ZEE जानकारी: महिलाओं के खिलाफ हर किस्म के अपराधों में हुई वृद्धि
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ZEE जानकारी: महिलाओं के खिलाफ हर किस्म के अपराधों में हुई वृद्धि

National Crime Records Bureau यानी NCRB के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में महिलाओं के साथ रेप के 32 हज़ार 559 मामले सामने आए . 

ZEE जानकारी: महिलाओं के खिलाफ हर किस्म के अपराधों में हुई वृद्धि

National Crime Records Bureau यानी NCRB के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में महिलाओं के साथ रेप के 32 हज़ार 559 मामले सामने आए .  यानी उस वर्ष भारत में प्रति दिन 89 महिलाएं बलात्कार का शिकार हुईं थी . इस वक्त अपनी टीवी स्क्रीन जो ग्राफ आप देख रहे हैं...वो 2013 से 2017 के बीच...महिलाओं के साथ घटे अपराधों का सूचकांक है .  इसमें आप देख सकते है कि कैसे 2011 में करीब 24 हज़ार और 2012 में करीब 25 हज़ार महिलाओं के साथ रेप की वारदात हुई थी..और निर्भया कांड के बाद से... महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के मामले घटने की बजाय बहुत तेज़ी से बढ़ने लगे . 

महिलाओं की स्थिति किसी भी देश के लिए इस बात का सूचकांक होती है..कि वो देश पतन के रास्ते पर जा रहा है या फिर सामाजिक प्रगति के रास्ते पर .  और भारत में महिलाओं से जुड़े अपराधों के आंकड़े देखकर..कोई भी इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता कि भारत का भविष्य बहुत उज्जवल नहीं है .  क्योंकि जिस देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं होती वो देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता . 

16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड को आज 2 हज़ार 539 दिन बीत चुके हैं .  तब से लेकर अब तक हमने समाज की सोई हुई सोच को जगाने की कई कोशिशें की हैं .  लेकिन, हमें बेहद अफसोस और गुस्से के साथ आज आपसे ये कहना पड़ा रहा है, कि हमारे समाज की सोच में कोई परिवर्तन नहीं आया है . 

हैदराबाद में हैवानियत का शिकार हुई लड़की उस वक्त कितनी तकलीफ से गुजरी होगी..इसका अंदाज़ा आप तभी लगा पाएंगे, जब आप इसकी जगह अपने परिवार के सदस्य या किसी रिश्तेदार को रखकर देखेंगे....फिर आपके मन में जो भावनाएं आएंगी....आज उसी भावना से इस पीड़ित लड़की और इसके परिवार को गुज़रना पड़ रहा है . 

यहां सबसे बड़ा विरोधाभास ये है, कि हमारे देश में देवियों की पूजा होती है.. भगवती जागरण होते हैं.. लोग जय माता दी के नारे लगाते हैं.. नवरात्र के दौरान कन्या पूजन होता है.. जिसमें आस-पड़ोस की लड़कियों को घर बुलाकर खाना खिलाया जाता है और उनके पैर छुए जाते है.. जबकि हमारे ही देश में लोग लड़कियों के साथ छेड़खानी करते हैं, उनके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं.

 दुख की बात ये भी है, कि हमारा समाज बहुत Selective है और वो सवाल भी सिर्फ लड़कियों से ही पूछता है.. कोई लड़कों से ये नहीं पूछता कि कहां गये थे.. क्यों गये थे.. क्या कर रहे थे? इस बात की पूरी गुंजाईश है हैदराबाद की निर्भया के साथ जो कुछ हुआ उसे देखकर कई लोग पहला सवाल ये पूछेंगे , कि वो इतनी रात को कहां से आ रही थी ?. 

उसे अंजान लोगों से मदद लेने की क्या ज़रूर थी और कुछ लोग तो यहां तक कह देंगे कि लड़कियों को काम काज पर जाना ही नहीं चाहिए .  क्योंकि जब लड़कियां घर से बाहर निकलती हैं..तो उनके साथ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं .  लेकिन हम ऐसी सोच रखने वाले लोगों से कहना चाहते हैं कि..महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं सिर्फ घर के बाहर ही नहीं..बल्कि घरों के अंदर भी होती हैं..और ज्यादातर मामलों में तो अपराधी भी कोई ना कोई रिश्तेदार या जान पहचान वाला ही होता है . 

हैदराबाद की ये घटना बताती है, कि निर्भया की मौत पर आंसू बहाने वाला हमारा समाज और सिस्टम ..हर बार...Memory Loss का शिकार हो जाता है...हमें लगता है कि समाज और सिस्टम की इस दोहरी मानसिकता का अंत..तुरंत होना चाहिए... इसी वजह से आज हमने इस ख़बर को प्राथमिकता दी है. 

