ZEE जानकारीः कठुआ गैंगरेप का 'अर्धसत्य' पूरा सच नहीं
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ZEE जानकारीः कठुआ गैंगरेप का 'अर्धसत्य' पूरा सच नहीं

स्थानीय लोगों की मानें तो 15 जनवरी को इस देवीस्थान में एक भंडारा भी हुआ था, जबकि क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में ये लिखा है कि 15 जनवरी तक लड़की इसी देवीस्थान में मौजूद थी. ऐसे में भंडारे में शामिल सैकड़ों लोगों ने उस लड़की को क्यों नहीं देखा? 

ZEE जानकारीः कठुआ गैंगरेप का 'अर्धसत्य' पूरा सच नहीं

आज क्रोधित होने, आक्रोशित होने और सवाल पूछने का दिन है. कठुआ की 8 साल की जिस बच्ची के साथ गैंगरेप हुआ और हत्या हुई, उसे इंसाफ तभी मिलेगा, जब इस मामले का पूरा सच बाहर आएगा. लेकिन दुख की बात ये है कि सच की फिक्र किसी को नहीं है. सबको अपनी राजनीति और अपने एजेंडे की फिक्र है. अब तक इस मामले में आपको सिर्फ आधा सच ही बताया गया है. आपने इस पूरे मामले को लेकर कई तरह की Theories पढ़ी और सुनी होंगी. लेकिन इस पूरे मामले में तथ्यों की जांच किसी ने नहीं की है. सब सुनी सुनाई बातों के आधार पर अपना आक्रोश ज़ाहिर कर रहे हैं. और ऐसे नाज़ुक वक़्त में कुछ लोग बड़ी चालाकी से इसे धार्मिक रंग दे रहे हैं और अपना एजेंडा चला रहे हैं. जिन लोगों ने 8 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी की, वो तो गुनहगार हैं हीं, लेकिन इसके साथ साथ, वो लोग भी गुनहगार हैं, जिन्होंने इस पूरे मामले को धार्मिक रंग दिया और राजनीतिक रंग दिया

आधी अधूरी सूचनाओं के इस जाल में असली खबर को खोजना और उसमें छिपे सत्य को समझना बहुत मुश्किल होता है. इसीलिए हम पिछले 5 दिनों से इस पूरे मामले की पड़ताल कर रहे थे. इस पूरे मामले की कुंजी है, कश्मीर क्राइम ब्रांच की चार्जशीट, और हमने इस चार्जशीट में लिखे एक एक शब्द को पढ़ा और फिर इसमें बताई गई तमाम Locations पर खुद गये. हम कठुआ के उन इलाक़ों में गये जिनका ज़िक्र इस चार्जशीट में है. और हमने वहां के लोगों से बात करके, अब तक की सबसे मुकम्मल ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है. हम आपको अपनी ये Investigative Report दिखाएंगे, लेकिन उससे पहले इस पूरे मामले का अपडेट आपको बता देते हैं. 

कठुआ रेप और मर्डर केस में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में कठुआ रेप केस में पीड़ित के पिता ने याचिका दायर की है. और इस केस को कठुआ से चंडीगढ़ ट्रांसफर करने की अपील की है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज जम्मू कश्मीर सरकार को नोटिस जारी करके, जवाब मांगा है. पीड़ित के पिता की वकील की तरफ से कहा गया है, कि जम्मू कश्मीर में निष्पक्ष Trial नहीं हो सकता है. इसलिए इस केस को जम्मू कश्मीर के बाहर ट्रांसफर किया जाए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी. इस पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग की जा रही है. क्योंकि आरोपियों के परिवार को कश्मीर क्राइम ब्रांच की जांच पर भरोसा नहीं है. 

इस बीच हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में कठुआ के रासना गांव के लोगों ने बहुत से सवाल उठाए हैं. इस पूरी रिपोर्टिंग के दौरान हमारे मन में सिर्फ एक ही बात थी, और वो ये कि 8 साल की बच्ची को किसी भी हाल में इंसाफ ज़रूर मिलना चाहिए और इस दुनिया में जो भी सबसे कड़ी सज़ा है, वो उसके हत्यारों को मिलनी चाहिए. लेकिन रासना गांव के लोगों के सवालों को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. इस मामले में 8 साल की बच्ची को इंसाफ तब मिलेगा जब सारे सवालों और शंकाओं को तथ्यों की मदद से खत्म कर दिया जाएगा.

