Zee जानकारी : माल्या के ख़र्चे पर भोग-विलास करने वाले महान पत्रकारों का डीएनए टेस्ट
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Zee जानकारी : माल्या के ख़र्चे पर भोग-विलास करने वाले महान पत्रकारों का डीएनए टेस्ट

आज हम सबसे पहले विजय माल्या के ख़र्चे पर भोग-विलास करने वाले महान पत्रकारों और मीडिया मालिकों का डीएनए टेस्ट करेंगे। ये मीडिया के वो लोग हैं जिन्होंने कई वर्षों से विजय माल्या द्वारा प्रदान की गई सुख और सुविधाओं से गुडटाइम्स भोगे हैं। ये, महान पत्रकारिता का दावा करने वाले पत्रकारों और मीडिया मालिकों का काला किस्सा है। पत्रकारिता के इस नैतिक पतन पर हम अपनी बात कहने के लिए टीवी स्क्रीन काली नहीं करेंगे क्योंकि हमें पूरा यकीन है कि जो पत्रकारिता के नैतिक पतन का रोना रोते हुए अपनी टीवी स्क्रीन काली कर देते हैं वो आपको विजय माल्या द्वारा मीडिया पर कही गई बातों को नहीं बताएंगे।

Zee जानकारी : माल्या के ख़र्चे पर भोग-विलास करने वाले महान पत्रकारों का डीएनए टेस्ट

नई दिल्ली : आज हम सबसे पहले विजय माल्या के ख़र्चे पर भोग-विलास करने वाले महान पत्रकारों और मीडिया मालिकों का डीएनए टेस्ट करेंगे। ये मीडिया के वो लोग हैं जिन्होंने कई वर्षों से विजय माल्या द्वारा प्रदान की गई सुख और सुविधाओं से गुडटाइम्स भोगे हैं। ये, महान पत्रकारिता का दावा करने वाले पत्रकारों और मीडिया मालिकों का काला किस्सा है। पत्रकारिता के इस नैतिक पतन पर हम अपनी बात कहने के लिए टीवी स्क्रीन काली नहीं करेंगे क्योंकि हमें पूरा यकीन है कि जो पत्रकारिता के नैतिक पतन का रोना रोते हुए अपनी टीवी स्क्रीन काली कर देते हैं वो आपको विजय माल्या द्वारा मीडिया पर कही गई बातों को नहीं बताएंगे।

देश के 17 बैंकों के 9 हज़ार करोड़ रुपये के कर्ज़दार विजय माल्या शुक्रवार सुबह-सुबह ट्विटर पर अवतरित हुए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि वो भारत से भागे नहीं हैं ना ही वो भगौड़े हैं। वो भारत के कानून का सम्मान करते हैं लेकिन वो अपना मीडिया ट्रायल नहीं होने देंगे। हालांकि सबसे बड़ी बात ये रही कि माल्या ने मीडिया में अपने 'फ्रेंड्स ऑफ गुड टाइम्स' की पोल खोलने की धमकी दी है। 

विजय माल्या ने एक तरह से धमकी भरे अंदाज़ में ये कहा कि मीडिया उनके बारे में कुछ न बोले वर्ना वो उन पत्रकारों और मीडिया मालिकों की पोल खोल देंगे जो विजय माल्या से तरह-तरह के सुख और सुविधाएं लेते रहे हैं। हम यहां पर स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि ज़ी न्यूज ने विजय माल्या से किसी तरह की सुख सुविधाएं नहीं ली हैं और ना ही ज़ी न्यूज विजय माल्या की कृपा पर चल रहा है। हम डंके की चोट पर हर अनैतिक, गैरकानूनी और देशविरोधी गतिविधियों का तीखा विश्लेषण करते हैं। 

इसलिए आज हम मीडिया के उन लोगों के बारे में आपको बताएंगे जो विजय माल्या के पैसे पर सुख और सुविधाएं लेते रहे हैं। ऐसे मीडिया मालिकों और पत्रकारों ने विजय माल्या के सौजन्य से, बिज़नेस क्लास वाला हवाई सफर किया, हाईप्रोफाइल पार्टियां अटैंड कीं जहां शराब की नदियां बहती थीं। इन लोगों ने भोग विलास की सुविधाओं से लैस मैनशंस का भरपूर इस्तेमाल किया, कैलंडर गर्ल्स के शूट में हाई प्रोफाइल एंट्री की। आईपीएल के पास से लेकर पार्टियों तक हर तरह का आनंद इन लोगों को मिला।

