ZEE जानकारीः भारत में करीब 40 हज़ार रोहिंग्या मुसलमान अवैध रूप से रह रहे हैं
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ZEE जानकारीः भारत में करीब 40 हज़ार रोहिंग्या मुसलमान अवैध रूप से रह रहे हैं

हमारे देश में जब भी कोई समस्या सामने आती है.. तो सबसे पहले उसमें धर्म या जाति का एंगल ढूंढा जाता है और फिर एक ख़ास एजेंडे के हिसाब से..अखबारों में लेख लिखे जाते हैं.. और न्यूज़ चैनलों पर तीखी बहस की जाती है.

ZEE जानकारीः भारत में करीब 40 हज़ार रोहिंग्या मुसलमान अवैध रूप से रह रहे हैं

आज सबसे पहले वो ख़बर, जो बहुत सारे लोगों के मन में वैचारिक तूफान लाने का काम करेगी. ये DNA टेस्ट रोहिंग्या मुसलमानों पर आधारित है. जिन्हें लेकर आज हम एक बड़ा खुलासा करेंगे. और इसके लिए आपको हमारे साथ जम्मू चलना होगा.  भारत में करीब 40 हज़ार रोहिंग्या मुसलमान अवैध रूप से रह रहे हैं. ये लोग घुसपैठ करके बांग्लादेश बॉर्डर के रास्ते भारत में दाखिल हुए, और फिर धीरे-धीरे देश के कई राज्यों में फैल गए. देश का एक ऐसा ही हिस्सा है, जम्मू-कश्मीर. हमने कई मौकों पर आपको ये बात बताई है, कि बहुत से आतंकवादी संगठन रोहिंग्या मुसलमानों के संपर्क में हैं. लेकिन हमारे देश के नेता और बहुत से बुद्धिजीवी मानव अधिकारों की बात करके उनका बचाव करते रहते हैं. कई लोग ये सवाल पूछते हैं, कि 133 करोड़ लोगों के देश में क्या सिर्फ 40 हज़ार रोहिंग्या मुसलमानों को जगह नहीं मिल सकती ? तरह-तरह की दलीलें और इतिहास के उदाहरण दिये जाते हैं. लेकिन असलियत में ये एक तरह का दोहरा रवैया है. और रोहिंग्या मुसलमान.. इसी का फायदा उठा रहे हैं.

सवाल ये है कि रोहिंग्या मुसलमान.. घुसपैठिए होने के बावजूद.. हमारे सिस्टम में अपनी जगह बनाने में कामयाब कैसे हो गये? वो कौन से लोग हैं जो राजनीतिक फायदे के लिए रोहिंग्या मुसलमानों को हर तरह की मदद दे रहे हैं ? इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए हमने सीधे जम्मू से Ground Reporting की है. लेकिन इस रिपोर्ट को दिखाने से पहले.. हम इस समस्या की मूल वजह का विश्लेषण करना चाहते हैं. आप इसे छोटा मोटा मुद्दा समझने की भूल मत कीजिएगा. क्योंकि इस समस्या का असर, आप पर और आपके परिवार पर भी पड़ेगा. 

जम्मू में 39 अलग-अलग ऐसे स्थान हैं, जहां पर रोहिंग्या मुसलमान अवैध तरीके से रहते हैं. जम्मू के अलावा, ये लोग सांबा, डोडा, पुंछ और अनंतनाग तक फैल चुके हैं. लेकिन, चिंता की बात ये है, कि जम्मू में इन लोगों की मौजूदगी सेना और सुरक्षाबलों के लिए एक बहुत बड़ा ख़तरा बन चुकी हैं. जम्मू के नरवाल इलाके में म्यांमार से आए ढाई सौ से ज़्यादा रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. जबकि, जम्मू के चन्नी Himmat इलाके में मौजूद Police Lines के ठीक पीछे क़रीब साढ़े सात सौ रोहिंग्या मुसलमानों का अस्थाई घर है. इसके अलावा जम्मू के सुंजवां इलाके में 200 से ज़्यादा रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं.आपको बता दें, कि सुंजवां वही इलाका है, जहां सेना का कैम्प है. और इसी कैम्प पर फरवरी 2018 में जैश ए मोहम्मद के तीन आतंकवादियों ने हमला किया था. बाद में ऐसी ख़बरें भी आई थीं, कि इस हमले में किसी ना किसी रुप में रोहिंग्या मुसलमानों ने आतंकवादियों की मदद की थी. इसके अलावा, जम्मू के Nagrota इलाके में कम से कम 40 रोहिंग्या रहते हैं. और यहां पर भी भारतीय सेना की 

