ZEE जानकारी: भ्रष्ट आचरण को समाज से मिला NOC!
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ZEE जानकारी: भ्रष्ट आचरण को समाज से मिला NOC!

आज हम आपको भ्रष्टाचार और लापरवाही की संकरी गलियों में लेकर चलेंगे. ये गलियां अक्सर मौत के दरवाज़े पर खत्म होती हैं. आज दुनिया भर में International Anti Corruption Day यानी अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जा रहा है.

ZEE जानकारी: भ्रष्ट आचरण को समाज से मिला NOC!

आज हम आपको भ्रष्टाचार और लापरवाही की संकरी गलियों में लेकर चलेंगे. ये गलियां अक्सर मौत के दरवाज़े पर खत्म होती हैं. आज दुनिया भर में International Anti Corruption Day यानी अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जा रहा है. लेकिन भारत में इस दिन को हास्य दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए. क्योंकि भ्रष्टाचार विरोध की बात. भारत में सिर्फ एक मज़ाक बनकर रह गई है. भ्रष्टाचार हिंदी के दो शब्दों..भ्रष्ट और आचार से मिलकर बना है . इसका अर्थ है..सार्वजनिक जीवन में स्वीकृत मूल्यों के विरुद्ध आचरण. इसी समाज विरोधी आचरण को भ्रष्टाचार कहा गया है.

लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस भ्रष्ट आचरण को हमारे ही समाज से NOC यानी No Objection Certificate मिल चुका है . भारत में भ्रष्टाचार करने वालों को सुविधाओं का Premium मिलता है, पैसे का शुभ लाभ मिलता है .. भले ही इसकी कीमत आम लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़े.

लोगों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया सिस्टम ही सबसे बड़ी मौत की मशीन यानी Killing Machine में बदल चुका है . ये मौत की Machine भ्रष्टाचार के ईंधन से चलती होती है . ये भ्रष्टाचार कलियुग के भारत का चरित्र बन चुका है . और नया भारत इसी भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी मौत की इमारतों में रह रहा है.

जब तक आप अपनी इमारत की खिड़कियों से दूसरी इमारतों को भ्रष्टाचार की आग में जलते हुए देखते हैं..तब तक आपको कोई फर्क नहीं पड़ता..लेकिन याद रखिएगा कि भ्रष्टाचार ऊंच-नीच, धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करता...ये बहुत धर्मनिरपेक्ष होता है.. और हो सकता है कि भ्रष्टाचार की इस आग के निशाने पर अगली बार कोई आपका अपना हो .

ये भी हो सकता है कि आपका कोई अपना इस भ्रष्टाचार की वजह से मौत के मुंह में चला जाए...हो सकता है कि वो फोन करके आपको इस बात की जानकारी दें कि भ्रष्टाचार की आग ने उसे चारों तरफ से घेर लिया है..और किसी भी पल उसकी जान जा सकती है . यानी Technolgy की मदद से..आप तक मौत की खबरें तो पहुंचाई जा सकती है..लेकिन हमारे देश में Technolgy मौतों को टाल नहीं पाती .

Telecom Regulatory Authority of India यानी TRAI के मुताबिक इस वक्त हमारे देश में करीब 100 करोड़ Mobile Phones हैं . जबकि भारत में Fire Stations की संख्या 3 हज़ार 377 है . भारत को कम से कम 8 हज़ार 500 Fire Stations की ज़रूरत है . भारत में Internet का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 62 करोड़ से ज्यादा है.

लेकिन दमकल कर्मी सिर्फ 54 हज़ार 229 हैं . जबकि भारत को 6 लाख दमकल कर्मियों की ज़रूरत है . भारत में 135 करोड़ की आबादी पर 120 करोड़ mobile phone subscriptions हैं..जबकि 26 हज़ार लोगों पर सिर्फ एक दमकल कर्मी उपलब्ध है.

भारत में 1 GB इंटरनेट DATA सिर्फ 18 रुपये में मिल जाता है..जबकि बजट की कमी की वजह से भारत में प्रति 450 वर्ग किलोमीटर इलाके में सिर्फ एक दमकल वाहन उपलब्ध है . यानी अगर आपके घर या दफ्तर में आग लग जाएं...तो उस आग की सूचना आप दुनिया तक.. तो पहुंचा सकते हैं..लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है..कि Fire Brigade Department के लोग आपकी मदद के लिए वक्त पर पहुंच जाएं .

कल दिल्ली की अनाज मंडी में एक अवैध फैक्ट्री में आग लग जाने की वजह से 43 लोगों की मौत हो गई. इनमें से कुछ लोगों ने अपने परिवार वालों को फोन करके ये बताया कि वो फंस चुके हैं..और उनका बचना मुश्किल है . मारे गए लोगों में से ज्यादातर बिहार के रहने वाले थे..यानी इन लोगों के सामने खड़ी मौत की खबर बिहार तक तो पहुंच गई.

लेकिन इन्हें बचाने वाले दमकल कर्मी इन तक नहीं पहुंच पाए . जबकि फायर स्टेशन घटना स्थल से सिर्फ 100 से 150 मीटर की दूरी पर था . इन लोगों की जान समय पर इसलिए नहीं बचाई जा सकी..क्योंकि जिस गली में आग लगी..वो बहुत संकरी थी..और वहां एक बार में फायर ब्रिगेड की एक ही गाड़ी पहुंच सकती थी .

इस अवैध फैक्ट्री की आग बुझाने के काम में फायर ब्रिगेड की 34 गाड़ियां लगी थी..लेकिन फिर भी 43 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी . मरने वालों ने आग लगने की सूचना..अपने परिवार वालों को दी . इन Phone Calls में ज्यादातर लोगों ने अपने परिवार वालों से यही कहा कि उन्हें बचने की उम्मीद नहीं है.क्योंकि निकलने का कोई रास्ता नहीं है . यानी सिस्टम ने इन लोगों के लिए सभी दरवाज़े बंद कर दिए थे और इन लोगों के सामने भी मौत को स्वीकारने के अलावा कोई चारा नहीं था .

भ्रष्टाचार और लापरवाही की आग में जलकर 43 गरीब मारे गए . लेकिन हमारे सिस्टम को अभी भी शर्म नहीं आयी . इसी महीने 3 तारीख को भोपाल गैस त्रासदी के 35 वर्ष पूरे हुए थे...उस हादसे में 16 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी..लेकिन उस हादसे से लेकर आज तक हमारे सिस्टम ने कोई सबक नहीं सीखा .

चाहे 1997 का उपहार सिनेमा हॉल कांड हो...चाहे 2017 में मुंबई के एक पब में लगी आग हो, इस साल दिल्ली के करोल बाग में एक होटल में लगी आग हो..या फिर सूरत के कोचिंग सेंटर में लगी आग..ये सब हादसे नहीं थे..बल्कि एक प्रकार का औद्योगिक आतंकवाद था . फिर भी हमारे समाज में भ्रष्टाचार से किसी को कोई आपत्ती नहीं है . अब भ्रष्टाचार हमारे समाज का अभिन्न अंग बन चुका है और इसे जीवन से निकालना संभव नहीं लगता .

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