ZEE Jankari: Aticle 370 से आजादी, स्‍वतंत्र भारत का सबसे बड़ा फैसला
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ZEE Jankari: Aticle 370 से आजादी, स्‍वतंत्र भारत का सबसे बड़ा फैसला

Article 370 के हटते ही जम्मू-कश्मीर और भारत एक नए युग में प्रवेश कर चुका है. इसके अलावा राज्य का Bifurcation यानी दो हिस्सों में बंटवारा करते हुए लद्दाख को उसके हिस्से की शक्ति देने का प्रस्ताव दिया, जिसे राज्यसभा में पास कर दिया गया

ZEE Jankari: Aticle 370 से आजादी, स्‍वतंत्र भारत का सबसे बड़ा फैसला

History Is Made By Those Who Give A Damn...अर्थात इतिहास वही रचते हैं, जो किसी चीज़ की परवाह नहीं करते...और निडर होकर फैसले लेते हैं. आज से ठीक 10 दिन बाद देश, आज़ादी के 72 वर्षों का जश्न मनाएगा. लेकिन, 15 अगस्त से ठीक 10 दिन पहले यानी आज जम्मू-कश्मीर का पुनर्जन्म हुआ है. क्योंकि, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को 'अनुच्छेद 370' से आज़ादी देने का फैसला कर लिया और इसे आप आज़ाद भारत का सबसे बड़ा फैसला भी कह सकते हैं.

Article 370 के हटते ही जम्मू-कश्मीर और भारत एक नए युग में प्रवेश कर चुका है. इसके अलावा राज्य का Bifurcation यानी दो हिस्सों में बंटवारा करते हुए लद्दाख को उसके हिस्से की शक्ति देने का प्रस्ताव दिया, जिसे राज्यसभा में पास कर दिया गया और कल इसके लोकसभा में पास होने की उम्मीद है.

यानी जम्मू-कश्मीर अब राज्य नहीं रहा. बल्कि उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया है. एक है जम्मू-कश्मीर और दूसरा है लद्दाख. और अब देश के इन दोनों हिस्सों में मौजूद शहर बिल्कुल वैसे ही हैं- जैसे आपका शहर दिल्ली, मुंबई, भोपाल या रांची. आज सुबह 11 बजे से पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी, कि राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह के भाषण और 'अनुच्छेद 370' हटाए जाने के ऐलान के बाद श्रीनगर का लाल चौक बिल्कुल वैसा ही हो जाएगा, जैसे दिल्ली का राजीव चौक है. लेकिन, ये अविश्वसनीय काम हुआ है. इस लिहाज़ से देखा जाए, तो आज का दिन बहुत बड़ा दिन है, ऐतिहासिक दिन है. इसलिए सबसे पहले आप सब को हमारी तरफ से बधाई.

आज Article 370 और जम्मू-कश्मीर पर लिए गए साहसिक फैसले की हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात को समझना आप सभी के लिए बहुत ज़रुरी है. क्योंकि, 'अनुच्छेद 370' का हटाया जाना देश के लिए एक नई सुबह की शुरुआत जैसी है. इसलिए आज के DNA में हम जम्मू-कश्मीर के इतिहास में भी झांकेंगे. उसके वर्तमान का भी विश्लेषण करेंगे और उसका भविष्य कैसा होगा, इसकी तस्वीर भी आपको दिखाएंगे. लेकिन सबसे पहले ये देखिए, कि राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से संबंधित सभी संकल्पों के पास होने के बाद क्या तस्वीर दिखाई दी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश के सामने गृह मंत्री अमित शाह को कैसे बधाई दी?

किसी भी फैसले की एक पृष्ठभूमि होती है. जम्मू-कश्मीर में Article 370 की बहुत पुरानी और विवादित पृष्ठभूमि रही है. और इसे हटाए जाने को लेकर भी पिछले कुछ दिनों से जिस प्रकार की भूमिका बनाई गई या माहौल पैदा किया गया, वो भी कम ऐतिहासिक नहीं है क्योंकि, ये फैसला लेने से पहले कई महीनों से Planning चल रही थी. और केंद्र सरकार ने अपना Homework पूरा किया था.
 
सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों को भेजा गया. ताकि किसी भी अनहोनी से निपटा जाए. ये संख्या लगभग 48 हज़ार सुरक्षाबलों की थी. इसके साथ-साथ अमरनाथ यात्रियों को जम्मू-कश्मीर छोड़कर जाने के लिए कहा गया.

इसके बाद कल रात जम्मू-कश्मीर के बड़े नेताओं को उनके घर में नज़रबंद किया गया. श्रीनगर सहित जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई. Mobile और Internet सेवाएं रोक दी गईं. और आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर Cabinet Committee on Security की बैठक हुई. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान क्या बात हुई, कौन सा फैसला लिया गया, इसके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चला.

और फिर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुबह 11 बजे राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का ऐलान कर दिया. साथ ही साथ बंटवारे का Bill प्रस्तावित करते हुए, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग करने का प्रस्ताव पेश किया. इसका मतलब ये हुआ, कि अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ की तरह बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा लद्दाख.

