जानने के बाद आप भी अपने जीवन में महात्मा गांधी के विचारों को बहुत सरलता के साथ उतार पाएंगे. माना जाता है कि गुरु देव रविंद्र नाथ टैगोर ने सबसे पहले गांधी जी को महात्मा कहकर बुलाया था. महात्मा उस व्यक्ति को कहा जाता है, जिसके जीवन से आप बहुत कुछ सीख सकते हैं. और सच्चा महात्मा वो होता है जिसकी कहानी उसके जीवन के बाद भी लोगों को सही रास्ते पर चलने की शिक्षा देती है. इसलिए गांधी जी का 79 वर्षों का जीवन तो देश के लिए महत्वपूर्ण था ही. मृत्यु के बाद भी उनका जीवन दर्शन भारत के बहुत काम का है.

महात्मा गांधी ने My experiments with truth यानी सत्य के प्रयोग नाम से अपनी आत्मकथा लिखी थी. आध्यात्मिक गुरु ओशो ने इस आत्मकथा के बारे में कहा था- दुनिया में कोई भी आत्मकथा इतनी ईमानदारी और खूबसूरती के साथ नहीं लिखी गई है. ज्यादातर आत्मकथाएं या तो स्वयं की प्रशंसा करने के लिए लिखी जाती हैं या फिर खुद को बहुत विनम्र दिखाने के लिए लेकिन गांधी जी ने अपनी आत्मकथा में जो लिखा वो इन दोनों बातों से परे था, उन्होंने सिर्फ तथ्य लिखे और इस बात की परवाह नहीं की कि ये उनकी आत्मकथा है.

आज के दौर में हम अपने एक Career को लेकर परेशान रहते हैं, दुविधा में रहते है और कोई दूसरा काम करने के बारे में सोच भी नहीं पाते. लेकिन महात्मा गांधी सिर्फ जन नेता नहीं थे, बल्कि वो कई काम एक साथ करते थे, आज की भाषा में आप उन्हें MultiTasker भी कह सकते हैं. वो एक स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ी. वो एक समाज सुधारक भी थे. उन्होंने समाज से छुआछूत की भावना को दूर किया. महिलाओं के उत्थान के लिए काम किया. महात्मा गांधी एक धार्मिक विचारक भी थे. वो हिंदू धर्म में पैदा हुए थे, लेकिन उन्होंने सभी धर्मों के दर्शन को समझने की कोशिश की और धार्मिक एकजुटता की मिसाल पेश की.

आप उन्हें आधुनिक युग का ऐसा पैगंबर या मसीहा भी कह सकते हैं, जिन्होंने दुनिया को भौतिकवाद से दूर रहने और सादा जीवन जीने की शिक्षा दी. इसके अलावा महात्मा गांधी एक शानदार लेखक भी थे. वो अपने भाषण का एक-एक शब्द खुद लिखते थे. जबकि आज के नेता Ghost Writers यानी छद्म लेखकों से अपने भाषण लिखवाते हैं. महात्मा गांधी ने करीब 40 वर्षों तक नव जीवन, Young India और हरिजन नामक Magzines और समाचार पत्रों का संपादन भी किया. गांधी जी आज से 70 साल पहले पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थे. लेकिन आज विश्व में उनकी ख्याति पहले से भी ज्यादा है. पूरी दुनिया ने महात्मा गांधी को अपनाया है. आज महात्मा गांधी एक Global Brand बन चुके हैं.

आपको बता दें कि दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में गांधी जी की मूर्तियां हैं. 70 देशों के 250 से ज्यादा शहरों की सड़कें गांधी के नाम पर हैं. अब तक महात्मा गांधी पर पूरी दुनिया के 150 देश 800 प्रकार के डाक टिकट जारी कर चुके हैं. गांधी जी पर 45 फिल्में और 500 Documentaries बन चुकी हैं. 1982 में उन पर बनी फिल्म Gandhi को 8 Oscar Award मिले थे. एक अनुमान के मुताबिक महात्मा गांधी पर करीब 90 हज़ार किताबें लिखी गई हैं. Luxury Pen बनाने वाली एक विदेशी कंपनी ने 2009 में सोने की निब वाला एक पेन लॉन्च किया था, जिसकी कीमत 14 लाख रुपये थी. इस पेन की निब पर महात्मा गांधी बने हुए थे.

महात्मा गांधी दुनिया के लिए आज भी मार्गदर्शक बने हुए हैं. और उनके विचारों में दुनिया की हर समस्या का हल छिपा है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से एक बार एक पत्रकार ने पूछा था कि वो किस जीवित या मृत व्यक्ति के साथ डिनर करना चाहेंगे तो बराक ओबामा ने कहा था कि वो गांधी के साथ डिनर करना चाहेंगे क्योंकि महात्मा गांधी उनके हीरो हैं. हालांकि ओबामा ने ये भी कहा था कि ये डिनर बहुत छोटा होगा.

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