हमने जब गांव के लोगों से बात की तो उन्होंने सवाल उठाया, कि जिस एक कमरे के मंदिर में चार खिड़कियां हों, जिसके तीन दरवाज़े हों, और हर रोज़ तीन गांवों के लोग जहां पूजा-अर्चना करते हों, वहां किसी लड़की को बंधक बनाकर कैसे रखा जा सकता है?लोगों का ये भी सवाल है कि कोई पिता अपने बेटे और अपने नाबालिग भांजे को 8 साल की एक बच्ची का रेप करने के लिए कैसे कह सकता है? बच्ची का शव जिस जगह पर मिला, वो जगह आरोपी सांझीराम के घर के पास है, इसलिए लोग ये सवाल भी उठा रहे हैं कि सांझीराम ने लड़की की हत्या के बाद उसका शव अपने घर के पास ही क्यों फिंकवाया? 

स्थानीय लोगों की मानें तो 15 जनवरी को इस देवीस्थान में एक भंडारा भी हुआ था, जबकि क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में ये लिखा है कि 15 जनवरी तक लड़की इसी देवीस्थान में मौजूद थी. ऐसे में भंडारे में शामिल सैकड़ों लोगों ने उस लड़की को क्यों नहीं देखा? विशाल नाम के जिस आरोपी को क्राइम ब्रांच ने पकड़ा है, उसके बारे में कहा जा रहा है कि वो इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में था और वहां एक कॉलेज में परीक्षा दे रहा था. ऐसे में आरोपी एक ही समय में दो जगहों पर कैसे मौजूद हो सकता है? 

ये बात भी सच है कि पहले इस मामले की जांच स्थानीय पुलिस कर रही थी और फिर बाद में ये पूरी जांच कश्मीर की क्राइम ब्रांच को दे दी गई. और इसके बाद ही इस पूरी घटना की कहानी बदल गई. कश्मीर की क्राइम ब्रांच में एक ऐसा अधिकारी भी शामिल था, जिस पर खुद रेप और हत्या का आरोप था. इसके अलावा उस अफसर के हुर्रियत के नेताओं से भी अच्छे रिश्ते बताए जाते हैं. स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि जब ये जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई, तो क्राइम ब्रांच ने रासना गांव के कई लोगों को थाने में बंद करके उन्हें टॉर्चर किया. इस पूरे मामले की एक महत्वपूर्ण कड़ी तालिब हुसैन नाम का एक व्यक्ति भी है. जिसने इस बच्ची के चौथे.. के दिन हाईवे को जाम करके प्रदर्शन किया था. तालिब एक NGO चलाता है और उसके बारे में ये भी कहा जाता है कि वो जम्मू में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का एजेंडा फैलाता है. 

लोगों का आरोप है कि बच्ची के माता-पिता शुरुआत में CBI जांच की मांग कर रहे थे. लेकिन तालिब हुसैन ने पीड़ित के घरवालों को क्राइम ब्रांच की जांच के लिए उकसाया. इसीलिए अब यहां के लोग इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. ताकि पूरा सच सामने आए और दोषियों को सज़ा मिले. यहां हम एक बार फिर ये कहना चाहते हैं कि 8 साल की बच्ची के साथ जो कुछ हुआ उसका हमें बहुत दुख है. हम इस घटना से व्यथित हैं. और हमें लगता है कि इस मामले में दोषियों को दुनिया की सबसे कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए. लेकिन ये सज़ा... सत्य और तथ्य के आधार पर मिलनी चाहिए. एजेंडे के आधार पर नहीं.

देश में जब एजेंडा चलने लगता है तो कई बार सच, बहुत धुंधला हो जाता है. और फिर एक ऐसी रिपोर्टिंग की ज़रूरत होती है, जो तमाम तरह के पूर्वाग्रहों से दूर हटकर की जाए. ऐसी रिपोर्टिंग की ज़रूरत होती है, जो नेताओं और राजनीति के शोर से अलग हटकर हो. इसीलिए हमने इस पूरे मामले की पड़ताल के लिए अपने दो Reporters भेजे. और उन दोनों ने क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में लिखी हुई एक एक बात की पड़ताल की. 

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