Zee जानकारी : दिल्ली में भूख से 11 मौतों का सच क्या है?
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Zee जानकारी : दिल्ली में भूख से 11 मौतों का सच क्या है?

Zee जानकारी : दिल्ली में भूख से 11 मौतों का सच क्या है?

आखिर देश की राजधानी दिल्ली में कोई भी भूखा कैसे मर सकता है? ये सवाल मन में आक्रोश पैदा करता है और इसी आक्रोश के साथ आज हम दिल्ली के आशा किरण होम में हुई 11 मौतों का DNA टेस्ट करेंगे।

ये ख़बर दिल्ली के उस आशा किरण होम से जुड़ी हुई है, जो मानसिक रूप से बीमार लोगों के Rehabilitation यानी स्वास्थ्य में सुधार का काम करता है। लेकिन वहां रहने वाले मरीज़ों को आशा की किरण नहीं बल्कि मौत बांटी जा रही थी। आपको ये जानकर बहुत गुस्सा आएगा कि पिछले दो महीनों में दिल्ली के रोहिणी में बने आशा किरण होम में 11 लोगों की मौत हो चुकी है और इन लोगों की मौत किसी बीमारी की वजह से नहीं, बल्कि भुखमरी की वजह से हुई है। ये किसी को भी झकझोर कर रख देने वाली ख़बर है। 

इस ख़बर का सबसे बड़ा खलनायक हमारा वो सिस्टम है, जो मानसिक रूप से बीमार लोगों को ज़िंदगी की गारंटी तक नहीं दे पाता। मानसिक रूप से बीमार लोगों या बच्चों को सबसे ज्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है। लेकिन दिल्ली सरकार के आशा किरण होम में मरीज़ों की देखभाल करने के बजाए.. उन्हें भूखा रखा जा रहा था। 

- दिंसबर 2016 से लेकर जनवरी 2017 के बीच दिल्ली के इस आशा किरण होम में 11 लोगों की मौत हुई। 

- इनमें 17 साल के युवाओं से लेकर 41 साल तक के महिला और पुरुष शामिल थे। ये सभी लोग मानिसक रूप से बीमार थे, और आशा किरण होम में रहते थे। 

- आशा किरण होम दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है। लेकिन इस मामले में आगे जो खुलासा हुआ है, वो और भी चौंकाने वाला है। 

- मरने वाले 11 लोगों में से 5 लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का जब विश्लेषण किया गया तो पता चला कि इनकी मौत भूख की वजह से हो सकती है। 

- Zee Media के सहयोगी अख़बार DNA की रिपोर्ट के मुताबिक इन 5 लोगों को बीमार होने के बावजूद कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती नहीं करवाया गया। जिसकी वजह से आशा किरण होम में ही इनकी मौत हो गई। 

- इन पांचों लोगों के शवों को दिल्ली के बाबा साहब आंबेडकर Hospital में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। इनमें से एक रिपोर्ट 21 साल की लड़की गंगा की है।

- गंगा नामक इस लड़की की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसका Liver और दोनों Kidneys सिकुड़ी हुई थीं। 

- डॉक्टरों के मुताबिक इसका मतलब ये हुआ कि गंगा की मौत भुखमरी की वजह से हुई थी। और काफी लंबे समय से उसने ठीक से खाना नहीं खाया था। हैरानी की बात ये भी है कि इस आशा किरण Home में कोई भी Cook नहीं है और Staff की कमी की वजह से इन Care takers को ही खाना बनाना पड़ रहा है।

- 2015 की CAG की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के आशा किरण होम में 350 लोगों के रहने की क्षमता है, लेकिन वहां पर करीब 970 ऐसे लोगों को रखा गया था, जो मानसिक रूप से बीमार हैं। 

- CAG की रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि यहां पर Caring Staff की बहुत कमी है। आशा किरण Home में 502 कर्मचारियों की ज़रूरत है, लेकिन अभी यहां सिर्फ 215 कर्मचारी हैं। Staff की कमी की वजह से यहां के मरीज़ों को वक्त पर खाना नहीं मिल पाता। 

इन मौतों के बाद दिल्ली का महिला आयोग अचानक जाग गया है । महिला आयोग ने अब दिल्ली के समाज कल्याण विभाग को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। वैसे आपको जानकारी दे दें कि.. दिल्ली के इस आशा किरण Home में रहने वाले.. मरीज़ों की मौत का.. ये कोई पहला मामला नहीं है। वर्ष 2009 से लेकर 2015 तक करीब 7 वर्षों में यहां 218 लोगों की मौत हो चुकी है। 

