ZEE जानकारीः उन्नाव गैंगरेप मामले के दो सबसे बड़े Turning Point
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ZEE जानकारीः उन्नाव गैंगरेप मामले के दो सबसे बड़े Turning Point

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि इस मामले में पुलिस ने जिस तरह काम किया है उसके बाद किसी का भी पुलिस पर से भरोसा उठ जाएगा.आज इसी घटना पर हमारे पास आपके लिए एक एक्सट्रा विचार है. 

ZEE जानकारीः उन्नाव गैंगरेप मामले के दो सबसे बड़े Turning Point

आज उन्नाव के बारे में बात करना भी ज़रूरी है. कल हमने उन्नाव में बीजेपी के विधायक पर लगे गैंगरेप के आरोपों का एक DNA टेस्ट किया था. कल रात को DNA खत्म होने के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिये थे. आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि इस मामले में पुलिस ने जिस तरह काम किया है उसके बाद किसी का भी पुलिस पर से भरोसा उठ जाएगा.आज इसी घटना पर हमारे पास आपके लिए एक एक्सट्रा विचार है. उन्नाव के इस मामले में जो कुछ भी हुआ.. उससे ये पता चलता है कि आम लोगों और उनके द्वारा चुनी जाने वाली सरकारों के बीच कितना फासला आ चुका है.उन्नाव के इस मामले में दो सबसे बड़े Turning Point थे.

पहला turning point ये था - कि जब पीड़ित लड़की मुख्यमंत्री से मिलने के लिए गई. तो उसे मिलने नहीं दिया गया. ये लड़की 8 अप्रैल को अपनी शिकायत लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गई थी. और किसी तरह का भरोसा ना मिलने पर उसने आत्मदाह की कोशिश भी की थी. अगर योगी आदित्यनाथ या उनके अधिकारी इस पीड़ित लड़की की शिकायत सुन लेते और उस कार्रवाई करते तो बात यहां तक नहीं पहुंचती. 

और दूसरा turning point था - पीड़ित लड़की के पिता की मौत. इस लड़की के पिता की पिटाई होती रही, लेकिन पुलिस तमाशा देखती रही और विधायक के रसूख को प्रणाम करती रही. अगर तब पुलिस ने, इस मामले में कड़ी कार्रवाई कर दी होती. तो शायद लड़की के पिता की मौत नहीं होती. जिस दिन लड़की के पिता के साथ मारपीट हुई, उस दिन दोनों पक्षों की तरफ से FIR लिखवाई गई थी. लेकिन पहले पुलिस ने सिर्फ लड़की के पिता को गिरफ्तार किया, जबकि विधायक के पक्ष से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया. बाद में जब ये मामला Headlines में आ गया, और दबाव बढ़ गया. तो विधायक के भाई को गिरफ़्तार कर लिया गया.

ये इस केस के दो अहम मोड़ थे. और इनकी वजह से ही ये मामला एक राष्ट्रीय ख़बर बन गया. और इन दोनों बातों से ये पता चलता है कि जनता और सरकारों के बीच कितना बड़ा फासला आ चुका है. इससे ये पता चलता है कि हमारी सरकारें कैसे चलती हैं? और हमारे नेता, सत्ता की चाबी मिलने के बाद कैसे जनता को किनारे कर देते हैं.

इस युग का सबसे कड़वा सच ये है कि अगर किसी आम आदमी ने किसी माननीय विधायक से पंगा ले लिया. तो फिर उसका जीतना संभव नहीं है. रसूखदार और दबंग नेता, पूरे सिस्टम को अपने इशारों पर नचाते हैं और आम आदमी बेबस हो जाता है. ऐसे हालात में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. इस मामले में अच्छी बात ये है कि मीडिया ने एक सकारात्मक भूमिका निभाई है. 

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