दुनिया के सबसे बड़े Communicator महात्मा गांधी, अंग्रेजों और भारतीयों तक एक साथ पहुंचती थी उनकी बात
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दुनिया के सबसे बड़े Communicator महात्मा गांधी, अंग्रेजों और भारतीयों तक एक साथ पहुंचती थी उनकी बात

आज से 100 वर्ष पहले मोबाइल फोन सोशल मीडिया टीवी न्यूज़ चैनल और पीआर कंपनी नहीं थी. इसके बावजूद उनके आंदोलन के साथ पूरा भारत खड़ा हो जाता था. संचार माध्यमों की कमी के बावजूद उनका संदेश देश के कोने-कोने में पहुंच जाता था. 

दुनिया के सबसे बड़े Communicator महात्मा गांधी, अंग्रेजों और भारतीयों तक एक साथ पहुंचती थी उनकी बात

पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा की राह दिखाने वाले महात्मा गांधी एक कुशल प्रबंधक भी थे. महात्मा गांधी दुनिया के सबसे बड़े Communicator थे. आज से 100 वर्ष पहले मोबाइल फोन सोशल मीडिया टीवी न्यूज़ चैनल और पीआर कंपनी नहीं थी. इसके बावजूद उनके आंदोलन के साथ पूरा भारत खड़ा हो जाता था. संचार माध्यमों की कमी के बावजूद उनका संदेश देश के कोने-कोने में पहुंच जाता था. इसके लिए वो अंग्रेजों के समाचार माध्यम जैसे British Broadcasting Corporation का इस्तेमाल करते थे. यानी एक साथ वो भारतीयों और अंग्रेजों तक अपनी बात पहुंचा देते थे.

नेतृत्व: बापू के नेतृत्व का तरीका एकदम अलग था. उनका भाषण, विचार और काम तीनों एक जैसे होते थे. जो नियम वो दूसरों के लिए बनाते थे. खुद भी उनका 100 फीसदी पालन करते थे. गांधी जी के नेतृत्व की काबिलियत ने ही उन्हें हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों का सबसे बड़ा नेता बना दिया था.

ब्रांडिंग: एक कामयाब प्रबंधक की तरह गांधी जी ने अंग्रेजों को हर मोर्चे पर मात देने के तरीके ढूंढे. भारत को आर्थिक रूप से ताकतवर बनाने के लिए उन्होंने चरखा और खादी को अंग्रेजों के विरूद्ध हथियार बनाकर इस्तेमाल किया था. ये भारतीयों की स्वदेशी ताकत बनी जिससे गरीबों को रोजगार मिला और विदेशी कपड़ों से मुक्ति भी मिल गई.

बुजुर्ग: बापू का एक और मंत्र था वो कभी खुद को बुजुर्ग नहीं मानते थे. वो हर रोज कुछ नया सीखने की कोशिश करते थे. 73 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था. जिसके कुछ समय बाद भारत को आज़ादी मिली थी. अगर आप भी रिटायर हो चुके हैं और ये मानते हैं कि जीवन में अब कुछ नया करने का वक्त नहीं है तो महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर अपनी सोच बदल सकते हैं.

महात्मा गांधी को साबरमती का संत कहा जाता है. गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के करीब महात्मा गांधी का आश्रम है. ये आश्रम स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केंद्र था. लेकिन Social Media पर बापू की प्रसिद्धि देखते हुए आप उन्हें 'साइबरमती' का संत भी कह सकते हैं.

भारत को आज़ादी दिलानेवाले नेताओं की लिस्ट में महात्मा गांधी को Google पर सबसे ज्यादा Search किया जाता है. पिछले 15 वर्षों में Search Engine Google पर महात्मा गांधी के बारे में सबसे ज्यादा लोगों ने जानने की कोशिश की. महात्मा गांधी को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा Search किया गया है. महात्मा गांधी ने Google Search में Bollywood Actors को भी पीछे छोड़ दिया है. वर्ष 2004 के बाद से गांधी जी को महानायक अमिताभ बच्चन और अभिनेता आमिर खान से ज्यादा बार Search किया गया है.

Internet में Wikipedia पर महात्मा गांधी के पेज को हर महीने 6 लाख से ज्यादा लोग देखते और पढ़ते हैं. Wikipedia को Internet पर Free Encyclopedia के नाम से जाना जाता है. वर्ष 2015 से लेकर अब तक महात्मा गांधी के Wikipedia Page को 3 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया है.

आपने महात्मा गांधी के तीन बंदरों के बारे में भी ज़रूर सुना होगा. महात्मा गांधी ने इन बंदरों के ज़रिए बुरा ना देखने, बुरा ना बोलने और बुरा ना सुनने की शिक्षा दी थी. आजकल लोगों के पास बोलने और सुनने की फुर्सत नहीं है. ज्यादातर लोग Mobile Phones के ज़रिए ही Social Media पर अपनी बात कह लेते हैं और दूसरों की बात सुन लेते हैं. इसलिए आज हमने भी महात्मा गांधी के तीन बंदरों वाली शिक्षा के साथ एक डिजिटल प्रयोग किया है. हमने इस शिक्षा को थोड़ा बदल दिया है जिसमें हम कह रहे हैं कि बुरा मत टाइप करो, बुरा मत लाइक करो और बुरा मत शेयर करो.

अगर आप भी गांधी जी के रास्ते पर चलना चाहते हैं तो इस डिजिटल सत्याग्रह की शुरुआत करें, झूठी खबरें फैलाने वालों के साथ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दें. Whats App और दूसरे Messangers पर आने वाली खबरों की सत्यता के पैमाने पर जांच करें. सच में झूठ की मिलावट अगर नमक के बराबर भी होती है. तो वो सच नहीं रहता उसका स्वाद किरकिरा हो जाता है. इसलिए अब वक्त आ गया है कि असली खबरों और विचारों पर झूठ का नमक छिड़कने वालों के खिलाफ आज के ज़माने का दांडी मार्च शुरु किया जाए.

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