ZEE जानकारी: हर साल 34 हजार महिलाओं का होता है रेप, दहेज के लिए 7 हजार हत्याएं
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ZEE जानकारी: हर साल 34 हजार महिलाओं का होता है रेप, दहेज के लिए 7 हजार हत्याएं

हम अपने देश को भारत माता कहते हैं. कन्याओं की पूजा करते हैं. महिलाओं को देवी का दर्जा देते हैं. लेकिन सच ये है कि हम आज भी भारत की महिलाओं को इस बात की गारंटी नहीं दे पाए हैं .

ZEE जानकारी: हर साल 34 हजार महिलाओं का होता है रेप, दहेज के लिए 7 हजार हत्याएं

आज National Girl Child Day भी है. इसलिए ये भी समझना चाहिए कि इन 70 वर्षों में भारत में महिलाओं की स्थिति में कोई सुधार आया है या नहीं. भारत में हर वर्ष दहेज के लिए 7 हज़ार 277 महिलाओं की हत्या कर दी जाती है. हर साल 33 हज़ार 977 महिलाओं के साथ रेप होता है और एक हज़ार लड़कों के मुकाबले अभी भी 943 लड़कियां ही जन्म लेती हैं. हम भारत को महिलाओं के लिए एक सुरक्षित देश नहीं बना पाए हैं. ये भारत का बहुत बड़ा विरोधाभास है. हम अपने देश को भारत माता कहते हैं. कन्याओं की पूजा करते हैं. महिलाओं को देवी का दर्जा देते हैं. लेकिन सच ये है कि हम आज भी भारत की महिलाओं को इस बात की गारंटी नहीं दे पाए हैं कि वो अपने ही देश में सुरक्षित हैं. भारत के और भी बहुत सारे विरोधाभास है. सबकी बात एक साथ करना तो संभव नहीं है. लेकिन आपको इनमें से कुछ विरोधाभासों के बारे में ज़रूर पता होना चाहिए .

भारत के लोग बहुत आध्यात्मिक और दार्शनिक होने का दावा करते हैं, लेकिन सच ये है कि भारत में ऊंच-नीच और भेदभाव कम होने की बजाय बढ़ा है. लोग आज भी छुआ छूत में विश्वास करते हैं. जात-पात और धर्म को आज भी देश से बड़ा मानते हैं और अपनी जाति और धर्म का प्रदर्शन तो अपनी गाड़ियों पर करने से भी नहीं चूकते. यानी वसुधैव कुटुंबकम की बात करने वाले भारत में लोग आज भी अलग अलग जातियों और धर्मों में बंटे हुए हैं और समाज के वर्गों के बीच ये दूरी साफ-साफ दिखाई देती है.

इसी तरह भारत का आध्यात्मिक दर्शन कहता है कि धन संचय नहीं करना चाहिए. गरीबों की सेवा करनी चाहिए और एक समाज को समान रूप से समृद्ध बनना चाहिए जहां कोई अमीर या कोई गरीब ना हो लेकिन सच ये है कि भारत में अमीरों और गरीबों के बीच खाई बड़ी है. भारत के 63 उद्योगपतियों के पास कुल मिलाकर 24 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा की दौलत है. ये भारत के कुल बजट से भी ज्यादा है जबकि भारत के ग्रामीण इलाकों के मजदूर आज भी 300 रुपये प्रतिदिन से ज्यादा नहीं कमा पाते हैं और शहरों में ये औसत 459 रुपये प्रतिदिन है. जबकि भारत के सबसे अमीर उद्योगपति ने 2018 में 300 करोड़ रुपये प्रतिदिन कमाया था .

भारत में पुरुषार्थ को भी बहुत महत्व दिया जाता है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति कठिन परिश्रम करता है..लगातार मेहनत करता है..उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता . लेकिन भारत के बारे में ये बात भी सच नहीं लगती. सबसे ज्यादा सार्वजनिक छुट्टियों के मामले में भारत कंबोडिया और श्रीलंका के बाद तीसरे नंबर पर है..लेकिन इसके बावजूद भारत के लोग अक्सर काम से छुट्टी ले लेते हैं. यहां तक कि जब किसी वर्ष गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस रविवार को होते हैं...तब भारत के लोगों को बहुत अफसोस होता है और लोग अक्सर शिकायत करते हुए कहते हैं कि उनकी एक छुट्टी मारी गई .

भारत में गणतंत्र को बहुत महत्व दिया जाता है. हम इस बात पर भी बहुत गर्व करते कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं. लेकिन हमारे देश में आज भी राजशाही के चाहने वाले बड़ी संख्या में हैं. ये लोग एक परिवार की वंदना में व्यस्त रहते हैं. इन्हें दरबारी परंपरा अच्छी लगती है, वंशवाद इन्हें अपना हक लगता है और बहुमत से चुनी गई सरकारों के फैसलों का ये हर बार विरोध करते हैं.

भारत में बच्चों के सम्मान की भी बहुत बड़ी बड़ी बातें की जाती है..बच्चों को भारत का भविष्य माना जाता है. हम हर वर्ष बाल दिवस भी मनाते हैं. लेकिन हमारे देश में बच्चों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. भारत की 40 करोड़ आबादी की उम्र 18 वर्ष से कम है. फिर भी भारत में करोड़ों बच्चे आज भी स्कूल नहीं जा पाते हैं. एक हज़ार में से 95 बच्चों की मौत उनके पांचवे जन्मदिन से पहले हो जाती है.

