Zee जानकारी: 40 कश्मीरी मुस्लिम महिलाओं ने अपने पतियों को दिया तलाक
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Zee जानकारी: 40 कश्मीरी मुस्लिम महिलाओं ने अपने पतियों को दिया तलाक

कश्मीर से आई क्रांतिकारी खबर, जो देशभर की मुस्लिम महिलाओं के लिए शक्ति का स्रोत बन सकती है। कश्मीर से खबर आई है कि पिछले करीब दो महीनों के दौरान 40 मुस्लिम महिलाओं ने अपने पतियों को तलाक देकर छोड़ दिया है क्योंकि उनके पति लाख समझाने के बावजूद अपने नशे की आदत छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए ये बहुत बड़ी बात है क्योंकि मुस्लिम समाज में पति को तो ये अधिकार प्राप्त है कि वो किसी भी बात से नाराज़ होने पर तीन बार तलाक बोलकर अपनी पत्नी को छोड़ सकता है लेकिन मुस्लिम महिलाओं के लिए तलाक लेना इतना आसान और सहज नहीं होता मुस्लिम महिलाएं अपने पति से चाहे कितनी भी परेशान क्यों ना हों उन्हें पति को तलाक देने के लिए कड़े शरीयत कानून का पालन करना पड़ता है और शरीयत अदालत में तलाक मांगने की वजह को जायज़ साबित करने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है।

Zee जानकारी: 40 कश्मीरी मुस्लिम महिलाओं ने अपने पतियों को दिया तलाक

नई दिल्ली: कश्मीर से आई क्रांतिकारी खबर, जो देशभर की मुस्लिम महिलाओं के लिए शक्ति का स्रोत बन सकती है। कश्मीर से खबर आई है कि पिछले करीब दो महीनों के दौरान 40 मुस्लिम महिलाओं ने अपने पतियों को तलाक देकर छोड़ दिया है क्योंकि उनके पति लाख समझाने के बावजूद अपने नशे की आदत छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए ये बहुत बड़ी बात है क्योंकि मुस्लिम समाज में पति को तो ये अधिकार प्राप्त है कि वो किसी भी बात से नाराज़ होने पर तीन बार तलाक बोलकर अपनी पत्नी को छोड़ सकता है लेकिन मुस्लिम महिलाओं के लिए तलाक लेना इतना आसान और सहज नहीं होता मुस्लिम महिलाएं अपने पति से चाहे कितनी भी परेशान क्यों ना हों उन्हें पति को तलाक देने के लिए कड़े शरीयत कानून का पालन करना पड़ता है और शरीयत अदालत में तलाक मांगने की वजह को जायज़ साबित करने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है।

* शरियत कानून के मुताबिक मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कहकर छोड़ सकता है लेकिन मुस्लिम महिलाओँ को अपने पति से तलाक पाने के लिए मुश्किल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और शरिया अदालत के सामने तलाक की वजह को जायज़ ठहराना पड़ता है।
* मुस्लिम महिलाओं की सोच पर आधारित एक सर्वे जिसके जरिये भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन नामक संस्था ने देश के 10 राज्यों में 4710 मुस्लिम महिलाओं की राय ली है। सर्वे में शामिल 92 फीसदी मुस्लिम महिलाओं के मुताबिक तलाक का नियम एकतरफा है और इस पर रोक लगनी चाहिए। सर्वे में शामिल तलाकशुदा महिलाओं में से 65.9 फीसदी का ज़ुबानी तलाक हुआ। वहीं 91.7 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वो अपने पतियों के दूसरी शादी करने के खिलाफ हैं। सर्वे में शामिल 55 फीसदी औरतों की शादी 18 साल से कम उम्र में हुई। और 44 फीसदी महिलाओं के पास अपना निकाहनामा तक नहीं है। सर्वे के मुताबिक 53.2 फीसदी मुस्लिम महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं। 75 फीसदी औरतें चाहती थीं कि लड़की की शादी की उम्र 18 वर्ष से ज़्यादा और लड़के की उम्र 21 वर्ष से ज़्यादा होनी चाहिए। सर्वे के दौरान पता चला कि 40 फीसदी औरतों को 1000 रुपये से भी कम मेहर मिली जबकि 44 फीसदी महिलाओं को तो मेहर की रकम मिली ही नहीं। मेहर वो रकम होती है जो निकाह के वक्त तय होती है और तलाक की स्थिति में पति को अपनी पत्नी को मेहर की तय रकम देनी होती है। सर्वे के मुताबिक देश की 82 प्रतिशत मुस्लिम महिलाओं के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है।

* मुस्लिम समाज में शरीयत कानून लागू करने की जिम्मेदारी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सर्वे में शामिल 95.5 फीसदी मुस्लिम महिलाओं ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का नाम ही नहीं सुना था। मुस्लिम समाज में महिलाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। वहां तलाक और निकाह के लिए जो नियम कायदे बनाए गए हैं वो सिर्फ मर्दों के लिए फायदे का सौदा साबित होते हैं लेकिन अपने नशाखोर पतियों को तलाक देकर, कश्मीर की 40 महिलाओं ने जो परंपरा शुरु की है वो काबिल-ए-तारीफ़ है। हमें लगता है कि कश्मीर की 40 महिलाओं की ये हिम्मत, देश की मुस्लिम महिलाओं को लंबे समय तक, अपने हक की आवाज़ बुलंद करने की ताकत देती रहेगी।

 

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