2012 में हुए निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था .  तब पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे .  सरकार भी कड़े कानून बनाने पर मजबूर हो गई थी .  लेकिन इन कानूनों का भी कोई असर हमारे समाज पर नहीं हुआ .  निर्भया कांड के बाद वर्ष 2013 में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए नया कानून बनाया गया था .  और फिर 2018 में इसमें और सुधार किए गए . 

नए कानून के मुताबिक बालिग के साथ रेप के दोषी को 10 वर्ष तक ही सज़ा हो सकती है .

12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप करने वाले को 20 साल से लेकर उम्रकैद और यहां तक कि मौत की सज़ा का प्रावधान है . 

इसी तरह 12 से 16 वर्ष तक की उम्र वाली लड़की के साथ ऐसा अपराध होने की सूरत में....दोषी को उम्र कैद तक की सज़ा हो सकती है . 

जबकि किसी भी महिला के साथ रेप करने के बाद..अगर उसकी हत्या कर दी जाती है .  तो दोषियों को फांसी की सज़ा भी हो सकती है . 

लेकिन दुख की बात ये है कि रेप में शामिल 16 वर्ष से कम उम्र के आरोपी को जेल की सज़ा नहीं होती..बल्कि उसे सिर्फ बाल सुधार ग्रह भेजा जाता है . 

कुल मिलाकर हमारे देश में कठोर कानूनों का भी कोई विशेष असर नहीं हो रहा है .  सिर्फ रेप ही नहीं...बल्कि महिलाओं के खिलाफ हर किस्म के अपराधों में वृद्धि हुई है . 

2017 के NCRB के आंकड़ो के मुताबिक पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3 लाख 59 हज़ार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे .  इनमें 27 प्रतिशत मामले घरेलू हिंसा से जुड़े थे .  21 प्रतिशत मामलों में महिलाओं के साथ यौन हिंसा हुई .  जबकि 20 प्रतिशत मामले में महिलाओं के अपरहरण से जुड़े थे और इनमें से 7 प्रतिशत मामले रेप के थे .  2017 में 7 हज़ार 446 महिलाओं की हत्या दहेज के लालच में कर दी गई थी

महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कानूनों को मजबूत तो कर दिया गया .  लेकिन हमारे देश में न्याय मिलने की रफ्तार इतनी धीमी है कि अपराधियों के मन में कभी कानून का खौफ कायम नहीं हो पाता है .  निर्भया कांड को 7 वर्ष बीत चुके हैं .  लेकिन अभी तक उसके दोषियों को फांसी की सज़ा नहीं हो पाई है . 

और इसकी वजह है..कछुए की रफ्तार से काम करने वाले हमारे कानून .  निर्भया के चार दोषियों को सुप्रीम कोर्ट भी वर्ष 2017 में फांसी की सज़ा सुना चुका है .  फांसी की सज़ा सुनाए जाने के बाद..अपराधियों को 7 दिनों के अंदर सज़ा की जानकारी दी जाती है और उन्हें राष्ट्रपति के पास..दया याचिका भेजने का विकल्प दिया जाता है . 

इस दौरान सेशन कोर्ट फांसी की सज़ा पाए दोषी के खिलाफ Execution Warrent जारी करता है .  लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली की सेशन कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के खिलाफ Execution Warrent जारी ही नहीं किया .  और इसलिए अभी तक निर्भया के दोषियों को सज़ा नहीं हो पाई है. 

निर्भया के साथ बलात्कार के चार दोषियों में से एक ने देश के राष्ट्रपति से माफी की गुहार लगाई है.  देश के राष्ट्रपति चाहें किसी भी अपराधी को मिली मौत की सज़ा को माफ कर सकते हैं .  लेकिन फिलहाल ये दया याचिका...राष्ट्रपति के पास लंबित है और जब तक इस याचिका पर राष्ट्रपति फैसला नहीं लेते...बाकी तीन दोषियों को भी फांसी नहीं दी जा सकती . 

आज हमने आपके लिए दिसंबर 2012 की कुछ तस्वीरें निकाली हैं .  इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कैसे उस वक्त देश की तमाम बड़ी हस्तियां..नेता और आम लोग महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर एक हो गए थे .  तब कई लोगों की आंखों में आंसू भी थे, गुस्सा भी था..और सबने मिलकर हालात बदलने की कसमें भी खाईं थी . 

लेकिन ये सब बातें सिर्फ मीडिया के कैमरों के सामने ही होती रही....रेप के मामले लगातार बढ़ते रहे और देश महिलाओं के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा असुरक्षित हो गया .  आज हमने उसी दौर के कुछ पुराने बयान निकाले हैं..जिन्हें सुनकर आप समझ जाएंगे कि उस वक्त देश कितना गुस्से में था

हमें लगता है कि आज देश के लोगों को सात वर्ष पुराने उसी गुस्से को फिर से जगाना होगा जिसने एक आंदोलन की शक्ल ले थी .  और अगर हम अब भी जागरूक नहीं हुए..तो बहुत देर हो जाएगी . 

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