Zee जानकारी : 'डिजिटल इंडिया' के रास्ते में हैं बड़ी चुनौतियां
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Zee जानकारी : 'डिजिटल इंडिया' के रास्ते में हैं बड़ी चुनौतियां

अगर इंटरनेट एक देश होता तो उस देश में भारतीय लोग आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर होते, भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या अमेरिका की कुल आबादी से ज्यादा हो चुकी है। इंटरनेट लाइव सटैट्स नामक वेबसाइट के मुताबिक चीन के बाद भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है।

Zee जानकारी : 'डिजिटल इंडिया' के रास्ते में हैं बड़ी चुनौतियां

नई दिल्ली : अगर इंटरनेट एक देश होता तो उस देश में भारतीय लोग आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर होते, भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या अमेरिका की कुल आबादी से ज्यादा हो चुकी है। इंटरनेट लाइव सटैट्स नामक वेबसाइट के मुताबिक चीन के बाद भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है।

भारत में करीब 46 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत में सिर्फ 12 फीसदी लोग ही ई-मेल भेजना जानते हैं, ये दावा नेशनल सैंपल सर्वे की एक नई रिपोर्ट में किया गया है, इसी रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 14 फीसदी लोग जानते हैं कि कंप्यूटर पर टेक्सट फाइल कैसे बनाई जाती है। 

एनएसएस की रिपोर्ट के मुताबिक कंप्यूटर लिटरेसी यानी कंप्यूटर साक्षरता दर के मामले में सबसे बुरा हाल बिहार का है, जहां 95 फीसदी लोग ई-मेल भेजना नहीं जानते, उत्तर प्रदेश में करीब 92 फीसदी और मध्य प्रदेश में 91 फीसदी लोगों को नहीं पता कि ई-मेल कैसे भेजी जाती है, उत्तर पूर्व के राज्यों की बात करें तो त्रिपुरा में 96 फीसदी, मणिपुर में 93 फीसदी और असम में 92 फीसदी लोग ई-मेल नहीं भेज सकते। ओडिशा में 93 फीसदी छत्तीसगढ़ में 95 फीसदी, झारखंड में 92 फीसदी और पश्चिम बंगाल में करीब 91 फीसदी लोग कंप्यूटर के मामले में अनपढ़ हैं। ये ऐसा ही जैसे किसी देश में स्कूल और स्कूल जाने वालों की संख्या तो बहुत ज्यादा हो लेकिन वहां की अधिकांश आबादी अपना नाम लिखना भी ना जानती हो। 

1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत की थी, जिसका मकसद देश के हर व्यक्ति को इंटरनेट से जोड़ना और देश में डिजिटल डिवाइड को ख़त्म करना है, डिजिटल इंडिया मिशन के ज़रिए देश भर में पंचायतों से लेकर मंत्रालयों तक सारे रिकॉर्ड्स डिजिटाइज किए जाएंगे और नागरिक सेवाओं में सुधार के लिए ई-गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा।

डिजिटल इंडिया मिशन की मदद से 2019 तक ढाई लाख गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी होगी। 4 लाख पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्वाइंट्स बनेंगे। स्कूलों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक जगहों पर ढाई लाख वाई-फाई हॉटस्पॉट्स लगाए जाएंगे। 

लेकिन ये सब इतना आसान भी नहीं है। डिजिटल इंडिया के रास्ते में बड़ी चुनौतियां भी हैं। भारत में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भारी निवेश करना होगा। ऑप्टिकल फाइबर का काम लक्ष्य से पीछे है। देश में हर महीने 30 हज़ार किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर की लाइन बिछानी होगी जबकि अभी सिर्फ़ 500 किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जा रहा है। छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में कनेक्टिविटी की दिक्कत है और कुल मिलाकर भारत में करीब 2 लाख टेलीकॉम टावर्स की कमी है। 

Akamai Technologies की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेट स्पीड के मामले दुनिया में भारत में की रैंक 114 है, जबकि भारत में इंटरनेट की औसत स्पीड सिर्फ़ 2.8 एमबीपीएस है। एक सर्वे के मुताबिक भारत के 60% उपभोक्ता- इंटरनेट नेटवर्क की समस्या से परेशान है। 42% लोगों को 2जी और 3जी की स्पीड में कोई अंतर महसूस नहीं होता और ये समस्याएं तब हैं जब देश में करोड़ों रुपये के विज्ञापन अभियान चलाकर 4G का सपना बेचा जा रहा है। 

केंद्र सरकार के मुताबिक 2020 तक भारत को हर साल 5 करोड़ नए इंटरनेट यूजर्स मिलते रहेंगे, लेकिन भारत को डिजिटल दुनिया की ताकत बनाने का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता। जब तक हमारे देश में कंप्यूटर और इंटरनेट की समझ नहीं बढ़ती, क्योंकि सिर्फ कागज़, कलम और किताबें खरीद लेने से लोगों को शिक्षित नहीं बनाया जा सकता।

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