Zee जानकारी : पहली बार धरती से बाहर अंतरिक्ष में खिला फूल
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Zee जानकारी : पहली बार धरती से बाहर अंतरिक्ष में खिला फूल

अब अंतरिक्ष से आई उस अच्छी ख़बर की बात करते हैं जिसे सुनकर विज्ञान की दुनिया खिल उठी है और हमारा दावा है कि इसे देखकर आप भी ज़रूर खिल उठेंगे। ऐसा पहली बार हुआ है कि धरती के वायुमंडल से बाहर अंतरिक्ष में कोई फूल खिला है। ये आपको बहुत ही आश्चर्यजनक लग रहा होगा लेकिन ये सच है कि इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन यानी आईएसएस में मौजूद वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में फूल खिलाकर दिखा दिया है।

Zee जानकारी : पहली बार धरती से बाहर अंतरिक्ष में खिला फूल

नई दिल्ली : अब अंतरिक्ष से आई उस अच्छी ख़बर की बात करते हैं जिसे सुनकर विज्ञान की दुनिया खिल उठी है और हमारा दावा है कि इसे देखकर आप भी ज़रूर खिल उठेंगे। ऐसा पहली बार हुआ है कि धरती के वायुमंडल से बाहर अंतरिक्ष में कोई फूल खिला है। ये आपको बहुत ही आश्चर्यजनक लग रहा होगा लेकिन ये सच है कि इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन यानी आईएसएस में मौजूद वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में फूल खिलाकर दिखा दिया है।

अंतरिक्ष से जिस फूल की तस्वीर आई है। इस फूल का नाम जिन्निया है जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंदर बनी वेगी लैब में उगाया गया है। स्पेस स्टेशन के अंदर इस फूल को खिलने में 60 से 80 दिन लगे हैं। स्पेस स्टेशन में किसी पौधे को उगाना बहुत ही मुश्किल होता है और उसमें भी फूल खिला देना एक तरह से असंभव था। लेकिन आईएसएस के अंतरिक्ष यात्रियों ने इस असंभव काम को भी संभव बनाकर दिखा दिया। एक वक्त ऐसा भी आया था जब शून्य गुरुत्वाकर्षण यानी जीरो ग्रेविटी के कारण पौधों की पत्तियों से पानी बाहर आने लगा था और डिहाइड्रेशन की वजह से दो पौधे 8 जनवरी तक सूख गए थे लेकिन आश्चर्यजनक रूप से बाकी बचे पौधों में अचानक जान आ गई और अगले कुछ ही दिनों में इन पौधों में फूल खिल गए। अंतरिक्ष के ये फूल बिलकुल धरती के फूलों की तरह ही दिखते हैं।

तमाम वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पहले भी पौधे उगा चुके हैं लेकिन अंतरिक्ष में किसी पौधे में फूल पहली बार खिला है। आपको बता दें कि वैज्ञानिक पिछले कई वर्षों से जो इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन में पौधे उगाने का प्रयास कर रहे हैं। मई 2014 में स्पेश स्टेशन के अंदर एक वेगी लैब बनाई गई थी। इस लैब से अगस्त 2015 में सैलाड के तौर पर खाए जाने वाले पौधे उगाए गए थे। इस सैलाड को अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने खाया भी था और कुछ पौधों को परीक्षण के लिए धरती पर भी भेजा गया था। ये पौधे जो इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन के अंदर स्पेशल डिवाइसेज में बीजों के ज़रिए उगाए गए थे। हालांकि एक बड़ी दिक्कत ये होती है कि इन पौधों पर लगने वाले बैक्टीरिया से स्पेश स्टेशन पर मौजूद वैज्ञानिकों के स्वास्थ्य को ख़तरा होता है। इस खतरे के बावजूद अब अंतरिक्ष वैज्ञानिक एक 'स्पेश गार्डेन' की कल्पना कर रहे हैं जिसमें वो तरह-तरह के पौधे उगा सकें।

इससे धरती से आने वाले राशन पर अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की निर्भरता कुछ कम होगी। अंतरिक्ष में फूल खिलने की कामयाबी से वैज्ञानिक उत्साहित हैं और अब वो वर्ष 2018 तक अंतरिक्ष में टमाटर और चाइनीज कैबेज उगाने की कोशिश कर रहे हैं। अंतरिक्ष में टमाटर जैसी सब्ज़ियों को उगाना नासा के लिए आगे बहुत महत्वपूर्ण होगा। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए मार्स जैसे लंबी दूरी के मिशन तय करना आसान होगा क्योंकि अंतरिक्ष यात्री बिना धरती के संपर्क में रहे। अपने भोजन के लिए ज़रूरी सब्ज़ियां उगा लेंगे।

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