ZEE जानकारीः केंद्र सरकार ने लगाया 328 FDC वाली दवाइयों पर पूरी तरह से प्रतिबंध
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ZEE जानकारीः केंद्र सरकार ने लगाया 328 FDC वाली दवाइयों पर पूरी तरह से प्रतिबंध

fixed-dose combination वो दवाइयां होती हैं, जो दो या उससे ज़्यादा दवाइयों को मिलाकर तैयार की जाती हैं.

ZEE जानकारीः केंद्र सरकार ने लगाया 328 FDC वाली दवाइयों पर पूरी तरह से प्रतिबंध

अगर आप सिरदर्द, खांसी-ज़ुकाम या बुखार जैसी छोटी-मोटी बीमारियों को दूर करने के लिए अपनी मर्ज़ी से कोई भी दवा खा लेते हैं, तो अपनी इस आदत में सुधार कर लीजिए क्योंकि केंद्र सरकार ने 328 FDC यानी fixed-dose combination वाली दवाइयों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. fixed-dose combination वो दवाइयां होती हैं, जो दो या उससे ज़्यादा दवाइयों को मिलाकर तैयार की जाती हैं. इसके अलावा 6 दवाएं ऐसी हैं, जिन्हें कुछ चुनिंदा बीमारियों के इलाज में ही इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका असर ये होगा कि कई लोकप्रिय दवाइयां अब मेडिकल स्टोर पर नहीं मिलेंगी. इन दवाइयों पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है, क्योंकि लंबे समय तक इन दवाइयों को लेने से शरीर पर बुरा असर पड़ता है. 

सबसे पहले आप कुछ दवाइयों के नाम नोट कर लीजिए जो अब आपको बाज़ार में नहीं मिलेगी. हो सकता है आपको इन दवाइयों की आदत पड़ गई हो, लेकिन आपके स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही इन पर Ban लगाया गया है. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है... Saridon का. इस दवा को सिरदर्द को दूर करने लिए इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन रिसर्च के मुताबिक ये दवा सिरदर्द को दूर करने के साथ साथ आपके शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव डाल रही थी. बुखार को ठीक करने के लिए Sumo नामक दवाई का इस्तेमाल किया जाता था. अब इस पर भी बैन लग गया है.

डायबिटीज़ की एक दवा Dianorm-M ((डायऩॉर्म एम)) अब प्रतिबंधित है. त्वचा की सुरक्षा का दावा करने वाली skin cream....Panderm पर भी ban लगा दिया है. इसके अलावा antibiotics के कुछ Combinations पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. जिन 328 दवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनके Combination से करीब 6 हज़ार Brands की दवाइयां तैयार की जाती थी. इन पर रोक लगाने से दवा कंपनियों को करीब ढाई हज़ार करोड़ रूपए से ज़्यादा का नुकसान होगा, लेकिन आपके स्वास्थ्य के सामने ये नुकसान बहुत कम है. हमारे देश की कई दवा कंपनियां प्राइवेट अस्पतालों के साथ मिलकर अपने नये Brand बनाती हैं और महंगी दवाएं तैयार करती हैं. इसका बोझ मरोज़ की जेब और सेहत दोनों पर पड़ता है. 

इस पूरे मामले का दूसरा पहलू ये भी है कि हमारे देश के ज़्यादातर लोग बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेते रहते हैं. इसे self-medication कहा जाता है. इस तरह से दवाइयां लेना शरीर को बहुत कमज़ोर बना देता है. देश के 10 शहरों के 20 हज़ार लोगों पर किए गये सर्वे के मुताबिक 52 प्रतिशत लोग बिना डॉक्टर की सलाह लिए दवाइयां लेते हैं. Self-medication में 31 प्रतिशत दवाएं बुखार के लिए 19 प्रतिशत सिरदर्द के लिए और करीब 17 प्रतिशत दवाएं पेटदर्द के लिए ली जाती हैं. इनमें 38 प्रतिशत लोग मेडिकल स्टोर पर जाकर अपनी परेशानी बताकर दवाएं लेते हैं और डॉक्टर के पास कभी नहीं जाते. हैरानी की बात ये है अपनी मर्ज़ी से दवा लेने वाले 66 प्रतिशत लोग इसे गलत नहीं मानते हैं. करीब 74 प्रतिशत लोगों ने ये माना है कि वो अपने परिवार वालों और दोस्तों को भी self-medication के बारे में बताते हैं. लंबे समय तक बिना डॉक्टर की सलाह लिए दवाओं का सेवन करने से हमारा शरीर Drug Resistant हो जाता है यानी कई दवाएं शरीर पर असर करना बंद कर देती हैं. 

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