यानी जो लोग बेसहारा हैं, बीमार हैं और अपनी आवाज़ भी ठीक से नहीं उठा सकते, उन्हें बचाने के बजाए.. हमारा सिस्टम ही उन्हें मार रहा है। ये बहुत दर्दनाक है। इससे बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता... आमतौर पर हमारे देश में जब कोई आतंकवादी हमला होता है.,.. तो बहुत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होते हैं.. सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाई जाती है.. Candle मार्च निकाले जाते हैं.. लेकिन जब भूख से किसी की मौत होती है.. तो कोई प्रदर्शन नहीं होता। 

आशा किरण होम में हुई ये घटना किसी आतंकवादी हमले से भी बड़ी त्रासदी है.. इसलिए आज आपको इस घटना को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.. आज का दिन सिस्टम के प्रति आक्रोश प्रकट करने का दिन है। दिल्ली के इस आशा किरण होम पर 2015 में आई CAG रिपोर्ट में कई और खुलासे भी किए गए थे। 

- इसी रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि वर्ष 2013-14 में मानसिक रूप से बीमार 949 से भी ज़्यादा लोगों के लिए सिर्फ एक Ambulance उपलब्ध थी। और उस वक्त इनमें से 469 लोग गंभीर रूप से बीमार थे। 

- 2012 में National Commission for Protection of Child Rights ने भी दिल्ली के आशा किरण Complex का दौरा किया था। और रिपोर्ट दी थी कि यहां रहने वाले बच्चों को कई तरह की बीमारियां हैं। 

- NCPCR ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा था कि आशा किरण Home में रहने वाले मानसिक रूप से बीमार बच्चे कुपोषित हैं यानी उन्हें ठीक से खाना नहीं मिलता है। 

- इससे पहले 2010 में दिल्ली सरकार की एक कमेटी ने आशा किरण होम में रहने वाले लोगों की संख्या को कम करने की भी सलाह दी थी। 

- 2011 में इन लोगों को आशा किरण Home से किसी दूसरी जगह Shift करने का फैसला भी हो गया था। 

सरकार ने इस आशा किरण होम में लोगों की संख्या कम करने के बजाए, इसी Complex में 80 बिस्तर और लगा दिए। 

- हालांकि 2013 में 186 मरीज़ों को दूसरी जगहों पर Shift भी किया गया, लेकिन बीमार होने की वजह से बाद में इनमें से 26 को वापस यहीं भेज दिया गया। 

यानी मानसिक रूप से बीमार इन लोगों के साथ दिल्ली की सरकार बहुत पहले से ही लापरवाही का खेल.... खेल रही है। कई Committees.. दिल्ली सरकार को अपने सुझाव भी दे चुकी हैं, लेकिन सरकारों ने कभी भी इन बीमार लोगों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया। हमारे देश में जान बहुत सस्ती है। जान की कोई कीमत नहीं है। अगर हम अपने देश के लोगों की जान की परवाह करते तो शायद इन मानसिक रोगियों को बचाया जा सकता था। हमें बड़ा दुख है कि पिछले कई वर्षों से आशा किरण होम में लगातार मानसिक रोगियों की मौत हो रही है। लेकिन हमारी सरकारें इन मौतों को लेकर गंभीर नहीं दिखती 

ऐसी ख़बरें हमारे सुपर पावर बनने के सपने को बहुत पीछे धकेल देती हैं। जिस देश की राजधानी में सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक संस्थान में भूख से मानसिक रोगियों की मौत हो जाती हो, इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ और नहीं हो सकता है। ये घटनाएं बताती हैं कि हम अभी भी समाज के इस हिस्से के प्रति कितने संवेदनहीन बने हुए हैं। यहां आप इस बात पर भी गौर कीजिए कि ये वो लोग हैं, जिन्हें उनके अपने घरवालों ने भी छोड़ दिया है। कोई भी मानसिक रूप से बीमार बच्चा या महिला तभी सरकारी Shelter Home में जाता है, जब उसे उसके अपने घरवाले छोड़ देते हैं। लेकिन सरकारी Shelter Home में भी उनकी देखभाल नहीं हो पा रही है। 

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