ZEE जानकारीः हिंदुस्तान को इस्लामिक स्टेट बनाने की साजिश क्यों?
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ZEE जानकारीः हिंदुस्तान को इस्लामिक स्टेट बनाने की साजिश क्यों?

शरीयत क्या है ? इस पर आज हमने काफी Research किया है . हमने कई किताबों का अध्ययन किया है. जिससे आप इस पूरे मामले को अच्छी तरह समझ सकेंगे. 

ZEE जानकारीः हिंदुस्तान को इस्लामिक स्टेट बनाने की साजिश क्यों?

भारत के हर नागरिक को देश के संविधान और कानून पर पूरा भरोसा करना चाहिए. एक देश में एक ही कानून होना चाहिए . कानूनों और अदालतों में भेदभाव और फर्क करना, देश की अखंडता के लिए ख़तरनाक हो सकता है. ये नागरिक शास्त्र की किताबों का प्रवचन नहीं है. ये इस दौर का एक कटु सत्य है. All India Muslim Personal Law Board, देश के सभी ज़िलों में दारुल-कज़ा यानी शरिया अदालत खोलने की तैयारी कर रहा है . इन अदालतों में इस्लाम के कानून यानी शरीयत के हिसाब से मामलों को सुलझाया जाएगा .15 जुलाई को दिल्ली में Muslim Personal Law Board की बैठक होने वाली है जिसमें इस प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी .

शरीयत क्या है ? इस पर आज हमने काफी Research किया है . हमने कई किताबों का अध्ययन किया है. जिससे आप इस पूरे मामले को अच्छी तरह समझ सकेंगे. हमने कई इस्लामिक धर्मगुरुओं से बातचीत की है और इस मामले में उनका पक्ष जाना है. भारत में शरीयत कोर्ट क्यों होनी चाहिए ? इस संबंध में इन विद्वानों ने कई बातें कही हैं जो हम आपके सामने रखना चाहते हैं . इस्लामिक धर्मगुरुओं ने 'शरीयत कोर्ट' शब्द पर आपत्ति जताई . उन्होंने कहा कि इसे अदालत कहना ठीक नहीं है . इसे दारुल कज़ा कहा जाना चाहिए . उनके मुताबिक ये कोई अदालत नहीं है . सिर्फ सलाह मश्विरे की एक जगह है, जिसमें पारिवारिक झगड़ों को सुलझाया जाता है . 

सवाल ये है कि क्या दारुल कज़ा या शरीयत अदालत अलग-अलग हैं ? अगर हम 'दारुल कज़ा' शब्द पर गौर करें तो दार का मतलब होता है घर और कज़ा मतलब होता है... फैसला . यानी दारुल कज़ा का पूरा अर्थ हुआ... फैसला देने का घर . इसके अर्थ से तो ऐसा ही लगता है जैसे दारुल कज़ा और अदालत शब्द एक जैसे हैं क्योंकि अदालत भी तो फैसला देने की जगह या घर है . इस्लाम के विद्वानों का ये तर्क है कि देश की अदालतों में करोड़ों मामले Pending हैं ऐसे में अगर शरीयत अदालतों में ही झगड़े सुलझ जाएंगे तो देश की अदालतों पर बोझ नहीं बढ़ेगा . 

Zee News ने हमेशा एक देश और एक कानून के विचार का समर्थन किया है . जब देश में एक कानून नहीं होता और पंचायतों और धार्मिक कानूनों के आधार पर फैसले दिए जाते हैं तो समाज के हर वर्ग के साथ अन्याय होता है. ट्रिपल तलाक और हलाला जैसी समस्याओं की वजह भी यही है . हमें लगता है कि देश में Uniform Civil Code लागू होना चाहिए . Uniform Civil Code का मतलब है कि देश के सभी नागरिकों के लिए समान यानी एक जैसे नागरिक कानून शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा. फिलहाल हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के तहत करते हैं.

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