3 महीने से छोटे 74 प्रतिशत बच्चों में रक्त की कमी रहती है. 28 प्रतिशत बच्चों का वज़न जन्म के वक्त सामान्य से कम होता है और अगर इन सब परेशानियों से कोई बच्चा..बच जाता है तो उसे देश के ही लोग गुमराह करने लगते हैं  इन बच्चों के मन में नफरत वाला ज़हर भर दिया जाता है और इन्हें ऐसी शिक्षा दी जाती है कि ये अपने ही देश के लोगों के खून के प्यासे हो जाते हैं.

इसी तरह भारत में समानता की बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं. अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया जाता है लेकिन सच ये है कि आज भी भारत में सिर्फ 5 प्रतिशत लोग ही Inter Cast Marrigae यानी अपनी जाति से बाहर विवाह करने की हिम्मत दिखा पाते हैं.

भारत को विरोधाभासों का देश कहा जाता है. लेकिन जो विरोधभास किसी समाज को आगे बढ़ने से रोकते हैं. उनसे जल्द से जल्द छुटकारा पाना भी ज़रूरी हो जाता है .

जैसे आपके परिवार या आपके दफ्तर को चलाने के लिए कुछ नियम होते हैं. वैसे ही देश को चलाने के लिए भी कुछ कायदे-कानून होते हैं. इसी को संविधान कहते हैं. भारत ने 26 जनवरी, 1950 को अपना संविधान अपनाया और उसी दिन से हमारा देश Republic of India यानी भारत गणराज्य बन गया, जिसे संस्कृत में गण-तंत्र भी कहते हैं. गण-राज्य दो शब्दों से मिलकर बना है-गण और राज्य. यहां गण का अर्थ है जनता. यानी किसी भी गण-राज्य में जनता का राज होता है. और कोई भी गण-राज्य जनता द्वारा बनाए गए विधान से ही चलता है. हमारे देश में इसी विधान को संविधान बोलते हैं.

लेकिन, आज इस संविधान को और इस गणतंत्र को तोड़ने की बात हो रही है. आज देश के 154 जाने-माने लोगों ने इसी मुद्दे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. राष्ट्रपति से मिलने वालों में हाई कोर्ट के 11 पूर्व जज, 72 रिटायर्ड IAS अफसर और सेना के पूर्व अधिकारी भी शामिल थे. इन लोगों ने राष्ट्रपति से अपील की कि वो CAA और NRC के मुद्दे पर हिंसा को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें.

जिन लोगों ने आज राष्ट्रपति से मुलाकात की, उनमें से अधिकांश ने आज़ादी के बाद के भारत को अपने बचपन में देखा है. ये अफसोस की बात है कि जब देश अपने गणतंत्र के 70 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है, तब देश के कुछ लोग गणतंत्र को कमज़ोर करने की कोशिश कर रहे हैं. ये कितना बड़ा विरोधाभास है कि जो लोग संविधान को खतरे में बता रहे हैं, वो संविधान के तहत चुनी गई सरकार को ही नकार रहे हैं. वो संविधान के तहत संसद में पास किए गए कानून का ही विरोध कर रहे हैं. अपने अधिकार की लड़ाई के लिए दूसरों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहे हैं. और जाने-अनजाने देश विरोधी ताकतों की सहायता भी कर रहे हैं. विरोध और आपत्ति दर्ज कराने के लिए इस देश में अदालतें हैं, लेकिन उनपर भी अब शक किया जाता है. और तो और, बच्चों को भी राजनीति का मोहरा बनाया जा रहा है.

आमतौर पर गणतंत्र दिवस को लोग एक छुट्टी वाले दिन के तौर पर मनाते हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि गणतंत्र दिवस देश के लिए सिर्फ एक छुट्टी वाला दिन बनकर न रह जाए.

हम आपके विचारों में एक सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं. एक मशहूर वाक्य है ''मत पूछो कि देश ने आपको क्या दिया, ये बताओ कि आपने देश को क्या दिया?''

देश के बारे में सोचने की शुभ शुरुआत करने के लिए गणतंत्र दिवस से बेहतर कोई और दिन नहीं हो सकता. आप चाहें तो देश की भलाई के लिए आज से ही अपने अंदर कुछ बदलाव ला सकते हैं. इनमें से कुछ सुझाव हम आपको देना चाहते हैं.
 
आज से आप महिलाओँ के सम्मान की रक्षा करने का प्रण ले सकते हैं. अब नफरत की राजनीति करने वालों से दूरी बना सकते हैं और उन्हें ऐसा करने से रोक सकते हैं. सड़क पर घायल या ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने की प्रतिज्ञा कर सकते हैं. आप देश को स्वच्छ बनाने के लिए कचरा सड़क पर ना फेंकने की कसम खा सकते हैं. हमारी आपसे अपील है कि सड़कों और दीवारों पर ना थूकें.

देश के सामाजिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए आपको प्रण लेना चाहिए कि आप अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना छोड़ देंगे. देश के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए आपको हर वर्ष कम से कम एक पौधा लगाने की शपथ लेनी चाहिए

आपको ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए. इसके साथ साथ आपको बिजली और पानी की बर्बादी से बचना चाहिए और एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों को रास्ता देने के लिए भी आपको थोड़ा सा कष्ट उठा लेना चाहिए

अगर आप इन छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखेंगे तो देश में बड़े-बड़े बदलाव संभव हो जाएंगे, क्योंकि देश को बदलना है तो सबसे पहले खुद को बदलना ज़रूरी है.

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