ZEE Jankari: 13 लापता जांबाजों का पता ढूंढने में नाकाम सिस्टम का analysis
Advertisement

ZEE Jankari: 13 लापता जांबाजों का पता ढूंढने में नाकाम सिस्टम का analysis

जो विमान अरुणाचल प्रदेश में लापता हुआ है..वो Upgraded नहीं था और उसमें जिस Transmitter का इस्तेमाल किया गया था, वो एक या दो साल नहीं, बल्कि 14 साल पहले ही प्रचलन से बाहर हो चुका था.

ZEE Jankari: 13 लापता जांबाजों का पता ढूंढने में नाकाम सिस्टम का analysis

आज शुरुआत ऐसी ख़बर से जिसका कोई ज़िक्र नहीं कर रहा है. हम समुद्र के अंदर, कई फीट गहराई में जाकर, Rescue Operation का अभ्यास तो कर सकते हैं. लेकिन, समुद्र के बाहर ज़मीन पर, पिछले चार दिनों से लापता मालवाहक जहाज़ AN-32 को हम अभी तक नहीं ढूंढ पाए हैं. वायुसेना में हादसें आज एक बड़ा मुद्दा बन चुके हैं. पिछले 4 साल में वायु सेना में 27 हादसे हो चुके हैं और आज An-32 के हादसे को लेकर इस विरोधाभास को समझने की ज़रुरत है. 2 जून 2019 को भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम में एक ‘Deep-Submergence Rescue Vehicle’ यानी DSRV का सफल परीक्षण किया. इसके तहत समुद की गहराई में जाकर INS Sindhu-dhvaj (सिंधु ध्वज) Submarine के नौसैनिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया.

ये एक अभ्यास था. DSRV का उपयोग समुद्र की सतह पर गिर चुकी पनडुब्बियों से नौसैनिकों को निकालने के लिए किया जाता है. इसके अलावा, समुद्र की सतह पर Cable बिछाने सहित अन्य कामों में भी इसका उपयोग किया जाता है और इस वक्त आप इसी Vehicle द्वारा किए गए Rescue Operation की तस्वीरें देख रहे हैं. जो हमें अंतरराष्ट्रीय News Channel, Wion के सौजन्य से मिली हैं.

DSRV का इस्तेमाल करने के साथ ही भारत ये क्षमता हासिल करने वाला सातवां देश बन गया है. इस सफल परीक्षण को भारतीय नौसेना ने एक ऐतिहासिक घटना बताया है और इस पर हम सबको गर्व होना चाहिए. फिर मन में ये सवाल उठता है, कि अगर हम समुद्र के अंदर Rescue Operation कर सकते हैं. तो ज़मीन पर क्यों नहीं? पहाड़ी इलाकों में क्यों नहीं?
 
सोमवार को भारतीय वायुसेना का मालवाहक जहाज़, AN-32 असम के जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरने के आधे घंटे बाद ग़ायब हो गया. तब से अब तक 80 घंटे से ज़्यादा समय बीत चुका है. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद ना तो हम उस विमान को ढूंढ पाए हैं और ना ही हमारे पास उसके मलबे से जुड़ी कोई जानकारी है. तलाशी अभियान में सुखोई-30 से लेकर C-130 Hercules (हरक्यूलिस) का इस्तेमाल हुआ. नौसेना के टोही विमान से लेकर ISRO की भी मदद ली गई. घने जंगलों में पैदल घूमकर भी मलबा ढूंढने की कोशिश की गई़, लेकिन अभी तक हमें कोई सफलता नहीं मिली है. इस बीच हर बीतते सेकेंड के साथ, AN-32 में सवार 8 Crew Members सहित 13 Airforce कर्मचारियों के परिवार वालों का धैर्य टूट रहा है. और सबका सिर्फ एक सवाल है, कि उनके अपनों की ख़बर कब आएगी ?