16 कोर का Headquarter है. यानी अवैध तरीके से रहने वाले रोहिंग्या मुसलमान.. बहुत सारी जगहों पर सेना के संवेदनशील इलाक़ों के आसपास अपने पैर जमा चुके हैं. और हमारा सिस्टम और राज्य की सरकार एक और आतंकवादी हमले का इंतज़ार कर रही है. अब आप ये देखिए कि कैसे रोहिंग्या मुसलमानों और कुछ अन्य समुदायों को वोट बैंक की जड़ी-बूटी के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर सरकार ने 14 फरवरी 2018 को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के तहत जिस भी ज़मीन पर खानाबदोश गुर्जरों या बकरवालों का कब्ज़ा होगा, उसे खाली नहीं कराया जा सकता. यहां तक कि पुलिस भी इस मामले में कोई मदद नहीं करेगी. लेकिन इससे जम्मू की जनसंख्या के संतुलन पर असर पड़ रहा है. जम्मू-कश्मीर में कश्मीर, मुस्लिम बहुसंख्यक इलाका है. जहां आतंकवाद की वजह से कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद हिन्दुओं की संख्या ना के बराबर रह गई है. दूसरी तरफ, जम्मू एक हिन्दू बहुसंख्यक इलाका है. लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है, कि अतिक्रमण के ज़रिए कश्मीर से बड़ी संख्या में गुर्जरों और बकरवालों को बसाकर, Demography यानी जनसंख्या के वितरण को बदलने की कोशिश हो रही है. 

ऐसे हालात में हज़ारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों का बसना भी एक बहुत बड़ा संकेत है. वहां के लोगों को इसमें एक सुनियोजित साज़िश नज़र आ रही है.कई NGOs भी रोहिंग्या मुसलमानों की मदद कर रहे हैं, और इनमें से ज्यादातर कश्मीर से जुड़े हुए हैं. कश्मीरी आतंकवादी भी रोहिंग्या मुसलमानों को जम्मू में बसाए जाने का खुलकर समर्थन करते आए हैं. लेकिन इनमें से किसी ने इन शरणार्थियों को जम्मू से हटाकर कश्मीर ले जाने की बात कभी नहीं कही. हालांकि, इस मामले को लेकर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में एक PIL दाखिल की गई है. और उसमें भी रोहिंग्या मुसलमानों की बस्तियों को सैनिक ठिकानों और सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा ख़तरा बताया गया है. और कहा गया है कि रोहिंग्या मुसलमानों की वजह से जम्मू-कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और अलगाववादियों के लिए अपना एजेंडा चलाना आसान हो जाएगा.

म्यांमार में 10 लाख से ज़्यादा रोहिंग्या मुसलमान हैं और म्यांमार उन्हें अपना नागरिक नहीं मानता है. इसी वजह से इन लोगों का पलायन शुरू हो गया और इन्होंने बांग्लादेश के साथ साथ भारत में भी घुसपैठ करनी शुरू कर दी. ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं, कि रोहिंग्या मुसलमानों के साथ पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के Links हैं. पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकवादी बना रहे हैं. और अपने फायदे के लिए उनका इस्तेमाल कर रहे हैं. 

ये एक बहुत खतरनाक और विस्फ़ोटक स्थिति है. जम्मू में बसे रोहिंग्या शरणार्थियों पर भी इन आतंकवादी संगठनों की नज़र हो सकती है. रोहिंग्या शरणार्थियों के शिविरों में बड़ी आसानी से भविष्य के आतंकवादी तैयार किए जा सकते हैं. यानि कश्मीर में चल रहे आतंकवाद को जम्मू में फैलाने के लिए ये शरणार्थी एक आसान ज़रिया बन सकते हैं.  अब आप समझ गए होंगे कि भारत की सुरक्षा के लिहाज़ से रोहिंग्या मुसलमान इतना बड़ा ख़तरा क्यों हैं ? कुल मिलाकर बात ये है कि किसी को भी शरणार्थी बनाने से पहले भारत को उसके हर प्रभाव या दुष्प्रभाव के बारे में विचार करना होगा. और ऐसे अवैध शरणार्थियों पर कड़ी नज़र रखनी होगी. क्योंकि अब ख़तरा सेना के ठिकानों तक पहुंच गया है.

हमारे देश में जब भी कोई समस्या सामने आती है.. तो सबसे पहले उसमें धर्म या जाति का एंगल ढूंढा जाता है और फिर एक ख़ास एजेंडे के हिसाब से..अखबारों में लेख लिखे जाते हैं.. और न्यूज़ चैनलों पर तीखी बहस की जाती है. ये एक ऐसा फॉर्मूला है जो भारत में पिछले कई वर्षों से चल रहा है. भारत में अवैध तरीके से रहने वाले 40 हज़ार रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर भी यही हो रहा है.  और इसी की आड़ में रोहिंग्या मुसलमान.. तेज़ी से हमारे सिस्टम में अपनी जगह बना चुके हैं. सच तो ये है, कि हमारे देश के बुद्धिजीवियों की आंखों पर धर्म का चश्मा लगा हुआ है, जिसके आगे उन्हें असली मुद्दे नज़र नहीं आते. फिर चाहे वो देश की सुरक्षा से ही जुड़ा हुआ गंभीर मुद्दा ही क्यों ना हो. हमें लगता है कि रोहिंग्या मुसलमानों की गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखने की ज़रूरत है. क्योंकि ये आम लोगों के साथ साथ सेना के जवानों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा है.

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