आज राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने से पहले करीब 10 बजकर 35 मिनट पर गृह मंत्री अमित शाह संसद पहुंचे. वहां गाड़ी से उतरने के बाद गृह मंत्री शाह के हाथों में जो Documents थे उसमें सरकार की अटल इच्छाशक्ति नज़र आई.

अब आपको वो तस्वीर दिखाते हैं, जो ये सीख देनेवाली है कि कैसे किसी बड़े काम को... बड़ी योजनाओं को उम्मीद के मुताबिक पूरा किया जाता है. अंग्रेजी में एक कहावत है - Well begun is half done यानी अगर किसी काम की शुरुआत शानदार हो तो समझिए कि आधा काम पूरा हो गया. इन दस्तावेजों को विस्तार से देखने के बाद आप समझ गए होंगे कि क्यों मोदी-शाह की जोड़ी का हर मिशन बिना किसी रूकावट के मंजिल तक पहुंचता है.

इन तस्वीरों से आपको मोदी सरकार के योजनाबद्ध और सूझबूझ से काम करने के स्टाइल का भी पता चल गया होगा.  अब आप समझ गए होंगे कि अटल इच्छाशक्ति वाली सरकार ने किस तरह जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील मसलों का बारीकी से ख्याल रखा.

पहले सरकारें इस बात की चिंता करती थीं कि अब आतंकवादी क्या करने वाले हैं, लेकिन पहली बार अब आतंकवादी ये सोचते रह गए कि सरकार क्या करने वाली है. वैसे आज सुबह से कई लोग इस बात को लेकर भी Confuse हैं, कि क्या वाकई में जम्मू-कश्मीर से Article 370 हटा लिया गया है. या मामला कुछ और है. सबसे पहले आपको इस सवाल का जवाब देते हैं.  

अनुच्छेद 370 के तहत जो प्रतिबंध थे, उन्हें हटाया गया है। यानी इसके तहत कश्मीर को जो स्वायत्तता मिलती थी, जो अलग अधिकार मिलते थे, वो सब हट गए हैं. Article 370 की वजह से ही कहा जाता था, कि एक देश में दो निशान, दो विधान, दो प्रधान नहीं चलेंगे. आज के फैसले के बाद ये सब खत्म हो जाएंगे. हालांकि, अनुच्छेद 370 का 'Clause One' लागू रहेगा जो कहता है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है.

पहले भारतीय संसद के कई संवैधानिक फैसले जो कश्मीर पर लागू नहीं होते थे, वो अब पूरे देश की तरह यहां भी लागू होंगे. वित्तीय फैसले भी जो अब तक लागू नहीं होते थे, वो भी लागू होंगे. यही वजह है कि राष्ट्रपति के Notification में अब जम्मू-कश्मीर में जो संविधान सभा थी, उसका नाम विधानसभा कर दिया गया है. पहले उसका नाम संविधान सभा इसलिए था, क्योंकि भारत की संसद की तरह, वो भी कई संवैधानिक निर्णय करती थी. चाहे संसद में पारित निर्णयों को पारित करने का फैसला हो. चाहे उसे नामंजूर करने का हो. सबसे बड़ी बात ये है, कि अब देश का कोई भी नागरिक कश्मीर में उसी तरह रह सकेगा या वहां जाकर बस सकेगा, जिस तरह वो अन्य राज्यों में रह सकता है या बस सकता है.

एक सवाल ये भी है, कि केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा क्यों? इसका जवाब बहुत साधारण है. जैसे दिल्ली में है, जैसे पुडुचेरी में है, वैसे ही जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा होगी. यानी कश्मीर में चुनाव होंगे. विधायक होंगे, मुख्यमंत्री होगा. लेकिन पुलिस, सुरक्षा-व्यवस्था जैसी चीज़ों पर केंद्र का अधिकार होगा. वहां की सरकार को हर निर्णय, हर प्रश्न पर राज्यपाल से राय लेनी होगी.
यानी हर तरह से जम्मू-कश्मीर केंद्र के अधीन ही होगा.

आपके मन में ये सवाल आएगा, कि इस फैसले से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में क्या बदलाव आएंगे ? आगे बढ़ने से पहले ये बदलाव देखिए. जम्मू-कश्मीर की राजनीति में तीन मुख्य परिवार हैं. अब्दुल्ला परिवार, मुफ्ती परिवार और तीसरा कांग्रेस परिवार. उनके हाथ में कुछ नहीं रह जाएगा. देशभर के लोगों के कश्मीर में बसने और वहां बिजनेस करने का रास्ता खुल जाएगा. खासकर, Hotel Industry और Tourism को बढ़ावा मिलेगा. इससे पहले Hotel Industry पर कई तरह के प्रतिबंध थे. बाकी देश के लोग जब यहां उद्योग-धंधे खोलेंगे, तो लोगों को रोज़गार मिलेगा और आतंकवाद में कमी आएगी. कोई ऐसी गतिविधियों को ना तो आश्रय देगा और ना ही उनका समर्थन करेगा. एक बड़ा बदलाव ये भी आएगा, कि सेना की उपस्थिति और उस पर होने वाला खर्च धीरे-धीरे कम होता जाएगा. लद्दाख के अलग होने से उसका विकास भी तेज़ी से होगा. क्योंकि, अभी तक घाटी के नेता लद्दाख की तरफ गंभीरता से ध्यान नहीं देते थे.

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