ZEE जानकारी: श्रीलंका की सियासत में दिलचस्प घटनाक्रम, छोटा भाई राष्ट्रपति, बड़ा भाई बना PM
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ZEE जानकारी: श्रीलंका की सियासत में दिलचस्प घटनाक्रम, छोटा भाई राष्ट्रपति, बड़ा भाई बना PM

श्रीलंका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि दो सगे भाई देश के दो सबसे बड़े पदों पर हैं. छोटा भाई देश का राष्ट्रपति बन गया है और बड़ा भाई देश का प्रधानमंत्री है. 

ZEE जानकारी: श्रीलंका की सियासत में दिलचस्प घटनाक्रम, छोटा भाई राष्ट्रपति, बड़ा भाई बना PM

आपको श्रीलंका की सियासत में हुए बहुत ही दिलचस्प घटनाक्रम के बारे में बताते हैं. क्या आप जानते हैं कि श्रीलंका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि दो सगे भाई देश के दो सबसे बड़े पदों पर हैं. छोटा भाई देश का राष्ट्रपति बन गया है और बड़ा भाई देश का प्रधानमंत्री है. आपने भारत में परिवारवाद की राजनीति 70 वर्षों से लगातार देखी है. कुछ खास परिवार के सदस्यों के बीच ही सत्ता को एक हाथ से दूसरे हाथ में जाते हुए देखा है. लेकिन श्रीलंका में जो हुआ है. वो अनोखा है. 70 वर्ष के गोटाबाया राजपक्षे ने अपने से चार साल बड़े भाई महिंदा राजपक्षे को श्रीलंका का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है.

गोटाबाया राजपक्षे ने सोमवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. आपको याद दिला दें कि महिंदा राजपक्षे दो बार श्रीलंका के राष्ट्रपति रह चुके हैं. और अब वो देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं. महिंदा राजपक्षे 2005 से लेकर 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति थे. दुनिया में सिर्फ दूसरी बार ऐसा हुआ है कि जब दो सगे भाईयों ने देश के दो सबसे बड़े पदों यानी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद पर एक साथ कार्यभार संभाला हो. 13 वर्ष पहले 2006 में भी ऐसा हुआ था जब यूरोपियन देश Poland में भी राष्ट्रपति ने अपने सगे भाई को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. तब Poland की Law & Justice party ने चुनावों में जीत हासिल की थी और गठबंधन सरकार का गठन किया था. परिवारवाद वाली सत्ता जहां भी आती है, वहां पारदर्शिता की उम्मीद करना बेमानी ही होता है और यही श्रीलंका में भी हुआ है क्योंकि गोटाबाया राजपक्षे ने सत्ता में आते ही चार दिन के अंदर अपने खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले खत्म कर दिए हैं. गोटाबाया पर एक म्यूजियम के निर्माण को लेकर 1 करोड़ 34 लाख रुपये के गबन का आरोप था. उनके विदेश जाने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ था लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है. सभी आरोप उन्होंने अपने ऊपर से हटा लिए हैं.

वैसे विडंबना ये भी है कि गोटाबाया ने अपने चुनाव-प्रचार में भ्रष्टाचार खत्म करने को लेकर बड़े बड़े वादे किए थे. हांलाकि ये पहला मौका नहीं है जब ये दोनों भाई सत्ता में एक साथ हैं. इससे पहले 2005 में जब महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति थे तब उन्होंने अपने छोटे भाई गोटाबाया को उसी सरकार में रक्षा सचिव बना दिया था. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कोलंबों में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से मुलाकात की और उन्हें जीत की बधाई दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गोटबाया राजपक्षे की जीत पर उन्हें फोन करके बधाई दी और साथ मिलकर दोनों देशों के बीच के रिश्तों को और गहरा करने की बात कही. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत आने का न्योता दिया था, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है. राष्ट्रपति राजपक्षे इस महीने 29 नवंबर को भारत के दौरे पर आएंगे.

राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का भारत दौरे पर आना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दरअसल राजपक्षे कैंप चीन के करीब माना जाता है. चुनावों के दौरान भी गोटाबाया ने कहा था कि वो अगर सत्ता में आए तो चीन के 

साथ श्रीलंका के रिश्तों को और मज़बूत करने पर ज़ोर देंगे. एक अहम पड़ोसी होने के नाते भारत श्रीलंका के साथ अपने रिश्तों को और बेहतर बनाने की कोशिश करेगा, जिसके लिए भारत ने पहला कदम बढ़ा दिया है. 

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