ZEE जानकारी: भारत की राजनीति को एक नए दौर में ले गए थे अटल बिहारी वाजपेयी
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ZEE जानकारी: भारत की राजनीति को एक नए दौर में ले गए थे अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी ने 20 से ज्यादा पार्टियों का गठबंधन बनाकर सरकार को बखूबी चलाकर दिखाया था. सबको साथ लेकर चलने का ये गुण Management के छात्रों के काम आ सकता है.

ZEE जानकारी: भारत की राजनीति को एक नए दौर में ले गए थे अटल बिहारी वाजपेयी

छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता... पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ये वो कविता है... जिसमें बड़प्पन है... संकल्प है... प्रेरणा है... उदारता है... और देश को जोड़कर एक रखने की भावना है. आज भारत रत्न.. अटल बिहारी वाजपेयी 93 वर्ष के हो गये हैं. अटल जी फिलहाल अस्वस्थ हैं, लेकिन ये देश का सौभाग्य है कि 93 वर्ष की उम्र में भी वो हमारे बीच मौजूद हैं. अटल जी के भाषण और कविताएं आज पूरी दुनिया में गूंज रही हैं लेकिन वो खुद खामोश हैं. उनकी ये चुप्पी... उनके चाहने वालों को बहुत चुभती है. ये समय का फेर है... कि देश के सबसे बड़े वक्ता... जिनकी हाज़िर जवाबी की मिसालें दी जाती हैं. जिनका हर शब्द.. देश की धरोहर है. आज कुछ भी बोलने में असमर्थ हैं. लेकिन उनका जीवन और चरित्र आज भी देश को प्रेरणा दे रहा है. हमारा देश युवाओं का देश है. लेकिन आज की पीढ़ी में बहुत सारे ऐसे लोग होंगे जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को बोलते हुए नहीं देखा होगा. हमें लगता है कि दिल को छू लेने वाली उनकी अनोखी भाषण शैली के बारे में युवा पीढ़ी को पता होना चाहिए. इसीलिए आज हमने अटल जी के प्रसिद्ध भाषणों का एक संकलन तैयार किया है. जो हम आपको आगे दिखाएंगे. 

अटल बिहारी वाजपेयी के बहुत सारे गुण हैं जिनसे आज की युवा पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है. अटल बिहारी वाजपेयी.. भारत की राजनीति को एक नए दौर में ले गए थे. उन्होंने 20 से ज्यादा पार्टियों का गठबंधन बनाकर सरकार को बखूबी चलाकर दिखाया था. सबको साथ लेकर चलने का ये गुण Management के छात्रों के काम आ सकता है. उन्होंने पूरी दुनिया को ये बताया कि सिद्धांतों के आधार पर गठबंधन की राजनीति कैसे की जाती है.. 

अटल बिहारी वाजपेयी 50 से ज्यादा वर्षों तक राजनीति में रहे. लेकिन उन पर कभी कोई दाग नहीं लगा. ये बहुत बड़ी बात है. देश के युवा नेताओं को अटल जी से प्रेरणा लेनी चाहिए. अटल जी जब विपक्ष में रहे तो सरकार ने उन्हें बहुत सम्मान दिया और जब वो सरकार में रहे तो विपक्ष ने उन्हें बहुत सम्मान दिया. वो किसी दल के नहीं बल्कि पूरे देश के नेता थे. और ये बात समय-समय पर साबित होती रही. 

वर्ष 1994 में Geneva में मानवाधिकार सम्मेलन का आयोजन किया गया. तब पी वी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे. और अटल बिहारी वाजपेयी विपक्ष में थे. लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए पी वी नरसिम्हा राव ने अटल विहारी वाजपेयी को भेजा था. पूरी दुनिया इस फैसले से हैरान थी. 

वर्ष 1977 में जब जनता दल की सरकार बनी और अटल जी विदेश मंत्री बने. तब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण दिया था. ये पहला मौका था जब संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिंदी में भाषण दिया गया था. पहली बार इतने बड़े मंच पर हिंदी से दुनिया का परिचय हुआ. 

वर्ष 1957 में अटल जी पहली बार संसद में पहुंचे थे. तब पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. ऐसा कहा जाता है कि अटल जी की भाषण शैली से जवाहर लाल नेहरू इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने कहा था कि ये नवयुवक कभी ना कभी देश का प्रधानमंत्री ज़रूर बनेगा. और उनकी ये भविष्यवाणी सच साबित हुई. 

ये संयोग की बात है कि पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था. कुदरत कभी-कभी बहुत क्रूर खेल खेलती है. ये बहुत बड़ा विरोधाभास है कि अटल बिहारी वाजपेयी और मुहम्मद अली जिन्ना के जन्म की तारीख एक ही है. लेकिन इन दोनों के विचारों और चरित्र में बहुत बड़ा फर्क है. 

एक तरफ अटल बिहारी वाजपेयी हैं जिन्होंने पाकिस्तान और हिंदुस्तान के दिलों को जोड़ने के लिए दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की. और दूसरी तरफ मुहम्मद अली जिन्ना थे जिन्होंने दिलों को बांट दिया. और हिंदू और मुसलमान के नाम पर इस देश को तोड़ दिया. अटल बिहारी वाजपेयी जोड़ने वाले हैं. मुहम्मद अली जिन्ना तोड़ने वाले हैं. 

एक तरफ अटल बिहारी वाजपेयी हैं जिनका व्यक्तित्व बहुत उदार हैं. उनके विरोधी भी उनकी उदारता की मिसालें देते हैं. वो सांप्रदायिक सदभावना के प्रतीक हैं. और दूसरी तरफ मुहम्मद अली जिन्ना थे जिन्होंने हमेशा सांप्रदायिकता का साथ दिया. हम ये तुलना नहीं करना चाहते थे. लेकिन इतिहास को याद रखना भी जरूरी है ताकि फिर कभी कोई विभाजन ना हो. आज अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनके कुछ चुने हुए भाषण और चुनी हुई कविताएं सुनाना चाहते हैं. अटल जी का हर शब्द एक प्रेरणा है. उनके शब्द... हर तरह के विभाजन के बीच पुल बनाने का काम करते हैं.

इतनी मीठी बात करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी का इस तरह मौन रहना बहुत दुख देता है. कितना अच्छा होता. अगर अटल बिहारी वाजपेयी आज अपने जन्मदिन के मौके पर कोई भाषण दे पाते. कोई अच्छी कविता सुनाते. देश की नई राजनीतिक पीढ़ी का मार्गदर्शन करते. लेकिन दुर्भाग्य है कि वो खामोश हैं. एक महान राजनेता और भावुक कवि आज मौन हैं. और ये मौन बहुत चुभता है. 

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