Zee जानकारी : भारत की कूटनीति की नई दिशा तय करेगा BRICS सम्मेलन
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Zee जानकारी : भारत की कूटनीति की नई दिशा तय करेगा BRICS सम्मेलन

इस बार का BRICS सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये भारत की कूटनीति की नई दिशा तय करेगा। इसलिए इसके बारे में आपको हर बात पहले से पता होनी चाहिए। कल (शनिवार) का दिन एक महत्वपूर्ण दिन है और हम कल के लिए आपको आज ही तैयार कर देंगे। इसलिए सबसे पहले आपको संक्षेप में BRICS से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातें पता होनी चाहिए।

Zee जानकारी : भारत की कूटनीति की नई दिशा तय करेगा BRICS सम्मेलन

नई दिल्ली : इस बार का BRICS सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये भारत की कूटनीति की नई दिशा तय करेगा। इसलिए इसके बारे में आपको हर बात पहले से पता होनी चाहिए। कल (शनिवार) का दिन एक महत्वपूर्ण दिन है और हम कल के लिए आपको आज ही तैयार कर देंगे। इसलिए सबसे पहले आपको संक्षेप में BRICS से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातें पता होनी चाहिए।

-BRICS का मतलब होता है Brazil, Russia, India, China और South Africa।
-ये पांचों देश दुनिया की 5 सबसे बड़ी और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं। 
-BRICS में शामिल इन 5 देशों  में दुनिया की 43% जनसंख्या रहती है ।
-जबकि ये 5 देश दुनिया के कुल GDP का 37% है।
-दुनिया के व्यापार में इन 5 देशों का 17 प्रतिशत का हिस्सा है।

पहली BRICS  सम्मेलन जून 2009 में रूस  में हुआ था, जबकि 15 और 16 अक्टूबर को गोवा में होने वाला ये सम्मेलन, BRICS का आठवां सम्मेलन होगा। ये सम्मेलन ऐसे मौके पर हो रहा है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे ज्यादा तनाव है। एक तरफ चीन है, जो पाकिस्तान को अपना दोस्त समझता है, और दूसरी तरफ रूस है, जो हमेशा से भारत का अहम सहयोगी रहा है, लेकिन इन दिनों वो भी पाकिस्तान से नज़दीकियां बढ़ा रहा है। और इसका सबूत रूस ने पाकिस्तान की सेना के साथ युद्ध अभ्यास करके दिया है, हालांकि रूस ने उरी हमले की निंदा करने के साथ ही भारत की सर्जिकल स्ट्राइक का भी खुलकर समर्थन किया था। यानी रूस ने कूटनीतिक संतुलन बनाकर रखा है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरते हुए रूस और चीन के साथ एक कूटनीतिक संतुलन बनाकर रखना होगा। भारत और रूस के बीच BRICS सम्मेलन के बाद शिखर सम्मेलन भी होना है। 

वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ऐसे वक्त पर भारत आ रहे हैं, जब देश में चीन में बने सामान के बहिष्कार की बात हो रही है। क्योंकि चीन पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करता है। भारत जब भी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मसूद अज़हर को आतंकवादी घोषित करने का दबाव बनाता है तो चीन पाकिस्तान के साथ आकर खड़ा हो जाता है। आपको बता दें कि दिसंबर 1999 में जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट हाईजैक हुई थी, तो भारत सरकार ने 178 यात्रियों की जान के बदले में तीन आतंकियों की रिहाई का सौदा किया था। भारत सरकार ने जिन तीन आतंकियों को छोड़ा था, उनमें मसूद अज़हर भी था । लेकिन चीन इसी मसूद अज़हर को आतंकवादी घोषित करने के खिलाफ. हमेशा United Nations में Veto Power का इस्तेमाल कर लेता है। इस बार भारत की कोशिश होगी कि शी चिनपिंग को पाकिस्तान द्वारा आतंक फैलाए जाने के सबूत देकर दबाव बनाया जाए। इसके अलावा NSG में भारत की सदस्यता के मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है।

जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दिलचस्पी इस बात में भी है कि भारत के साथ व्यापार के क्षेत्र में चीन को जो भारी बढ़त हासिल है, वो बरकरार रहे। क्योंकि चीन की Economy इन दिनों पहले के मुकाबले कुछ धीमी गति से विकास कर रही है जबकि भारत की विकास दर बहुत अच्छी है। इस बीच भारत में चीन के सामान का बहिष्कार करने की मांग भी हो रही है। आपके फेसबुक और Whatsapp पर बहुत सारे ऐसे Message आ रहे होंगे कि चीन से आने वाले समान का बहिष्कार करें कुछ दिनों में दीवाली आने वाली है और भारत में ऐसा माहौल बन गया है जिसमें चीन में बने पटाखे और लड़ियों के इस्तेमाल का विरोध हो रहा है। ये बात भी शी जिनपिंग तक पहुंच गई होगी।