हमें जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक विजय माल्या के पैसे पर गुडटाइम्स वाला भोग विलास करने वालों में देश के दो बड़े राष्ट्रीय अख़बारों के प्रोमोटर्स और एक बड़े टीवी नेटवर्क के प्रोमोटर शामिल हैं। अभी हम इन लोगों पर रिसर्च और इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं। कुछ दिनों में हम सबूतों के साथ इनके नाम भी आपको बता देंगे लेकिन आज हम इतना ज़रूर कहना चाहते हैं कि ये बहुत बड़ा नेक्सस है जिसके बारे में हम आपको हमारे स्वच्छ मीडिया अभियान के तहत बताते रहे हैं। 

मीडिया के जो लोग विजय माल्या के पैसे पर भोग विलास कर रहे थे वो अपनी ख़बरों के साथ भी समझौता कर रहे होंगे क्योंकि आपको ये बात ध्यान रखनी चाहिए कि कुछ भी फ्री नहीं होता है। मीडिया के प्रोमोटर्स ने विजय माल्या से सुख सुविधाएं तो ली ही हैं, साथ ही एक मीडिया प्रोमोटर ऐसे भी हैं जिनके विजय माल्या के साथ व्यापारिक रिश्ते रहे हैं। ये बातें एक गहरे डीएनए टेस्ट की मांग कर रही हैं। विजय माल्या के मामले में हम लगातार सरकार और सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं। हमारा सवाल है कि आखिर विजय माल्या को देश का सिस्टम रोक क्यों नहीं पाया? विजय माल्या के मामले में कई नई जानकारियां भी हमें मिली हैं।

-पिछले वर्ष 29 जुलाई को विजय माल्या के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया था।
-12 अक्टूबर को सीबीआई ने माल्या के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया।
-इस लुकआउट नोटिस में माल्या के भारत छोड़ने की कोशिश करने पर हिरासत में लेने की बात थी।
-लेकिन 23 नवंबर को सीबीआई ने लुकआउट नोटिस में बदलाव कर दिया।
-नए नोटिस में कहा गया कि माल्या के देश छोड़ने पर सिर्फ़ सूचना देनी है।
-ये सब तब हो रहा था जब माल्या और उनकी कंपनियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी और सीरियस फ्राड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस यानी एसएफआईओ की जांच हो रही थी।
-इमिग्रेशन अधिकारियों ने 2 मार्च को सीबीआई को विशेष सूचनाएं दे दी थीं कि माल्या देश छोड़कर जा रहे हैं, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
-जब तक बैंक सुप्रीम कोर्ट में माल्या के पासपोर्ट को ज़ब्त करवाने के लिए पहुंचते, उससे पहले ही माल्या देश छोड़ कर चले गए।
-इसी बुधवार यानी 9 मार्च को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विजय माल्या तो 2 मार्च को ही देश
छोड़ कर चले गए। 

विजय माल्या 2 मार्च को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर जेट एयरवेज़ की फ्लाइट 9W122 से दिल्ली से लंदन गए।
विजय माल्या ने ख़ुद तो ये नहीं बताया कि वो कहां हैं लेकिन कई रिपोर्ट्स के मुताबिक माल्या नार्थ लंदन से एक घंटे के सफर की दूरी पर, एक गांव में हैं।

यहां हमारा सवाल सीबीआई से है कि क्या वो अब भी सरकार के पिंजरे का तोता है। सीबीआई ने शुक्रवार को लुकआउट नोटिस पर सफाई देते हुए कहा कि पहला लुकआउट नोटिस जिसमें देश छोड़ने की कोशिश करने पर माल्या को हिरासत में लेने की बात थी, वो लुकआउट नोटिस एक जूनियर लेवल के अफसर की ग़लती से जारी हो गया था। ये अपने आप में बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। हमें लगता है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी खुद अपना मज़ाक उड़वाने में लगी है। सीबीआई का कहना है कि हिरासत में लेने का लुकआउट नोटिस तभी जारी हो सकता है जब आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट निकला हो। बड़ा सवाल ये है कि इस पूरे मामले में सरकार की क्या भूमिका है? विजय माल्या 9 हज़ार करोड़ रुपये का उधार लेकर देश छोड़कर चले गये। क्या सरकार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता?

 

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