जो विमान अरुणाचल प्रदेश में लापता हुआ है..वो Upgraded नहीं था और उसमें जिस Transmitter का इस्तेमाल किया गया था, वो एक या दो साल नहीं, बल्कि 14 साल पहले ही प्रचलन से बाहर हो चुका था और अब उसका उत्पादन भी नहीं होता. AN-32 विमान को भारत ने 1980 के दशक में सोवियत संघ से ख़रीदा था. ये मालवाहक विमान उस वक़्त सोवियत संघ का हिस्सा रहे Ukraine में बनता था. लेकिन सोवियत संघ के टूटने के बाद आर्थिक तंगी की वजह से Ukrain इनके Spare Parts supply नहीं कर पाया. आज रिसर्च के दौरान हमें AN-32 को Upgrade किए जाने से संबंधित कुछ सूचनाएं मिलीं. जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए.

2009 में इसी इलाके में बिल्कुल ऐसा ही हादसा हुआ था. उस वक्त भी AN-32 की दुर्घटना में 13 लोग मारे गए थे, जिसके बाद AN-32 को Upgrade करने का फैसला लिया गया था.  इसके लिए Ukraine से क़रीब 400 मिलियन US Dollar का समझौता हुआ. करार के तहत 30 साल से ज़्यादा पुराने AN-32 की Life को 40 साल और बढ़ाना था और इसके लिए बेहतर Avionics और मॉडर्न कॉकपिट की सुविधा दी जानी थी. 40 विमानों को Upgrade करने के लिए Ukraine भेजा गया.

लेकिन अप्रैल 2015 में Ukraine में 40 में से 5 विमान ग़ायब हो गए. भारतीय वायुसेना ने इस पर आपत्ति जताई और सभी विमानों को ढूंढने का आदेश दिया. गायब हुए विमान Ukraine के Civil Aviation Plant में पाए गए. और उन्हें वापस भारत भेज दिया गया. लेकिन इसके बाद Ukraine की आर्थिक हालत खराब होने लगी. और यहीं से भारत के लिए भी हालात बुरे होते चले गए. बचे हुए 64 विमानों को कानपुर में भारतीय वायुसेना के Air Force Base में Upgrade किया जाना था. इसके लिए Ukraine से Technology Transfer भी करवाई गई. लेकिन Upgradation का काम नहीं हो पाया. क्योंकि, Ukraine के कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी और Spare Parts की सप्लाई भी बंद हो गई.

कई Experts इस नाकामी के लिए लाल-फीताशाही को ज़िम्मेदार ठहराते हैं. जिसमें ऐसे Bureaucrats शामिल थे, जिन्हें सैन्य मामलों की ज़रा भी जानकारी नहीं थी. अफ़सरशाही की वजह से ही हम अपने कई दूसरे सैन्य साजो-सामान को भी Upgrade नहीं कर पाए हैं. अब सवाल ये है, क्या हमें सोमवार को लापता हुए AN-32 के बारे में कोई जानकारी मिलेगी या नहीं? इतिहास के पन्नों को पलटें, तो ऐसा मुमकिन नहीं दिखता.
 
वर्ष 1986 में एक AN-32 जहाज ओमान के रास्ते सोवियत संघ जा रहा था. तब अरब सागर के ऊपर से गुज़रते वक्त वो गायब हो गया और उसमें बैठे यात्रियों और जहाज का कभी पता नहीं चला. ठीक इसी तरह 2016 में चेन्नई से अंडमान-निकोबार द्वीप समूह जा रहा AN-32 विमान, बंगाल की खाड़ी से गुज़रते वक्त गायब हो गया. इस विमान में 29 लोग थे, जिनका आज तक कुछ पता नहीं चला.

इस बीच लापता हुए AN-32 से जुड़ी ताज़ा अपडेट भी हम आपको दे देते हैं. रेस्क्यू कर्मियों को अभी तक कोई भी मलबा नहीं मिला है और ना ही किसी प्रकार का कोई संकेत मिला है. खराब रौशनी की वजह से Helicopters से चलाया जा रहा, Search And Rescue Operation आज के लिए रोक दिया गया है और कल इसे दोबारा शुरू किया जाएगा. जबकि, C-130 J Super Hercules एयरक्राफ्ट आज रात में भी अपना काम करता रहेगा.

ये भी देखे

Trending news