Zee Jaankari: राष्ट्रवाद के बढ़ते राजनीतिक मूल्य का विश्लेषण
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Zee Jaankari: राष्ट्रवाद के बढ़ते राजनीतिक मूल्य का विश्लेषण

सबसे पहले हम राष्ट्रवाद के बढ़ते राजनीतिक मूल्य का विश्लेषण करेंगे...लेकिन उससे पहले मैं आपसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूं...

Zee Jaankari: राष्ट्रवाद के बढ़ते राजनीतिक मूल्य का विश्लेषण

सबसे पहले हम राष्ट्रवाद के बढ़ते राजनीतिक मूल्य का विश्लेषण करेंगे...लेकिन उससे पहले मैं आपसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूं...
क्या राष्ट्रवाद की भावना...किसी ट्रेनिंग से पैदा की जा सकती है ?
क्या कोचिंग देकर किसी के अंदर राष्ट्रवाद की भावना भरी जा सकती है ?
या फिर राष्ट्रवाद की भावना आपके DNA में होनी चाहिए ?
आज हम ये सवाल इसलिए पूछ रहे हैं, क्योंकि राष्ट्रवाद को संकीर्ण और साम्प्रदायिक बताकर मज़ाक उड़ाने वाली. कांग्रेस पार्टी ने.अब अपने कार्यकर्ताओं को राष्ट्रवाद की ट्रेनिंग देने का फैसला किया है.

ये खबर इसलिए विश्लेषण की मांग करती है क्योंकि 134 वर्ष पुरानी पार्टी कांग्रेस ने देश की जनता को हमेशा राष्ट्रवाद की गलत तस्वीर दिखाई है. कांग्रेस राष्ट्रवाद शब्द से नफरत करती थी . कांग्रेस ये मानती है कि राष्ट्रवाद RSS की विचारधारा है और ये विचारधारा धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है. कांग्रेस ये भी मानती है कि इस अति राष्ट्रवादी विचारधारा की वजह से महात्मा गांधी की हत्या हुई थी.

कांग्रेस पार्टी ये मानती आ रही थी कि राष्ट्रवाद का मतलब हिंदुत्व है और हिंदुत्व का मतलब राष्ट्रवाद है . कांग्रेस राष्ट्रवाद को...पिछड़ा, संकीर्ण और संकुचित मानसिकता से जुड़ा विचार मानती है . कांग्रेस ये मानती है कि राष्ट्रवाद की राजनीति करने वाले सांप्रदायिक राजनीति करते हैं . राष्ट्रवाद को सांप्रदायिकता से जोड़कर देखने वाली कांग्रेस अब खुद.

राष्ट्रवाद की राह पर क्यों आगे बढ़ना चाहती है...ये भी हम आपको बताएंगे लेकिन पहले पूरी खबर समझिए. कांग्रेस पार्टी अपने क्षेत्रीय नेताओं को राष्ट्रवाद का प्रशिक्षण देगी . राष्ट्रवाद की ट्रेनिंग में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ये भी बताया जाएगा कि राष्ट्रवाद पर सिर्फ बीजेपी का एकाधिकार यानी Monopoly नहीं है . बल्कि असली राष्ट्रवादी तो कांग्रेस है.

.बीजेपी तो छद्म राष्ट्रवादी है . कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को ये संदेश दिया जाएगा कि राष्ट्रवाद कांग्रेस की ही देन है . आज़ादी की लड़ाई में कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं के योगदान के बारे में बताया जाएगा .कांग्रेस पार्टी मानती रही है कि धर्मनिरपेक्षता पर सिर्फ उसी की कॉपीराइट है . तो ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस ने राष्ट्रवाद को अपनाने का फैसला कर लिया.

इसकी दो बड़ी वजह हो सकती है . पहली वजह..अपनी छवि सुधारना . और दूसरी वजह..चुनाव जीतना. बीते कुछ वर्षों में कांग्रेस की छवि एक ऐसी पार्टी के तौर पर बनी जिसपर एंटी नेशनल यानी राष्ट्र विरोधी होने के लगातार आरोप लगे . कांग्रेस के नेता सेना प्रमुख को गली का गुंडा कहते हैं . कांग्रेस के नेता JNU में टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ खड़े होते हैं.

कांग्रेस के नेता सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत मांगते हैं . कांग्रेस के नेता एयर स्ट्राइक पर सवाल खड़े करते हैं. और इन्हीं वजहों से देश की जनता में ये संदेश गया कि कांग्रेस पार्टी देश की जगह देश के दुश्मनों का साथ दे रही है . इसका परिणाम ये हुआ कि कांग्रेस का जनाधार तेजी से घटता चला गया . दूसरी ओर बीजेपी.

राष्ट्रवाद के सहारे ना सिर्फ लगातार दूसरी बार केंद्र में सरकार बनाने में सफल रही बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भी बन गई . बीजेपी को राष्ट्रवाद की बदौलत वर्ष 2019 में..2014 से भी बड़ी जीत मिली. जहां तक राज्यों में सरकार का सवाल है तो वर्ष 2014 में सिर्फ 6 राज्यों में बीजेपी और उसके गठबंधन की सरकार थी.

जबकि कांग्रेस और उसके गठबंधन की सरकार 13 राज्यों में थी . लेकिन इस समय 16 राज्यों में बीजेपी और उसके गठबंधन की सरकार है . और सिर्फ 4 राज्यों में ही कांग्रेस या उसके गठबंधन की सरकार है .कांग्रेस परिवारवाद की प्रयोगशाला रही है . और यहां परिवार को राजनीति में लाने के लिए अलग-अलग प्रयोग किये गए हैं.

लेकिन बीते 5 वर्षों में पारिवारिक प्रयोग की असफलता के बाद अब कांग्रेस नकल वाला प्रयोग कर रही है . हिंदू विरोधी छवि को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने हिंदुत्व की नकल की थी . आपको याद होगा वर्ष 2017 में गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी कई मंदिरों और मठों में गए थे. उस दौरान देश ने पहली बार उनकी जनेऊधारी तस्वीर भी देखी थी .

वर्ष 2018 में राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर भी गए ये सब एंटी हिंदू की छवि से बाहर निकलने के लिए किया गया . क्योंकि 2014 के चुनाव में बीजपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को एन्टी हिंदू साबित कर दिया था . कांग्रेस की सबसे बुरी हार के कारणों का पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित की गई . जिसके अध्यक्ष थे कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी.

इस कमेटी ने ये माना कि 2004 से लेकर 2014 के बीच यूपीए 1 और यूपीए 2 की सरकार के दौरान मंत्रियों और पार्टी के नेताओं के बयान ने पार्टी की छवि एंटी हिंदू बना दी थी. और अब जब कांग्रेस पर देश विरोधी होने का आरोप लग रहा है तब कांग्रेस को उम्मीद है कि वो राष्ट्रवाद की नाव पर सवार होकर सत्ता तक पहुंच सकती है . 

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