आर्थिक नुकसान की वजह से इस Multinational कंपनी ने अपने 80 कर्मचारियों को Notice जारी करके, उनकी नौकरी ख़त्म करने की बात कही थी. इन 80 कर्मचारियों में से ज़्यादातर कश्मीर घाटी के स्थानीय निवासी थे. जैसे ही इसकी सूचना जम्मू-कश्मीर प्रशासन को मिली. तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की गई.
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अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में कारोबार को लेकर थोड़ी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा है. इसी वजह से श्रीनगर में मौजूद AEGIS नाम की कंपनी ने अपना BPO यानी Business Process Outsourcing बंद करने का ऐलान किया था.
आर्थिक नुकसान की वजह से इस Multinational कंपनी ने अपने 80 कर्मचारियों को Notice जारी करके, उनकी नौकरी ख़त्म करने की बात कही थी. इन 80 कर्मचारियों में से ज़्यादातर कश्मीर घाटी के स्थानीय निवासी थे. जैसे ही इसकी सूचना जम्मू-कश्मीर प्रशासन को मिली. तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की गई.
श्रीनगर के डिप्टी कमिश्नर ने बिना किसी विलंब के कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों से मुलाकात की. और उन्हें तीन महीने का Bail Out देने का प्रस्ताव दिया. साथ ही साथ जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने इन सभी कर्मचारियों के लिए 3 महीने के वेतन की व्यवस्था का ऐलान किया है.
नौकरी जाने के डर से जिन 80 कश्मीरी युवाओं के चेहरे उतरे हुए थे. आज उनके चेहरे पर खुशी है. और उन्हें इस बात की संतुष्टि है, कि इस विषम परिस्थिति में राज्य के प्रशासन ने उनका साथ नहीं छोड़ा और ना सिर्फ उनकी हर संभव मदद की. बल्कि भरोसा दिलाया, कि भविष्य में भी जम्मू-कश्मीर की प्रगति के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.
घाटी के युवाओं के हित में इस पहल के पीछे एक वजह ये भी है कि वहां अंग्रेजी बोलने वाले युवाओं की संख्या अच्छी खासी है और वहां पर IT सेक्टर को काफी बढ़ावा मिल सकता है. जम्मू-कश्मीर की बड़ी आबादी मुख्य रुप से चार भाषाएं बोलती है. कश्मीरी, उर्दू, लद्दाखी और डोगरी. लेकिन वहां के शहरी इलाकों में अंग्रेज़ी भाषा काफी प्रचलित हो रही है. स्थानीय भाषा बोलने वाले लोग भी अंग्रेज़ी में अपना भविष्य देखते हैं और इसकी एक बड़ी वजह है, रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में अलग-अलग माध्यम से अंग्रेज़ी का बढ़ता प्रभाव.
इसी वर्ष फरवरी में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांदीपोरा में वहां के पहले BPO Unit का उद्दघाटन किया था. उद्देश्य सिर्फ एक है और वो है कश्मीर घाटी के युवाओं को IT के क्षेत्र में निर्भर बनाकर उन्हें एक नई शक्ति देना. ताकि वो नए भारत के नए कश्मीर की तरक्की में अपना योगदान भी दे सकें और खुद को आत्मनिर्भर बनाकर, अपनी पसंद की नौकरी भी कर सकें.