भारत और रूस 

-भारत और रूस के बीच जब कल द्विपक्षीय बातचीत होगी तो दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण सामरिक समझौते भी होंगे। 
-कल दोनों देशों के बीच कुल 18 समझौते होंगे। 
-रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन Kudan-kulam nuclear power plant की तीसरी और चौथी यूनिट का उद्घाटन कर सकते हैं।
-भारत रूस से लंबी दूरी तक मार करने वाले S-400, air defence missile system को खरीदने की डील कर सकता है।  
-इस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम का नाम है ‘Triumf’
-इसे दुनिया का सबसे आधुनिक एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम माना जाता है और भारत रूस से ऐसे 5 सिस्टम खरीद सकता है। 
इसके अलावा भारतीय नेवी के लिए War-Ships बनाने को लेकर रूस से समझौता हो सकता है। 
-दोनों देशों के बीच Kamov 226T हेलीकॉप्टर्स के संयुक्त रूप से निर्माण पर भी समझौता हो सकता है। 
-ये हेलीकॉप्टर्स बहुत ही ताकतवर और हल्के हेलीकॉप्टर माने जाते हैं, और इनका सेफ्टी स्टैंडर्ड बहुत ज्यादा होता है। 
-ये हेलीकॉप्टर्स चीता और चेतक हेलीकॉप्टर्स की जगह लेंगे। हम आपको बता दें कि चेतक और चीता हेलीकॉप्टर फ्रांस से लिए गये थे।

अगर शनिवार को भारत और रूस के बीच एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने का समझौता होता है, तो ये भारत के रक्षा क्षेत्र को नई ऊर्जा देने वाला एक बड़ा समझौता होगा। 

भारत और रूस की कूटनीतिक दोस्ती के 70 वर्ष पूरे हो गए हैं। आपमें से बहुत से लोगों को शायद नहीं पता होगा कि 1946 में अक्टूबर के महीने में तत्कालीन सोवियत संघ सरकार ने पंडित जवाहर लाल नेहरू को एक चिट्ठी लिखी थी और ये इच्छा जताई थी कि सोवियत संघ भारत के साथ मित्रता पूर्ण रिश्ते बनाना चाहता है। हालांकि तब ना तो जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे और ना ही भारत आज़ाद हुआ था। 

-भारत और रूस के बीच सामरिक रिश्ते की गहराई को समझने के लिए आपको इतिहास के पन्ने भी पलटने होंगे।

अमेरिका के साथ जो रिश्ते आज आपको दिखते हैं, वो इतिहास में इतने मधुर नहीं थे। क्योंकि अमेरिका ने हमेशा भारत के दुश्मन पाकिस्तान का ही साथ दिया है। अमेरिका भारत को नए और आधुनिक हथियार या तकनीक देने के लिए कभी तैयार नहीं हुआ। लेकिन, रूस भारत को आधुनिक हथियार देने के साथ साथ तकनीक भी देता है और भारत में उसका उत्पादन भी करता है। रूस-भारत को अंतरिक्ष, मिसाइल, आधुनिक फाइटर प्लेन और परमाणु तकनीक सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मदद दे रहा है। और ये मदद वो पहले भी देता रहा है।

जब भारत इन्फ्रस्ट्रक्चर के क्षेत्र में बहुत कमजोर स्थिति में था, तब सोवियत संघ ने ही भारत में स्टील प्लांट लगाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भिलाई में स्टील प्लांट रूस के सहयोग से ही बना है। जब 1974 में भारत ने परमाणु परीक्षण किया तब भी अमेरिका समेत कई विकसित देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए। लेकिन संकट की ऐसी घड़ी में भी रूस भारत के साथ खड़ा रहा। 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में दुनिया के ज्यादातर शक्तिशाली देश पाकिस्तान के पक्ष में खड़े थे। अमेरिका ने तो भारत के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए अपने जंगी जहाज़ भी भेज दिए थे। 

ऐसे वक्त में सोवियत संघ ही भारत के साथ मज़बूती से खड़ा रहा। 1971 में सोवियत संघ ने अपना युद्धपोत भारतीय सेना की सुरक्षा के लिये रवाना कर दिया था और जैसे ही ये ख़बर अमेरिका को मिली, उसने अपनी सेना को आगे बढ़ने से रोक दिया और भारत की शानदार जीत हुई। जिसके बाद बांग्लादेश बना।

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