वक्त के साथ-साथ, इंसान के लिखने, पढ़ने और भावनाएं व्यक्त करने के तरीके बदलते जा रहे हैं. लोग अब लंबे चौड़े वाक्य लिखने की जगह इमोजी का इस्तेमाल करना ज़्यादा पसंद करते हैं. इमोजी यानी वो डिजिटल चेहरे जो आपकी खुशी और दुख को प्रदर्शित करते हैं. जब आप Whatsapp, फेसबुक और Twitter पर किसी बात को लेकर प्रतिक्रिया देते हैं तो इन पीले रंग के चेहरों का इस्तेमाल करते हैं.


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एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में हर दिन करीब 90 करोड़ लोग, अलग-अलग Platforms पर लगभग 3 हजार तरह के इमोजी इस्तेमाल करते हैं. यानी आप कह सकते हैं कि इमोजी, दुनियाभर में English और Mandarin के बाद, बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा है. इसलिए अब दुनिया के कई विश्वविद्यालयों में, इमोजी की पढ़ाई भी शुरू हो रही है और इसकी शुरुआत ब्रिटेन से हुई है. ब्रिटेन के King's College, Edinburgh University (एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी) और Cardiff University (कार्डिफ यूनिवर्सिटी) सहित...कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के Syllabus में इमोजी की पढ़ाई शामिल की गई है.


Cardiff University के प्रोफेसरों का कहना है कि भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अब दुनियाभर में शब्दों से ज्यादा, इमोजी का इस्तेमाल होने लगा है. यानी इमोजी अब भविष्य की भाषा बनने जा रही है. इसलिए इमोजी को Syllabus में शामिल किया गया है.


इमोजी की लोकप्रियता का अंदाजा, इसी से लगाया जा सकता है कि लोग अब शोक जताने के लिए भी, इमोजी का इस्तेमाल करने लगे हैं. सिंतबर 2019 में Zimbabwe (जिम्बाब्वे) के पूर्व राष्ट्रपति Robert Mugabe (रॉबर्ट मुगाबे) के निधन के बाद उनके बेटे ने, Twitter पर एक इमोजी के माध्यम से, अपनी भावनाएं व्यक्त की थीं. इमोजी एक जापानी शब्द है. विश्व का पहला इमोजी, वर्ष 1999 में जापान के कलाकार शिगेताका कुरिता ने बनाया था. वर्ष 2010 के बाद Smartphones की वजह से इमोजी के इस्तेमाल में क्रांति आई. वर्ष 2005 में सिर्फ 105 इमोजी थे लेकिन 2015 में इनकी तादाद 1600 से ज़्यादा हो गई और आज सोशल मीडिया में 3 हजार से ज़्यादा इमोजी हैं.


वर्ष 2015 में Oxford Dictionaries ने, Word Of The Year में किसी शब्द को नहीं...बल्कि एक इमोजी को चुना था . Oxford Dictionaries ने जिस इमोजी को चुना...वो खुशी के आंसुओं वाला चेहरा था . और आज भी ये दुनिया का सबसे पसंदीदा इमोजी बना हुआ है. अगर आप इतिहास में देखें तो प्राचीन Egypt में, आपको Hieroglyph (हाइरोग्लिफ़) में इमोजी की झलक देखने को मिलती है . ये दो हज़ार वर्ष पुरानी वो Sign और Symbol Language है जो Egypt में पिरामिड और बाकी प्राचीन इमारतों में उकेरी गई है .


वर्ष 2014 में विश्व इमोजी दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी. इसके बाद हर वर्ष 17 जुलाई को ये दिन मनाया जाता है. आज इमोजी ने हमारे संवाद का सलीका बदल दिया है. आपकी भावनाएं अब आपके दिल की गहराइयों से निकलकर सोशल मीडिया पर आ गई हैं. यहां तक कि अमेरिका में एक उपन्यास को इमोजी की भाषा में Translate किया जा चुका है. Neuro Science में पीला रंग खुशी और उम्मीद को दर्शाता है. इसी वजह से Smiley के इमोजी का रंग भी पीला रखा गया है. इमोजी को देखकर लगता है कि दुनिया इस वक्त बहुत खुश है और कहीं कोई गम नहीं है.


वैसे आज की दुनिया में दिल की भावनाएं पीछे रह गई हैं और डिजिटल भावनाओं ने उनकी जगह ले ली है. अब असली आंसुओं की जगह नीले रंगे के डिजिटल आंसुओं ने ले ली है. अब चेहरे पर खुशी की बजाय लोग हंसता हुआ इमोजी भेजने लगे हैं. लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं . इमोजी लोगों के बीच दूरियां बढ़ा रहे हैं . सोशल मीडिया पर जब एक ही परिवार के लोग, आपस में बात करते हैं या फिर वो दोस्त जो रोज़ाना मिले बग़ैर नहीं रहते थे. अब इमोजी के ज़रिये अपनी भावनाएं एक दूसरे तक पहुंचा रहे हैं .


अब लोग एक दूसरे की भावनाएं, चेहरे देखकर नहीं बल्कि इमोजी देखकर समझने लगे हैं. मुमकिन है कि हमारी पीढ़ी वो आख़िरी पीढ़ी हो जो आपस में बात कर रही है. हो सकता है कि भविष्य में इमोजी ही हमारे संवाद का ज़रिया रह जाएंगे और लोग आपस में मिलना बंद कर देंगे. उनके बीच बातचीत शब्द नहीं बल्कि इमोजी करेंगे. शायद एक दिन ऐसा भी आएगा. जब आपके माता पिता ये कहने लगेंगे कि आज मेरे बेटे की इमोजी आई है.